क्या मस्जिदे-अक़्सा में इस्राईली हमले पर मुस्लिम देश ख़ामोश हैं?
सबसे पहले हम आपको बता दें कि रमज़ान के आख़री जुम्आ यानी 7 मई को इस्राईली सेना ने मस्जिदे-अक़्सा में जुम्आ की नमाज़ पढ़ने के लिये इकट्ठा हुए 70,000 मुसलमानों पर गोलियां चलाई। यह हिंसा अगले दो दिनों तक जारी रही। इस्राईली सेना की इस बर्बरतापूर्ण कार्रवाई में सैंकड़ों नमाज़ी घायल हुए हैं जिनमें से कुछ शहीद भी हुए हैं। सही आंकड़े अभी हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं।
फलस्तीनी शहर यरुशलम पर इस्राईल ने नाजायज़ क़ब्ज़ा जमा रखा है। दो साल पहले उसने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थन से यरुशलम को अपनी राजधानी घोषित कर दिया था जो कि पहले तेल अवीव थी।
टाइटल पर क्लिक करके पढ़ें : बैतुल मक़दिस की हालिया हिंसा की वजह क्या है?
हमारे देश में सोशल मीडिया पर कुछ मैसेज शेयर हो रहे हैं जिनमें यह दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम देशों के नेता फलस्तीनियों पर हो रहे ज़ुल्म पर चुप्पी साधे बैठे हैं। यह दावा ग़लत है। आज की इस रिपोर्ट में हम मुस्लिम देशों के नेताओं की बैतुल मक़दिस पर हुए हमले पर दी गई प्रतिक्रिया से अवगत कराएंगे।
■ सऊदी अरब की प्रतिक्रिया
सऊदी अरब ने यरुशलम से फ़लस्तीनियों को हटाकर उसे अपनी संप्रभुता का हिस्सा बनाने की इसराइल की योजना को नकार दिया है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से शनिवार 8 मई 2021 को पूरे मामले पर बयान जारी किया गया है। सऊदी अरब ने एकतरफ़ा कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के उल्लंघन की निंदा की है। सऊदी अरब ने कहा कि वो फ़लस्तीनियों के साथ खड़ा है। सऊदी ने कहा कि उसकी पूरी कोशिश है कि फ़लस्तीनियों के लिए 1967 के बॉर्डर के आधार पर एक स्वतंत्र मुल्क बने।
■ तुर्की की प्रतिक्रिया
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने इसराइल के रवैये की निंदा की है। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, "हम अल-अक्सा मस्जिद पर इसराइल के जघन्य हमले की निंदा करते हैं, जो कि दुर्भाग्य से हर रमज़ान के दौरान किए जाते हैं। तुर्की अपने फ़लस्तीनी भाइयों और बहनों के साथ हर मुश्किल घड़ी में खड़ा रहेगा।"
एक बड़े जनसमूह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा, ज़ुल्म के साथ आबाद होने वाला आख़िर में बर्बाद हो जाता है। बैतुल मक़दिस में होने वाली गारतगिरी, ज़ुल्म और बद-तहज़ीबी हमेशा रहना मुमकिन नहीं। (वीडियो देखें)
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने यह भी कहा, आज जो लोग बैतुल मक़दिस पर क़ब्ज़ा किये बैठे हैं उन्हें जान लेना चाहिये कि एक दिन ऐसा आने वाला है कि उन्हें पेड़ के पीछे छुपने की भी जगह नहीं मिलेगी।
■ संयुक्त अरब अमीरात व ओमान की प्रतिक्रिया
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के विदेश मंत्री ख़लीफ़ा अल मरार ने इस्राईली हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा, इस्राईल अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपनी ज़िम्मेदारी को समझे। फलस्तीनी नागरिकों को मस्जिदे-अक़्सा में नमाज़ पढ़ने के लिये संरक्षण प्रदान करे।
ओमान के सुल्तान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, हम पूर्वी यरुशलम से फलस्तीनी लोगों को बेदख़ल करने की इस्राईली योजना को ख़ारिज करते हैं। ओमान 1967 के अरब-इस्राईल युद्ध से पहले की सीमाओं वाले फलस्तीन देश की माँग का समर्थन करता है जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो।
गौरतलब है कि यूएई और ओमान ने पिछले साल इस्राईल के साथ राजनयिक संबंध क़ायम किये थे और अमेरिका की मध्यस्थता में अब्राहम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किये थे।
■ ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के सबसे बड़े धार्मिक लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने रमज़ान के आखिरी शुक्रवार को ईरान में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय कुद्स दिवस पर अपने सम्बोधन में कहा, इस्राईल एक देश नहीं बल्कि फलस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों के ख़िलाफ़ एक आतंकी ठिकाना है।
उन्होंने यह भी कहा, इस्राईल के ख़िलाफ़ सभी मुस्लिम देशों को एकजुट होना चाहिये। इस्राईल के ख़िलाफ़ लड़ना सभी का फ़र्ज़ है।
■ पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मस्जिदे-अक़्सा में इस्राईली सेना द्वारा नमाज़ियों पर किये गये हमले को बर्बरता कहा और यह भी कहा कि पाकिस्तान फलस्तीनी जनता के जाइज़ अधिकारों का समर्थन करता है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने हिंसा की निंदा करते हुए लिखा, "अल अक्सा मस्जिद, जिस पर इस्राईल ने कब्ज़ा कर रखा है, वहाँ निर्दोष लोगों पर रमज़ान के महीने में हमले की मैं निंदा करता हूं। इस तरह की क्रूरता मानवता और मानवाधिकार क़ानून की भावना के़ ख़िलाफ़ है. हम फ़लस्तीन के साथ खड़े हैं।"
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बिलाल ख़िलजी
(एडिटर, वेब एडिटर, आदर्श मुस्लिम)
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