न्यू वर्ल्ड ऑर्डर-07 : अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ 1857 की क्रांति

इस सीरीज़ की अब तक की कड़ियों में हमने इतिहास की कई सुनी-अनसुनी जानकारियाँ देने की कोशिश की है। हमारा स्पष्ट रूप से कहना है कि अंग्रेज़ों का मक़सद सिर्फ़ व्यापार करना नहीं था। उनका मक़सद भारत को सीधे तौर पर अपने अधीन रखकर राजपाट चलाना भी नहीं था, तो फिर आप सोच रहे होंगे कि उनका असली मक़सद क्या था? आज हम यही बताने की कोशिश करेंगे।

ईस्ट इंडिया कम्पनी का लोगो

मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के हाथों ज़िल्लतभरी हार के बाद अंग्रेज़ों ने यह तो समझ लिया था कि सीधे युद्ध के ज़रिए भारत पर क़ब्ज़ा नहीं किया जा सकता। इसके बाद उन्होंने रणनीति बदली और रियासतों पर अपने पिछलग्गू राजा-नवाब बिठाकर रिमोट कंट्रोल सरकार चलानी शुरू कर दी।

अंग्रेज़ों की तमाम नीतियां जहाँ बहुत से राजाओं-नवाबों ने सर झुकाकर तस्लीम कीं, वहीं काफ़ी लोग उनसे असहमत भी थे। यह असहमति, 1857 की क्रांति का सबब बनी। आइये सबसे पहले हम यह समझें कि 1857 की क्रांति क्यों हुई और उसके कारण क्या थे?

राजनीतिक कारण

1857 क्रांति के प्रमुख नायकों के नाम

ईस्ट इंडिया कम्पनी ने क़रीब-क़रीब सभी रियासतों को अपने अधीन कर लिया था। वो अपने रेजिडेंट्स के ज़रिए राजाओं-नवाबों को निर्देशित करके रिमोट कंट्रोल सरकार चला रहे थे। कम्पनी ने एक आदेश जारी किया कि बे-औलाद राजा की मौत के बाद उसके दत्तक पुत्र को राजा नहीं माना जाएगा।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, पेशवा नाना फडणवीस इस बात को लेकर बग़ावत पर आमादा हुए। इसी तरह कुछ रियासतों के राजाओं-नवाबों को कुशासन के आरोप में सत्ता से हटाया गया। अवध के नवाब वाजिद अली की बीवी, बेगम हज़रत महल ने अपने बेटे बिरजीस क़दर को नवाब घोषित करके कंपनी राज के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी। यही हाल कुछ और रियासतों का था।

आर्थिक कारण

ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी ब्रिटेन भेजने के लिये बंदरगाह पर जहाज़ों पर चाय चढ़ाते हुए

भारत से कच्चा माल ब्रिटेन भेजा जा रहा था और वहाँ से तैयार माल भारत में बेचा जा रहा था। देसी उद्योग-धंधे ठप्प हो रहे थे, बेरोज़गारी बढ़ रही थी। भारी लगान लगाकर किसानों का ज़बरदस्त शोषण किया जा रहा था। लगातार पड़े अकाल ने किसानों की कमर पहले ही तोड़ रखी थी। नतीजतन किसान, आज़ादी की जंग के जवान बन गये।

सामाजिक कारण

अंग्रेज़ सरकार, अपनी मर्ज़ी के क़ानून बनाकर भारतीयों के सामाजिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही थी। पश्चिमी सभ्यता को बढ़ावा दिया जा रहा था और भारतीय जीवन-शैली का अपमान किया जा रहा था। अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों के साथ भेदभाव किया जाता था। अंग्रेज़ी लिबास के चलन को बढ़ावा दिया जा रहा था, भारतीयों के पारंपरिक कपड़ों का मज़ाक़ उड़ाया जाता था। इस बात को लेकर हिंदू-मुस्लिम सभी समाजों के अंदर नाराज़गी बढ़ रही थी।

धार्मिक कारण

मुस्लिम बादशाहों ने अपने 665 साल के कार्यकाल में हिंदुओं पर इस्लाम धर्म अपनाने के लिये कोई क़ानून नहीं बनाया था। लेकिन अंग्रेज़ों ने ईसाई धर्म के प्रचार को बढ़ावा देने के लिये सन 1831 में "चार्टर एक्ट" पास किया। इसके ज़रिए ईसाई मिशनरियों को खुलकर धर्म-प्रचार की छूट मिली। ईसाई मिशनरियां हिंदूओं और मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं पर जमकर हमला कर रही थीं।

ईसाई ननों ने मिशनरियों को मज़बूत किया

भारतीय समाज में दलितों और औरतों की स्थिति बहुत बुरी थी, इस बात का फ़ायदा मिशनरियों ने उठाया। जब ग़रीब-वंचित वर्ग की औरतें अपने बीच अंग्रेज़ मेमसाब और ईसाई ननों को देखतीं तो उन्हें लगता कि ईसाई समाज में औरतों को ज़्यादा अधिकार प्राप्त हैं।

जिन-जिन जगहों पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का अधिकार था, वहां ईसाई मिशनरियां, भारतीय जनता को ईसाई बनाने में जुटी हुई थीं। दक्षिणी और उत्तर-पूर्वी भारत में ईसाई मिशनरियों ने अपने पैर मज़बूती से जमा लिये और इन इलाकों में बड़ी तादाद में लोगों को ईसाई बनाया। इस बात को लेकर हिन्दू समाज के पुरोहित वर्ग में नाराज़गी पनप रही थी।

इस्लाम की सही तालीम से लोगों की दिलचस्पी कम करने के लिये भी ईस्ट इंडिया कम्पनी एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम कर रही थी। मदरसों में अंग्रेज़ सरकार दिक़्क़तें पैदा कर रही थी और आलिमों को परेशान किया जा रहा था। दीनी तालीम को हक़ीर (तुच्छ) समझने वाले अंग्रेज़ीदां मुसलमानों को अंग्रेज़ सरकार प्रोत्साहन दे रही थी।

यही वो असली कारण था जिसका ज़िक्र हमने इस आर्टिकल के शुरू में किया था। अंग्रेज़ों के भारत आने की असली वजह यही थी, यानी भारत में ईसाइयत फैलाना। शायद यह जानकर आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन हम इस बात को सबूतों के साथ आइंदा कड़ियों में साबित करेंगे, इन् शा अल्लाह! 

मुस्लिम उलमा को अंग्रेज़ों की चालें समझ में आ रही थीं, इसलिये उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ जिहाद का फ़तवा जारी किया। इस वजह से बड़ी तादाद में मुसलमान अंग्रेज़ सरकार के ख़िलाफ़ उठ खड़े हुए।

प्रशासनिक कारण

सरकार में बड़े-बड़े पदों पर सिर्फ़ अंग्रेज़ थे। भारतीयों को क़ाबिलियत के बावजूद नीची रैंक वाले पदों पर रखा जाता था। सैनिकों के साथ भी भेदभाव किया जाता था। शासन-प्रशासन में भारतीयों का अपमान करना अंग्रेज़ों का जन्मसिद्ध अधिकार समझा जाता था।

इन सभी कारणों से अंदर ही अंदर एक असंतोष की आग सुलग रही थी। उसी दौरान यह ख़बर फैली कि एनफ़ील्ड राइफल्स के कारतूस पर गाय और सूअर की चर्बी का खोल चढ़ा हुआ है। इस घटना ने चिंगारी का काम किया और 11 मई 1857 (17 रमज़ान 1273 हिजरी) के दिन यह असंतोष की आग खुलकर भड़क उठी। मंगल पांडे के आह्वान पर मेरठ में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया और अंग्रेज़ी छावनियों में आग लगा दी।

1857 की क्रांति के नायक

ये बाग़ी सैनिक मेरठ से दिल्ली पहुंचे और मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र के नेतृत्व में ख़ुद को सौंप दिया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, बिठूर (कानपुर) के नाना साहब, ग्वालियर के तात्या टोपे, बिहार के कुंवर सिंह, अवध की बेगम हज़रत महल, बरेली के ख़ान बहादुर ख़ान, इलाहाबाद के मौलवी लियाकत अली ने भी बहादुर शाह ज़फ़र को भारत का सम्राट घोषित करके उनके नेतृत्व में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ युध्द का ऐलान कर दिया। मुग़ल सम्राट ज़फ़र के नेतृत्व में हिंदू राजाओं को कोई ऐतराज़ नहीं था, इस हिंदू-मुस्लिम एकता ने अंग्रेज़ों की नींद उड़ा दी। अंग्रेज़ों ने इस क्रांति को नाकाम करने के लिये शातिर चालें चलीं और वे उसमें कामयाब भी रहे।

अगली कड़ी में इन् शा अल्लाह, हम यह बताने की कोशिश करेंगे कि 1857 की क्रांति किन-किन रियासतों और रजवाड़ों की ग़द्दारी के कारण नाकाम हुई? अगर वे अंग्रेज़ों के वफ़ादार न हुए होते तो इतिहास कुछ और होता लेकिन तक़दीर में जो लिखा था वो होकर रहा।

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सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़,
आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786

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Comments (3)
Imran

Khalid Azeem Gouri
Angrejo ka main agenda daram prachar nhi thaa, agar unka daram prachar ka main agenda hota to pure Bharat ki kayii states me Christian community ki tadad bahut jyada hoti, unka main agenda Muslims mukt government wala Bharat bnana thaa, jisme vo kamyab hue.

Right

Tue 01, Jun 2021 · 08:13 am · Reply
Khalid Azeem Gouri

Angrejo ka main agenda daram prachar nhi thaa, agar unka daram prachar ka main agenda hota to pure Bharat ki kayii states me Christian community ki tadad bahut jyada hoti, unka main agenda Muslims mukt government wala Bharat bnana thaa, jisme vo kamyab hue.

Tue 01, Jun 2021 · 06:41 am · Reply
Azizurrehman belim

Rajsthan me ek hindu jagirdar ko chod kisi ne tatya tope or bahadur shah jafar ka saath n diya Tatya tope is is jung ke liye pure rajsthan bhar ki riyasaton me {senik madad } ke liye dora kiya sabhi riyasaton ne hath khade kar diye Or kuch angrezon ki talwe chatne wali riyasaton ne tatya tope ko pakad kar angrezon sopne ki koshish bhi ki Lekin naakam rahi.

Tue 01, Jun 2021 · 12:28 am · Reply