ग़ाज़ा फलस्तीन का है तो यरूशलम और वेस्ट बैंक किसका?

मुस्लिम समाज के लिये राजस्थान में एक लफ़्ज़ इस्तेमाल किया जाता है, भोला मुसलमान। वाक़ई में मुसलमान बहुत भोला है। जज़्बात में आकर "आर-पार की जंग की बातें" भी करता है और "बिना कुछ हासिल किये" जश्न भी बहुत जल्दी मनाने लगता है। मध्य-पूर्व में 11 दिन की झड़प के बाद एक बार फिर यही बात साबित हुई है। आख़िर फलस्तीन को ऐसी कौनसी चीज़ मिल गई, जिसका जश्न मनाया जा रहा है? पूरे मामले को समझने के लिये यह न्यूज़ एंड व्यूज़ रिपोर्ट अंत तक पढ़ें।

11 तक चले ख़ून-ख़राबे के बाद, बिग बॉस अमेरिका के दबाव में हुए सीज़फायर के बाद, इस्राईल और हरकतुल मुक़ावमतुल इस्लामिया (हमास) दोनों अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। मामला क्या है? आइये, सबसे पहले हम यह देखें कि यूएनओ ने क्या कहा?


यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "मैं, 11 दिनों की घातक हिंसा व लड़ाई के बाद, ग़ाज़ा और इसराइल में युद्धविराम का स्वागत करता हूँ।"

उन्होंने यूएन के साथ मिलकर, मध्यस्थता प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिये, मिस्र व क़तर का आभार व्यक्त किया जिससे ग़ाज़ा और इसराइल में शान्ति बहाल करने में मदद मिली है।

यूएन महासचिव गुटेरेश ने ग़ाज़ा को भावी फ़लस्तीन देश का एक अविभाज्य हिस्सा बताया और कहा कि दरारों को पाटने के लिये वास्तविक राष्ट्रीय मेलमिलाप प्रयासों को सम्भव बनाना होगा।

यहीं से एक सवाल उठता है कि उन्होंने यरुशलम के बारे में स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? यरुशलम किसका है? जब तक यह तय नहीं होगा, तब तक ये मसला ख़त्म होने वाला नहीं है।

हमास का लोगो

हम यहाँ पूरी निष्पक्षता से यह बात बता देना चाहते हैं कि :-
01. इस्राईल ने पूर्वी यरुशलम में यहूदियों को बसाने की अपनी योजना पर आइंदा अमल न करने का कोई वादा नहीं किया है।

02. मस्जिदे अक़्सा का क्षेत्र फलस्तीनी मुसलमानों को सौंप देने का वादा न तो इस्राईल ने किया है और न ही यूएनओ ने अपने बयान में इसका कोई ज़िक्र किया है।

जब कुछ मिला ही नहीं, तो फिर जश्न किस बात का? क्या इस्राईल को ग़ाज़ा पर मिसाइल हमले करने से रोक देना हमास की जीत है या इसके पीछे वर्चस्व की लड़ाई है? आइये, समझने की कोशिश करते हैं।

ग़ौरतलब है कि साल 2006 में चुनावों में जीत के बाद से ही हमास का ग़ाज़ा पर नियंत्रण है और उसने अपने विरोधी दल अल फ़तह को वहाँ से धकेल दिया गया है जिसके पास पश्चिमी तट (वेस्ट बैंक) इलाक़े में सत्ता है। इस समय "अल फ़तह" पार्टी के महमूद अब्बास फलस्तीन प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं और सभी मुस्लिम देश उन्हें फलस्तीन का राष्ट्रपति मानते हैं।

अब एक और तथ्य को समझ लीजिये। आज 22 मई 2021 को "फलस्तीन प्राधिकरण" के चुनाव होने थे। अब वो टल गये हैं। हालिया 11 दिन के संघर्ष के बाद हमास की स्थिति मज़बूत हुई है जिसका फायदा उसे आगे चलकर फलस्तीनी प्राधिकरण पर क़ाबिज़ होने के रूप में मिल सकता है। अभी तक हमास को सभी पश्चिमी देश "आतंकी संगठन" कहते आए हैं। लेकिन इस बार यूएन महासचिव ने ग़ाज़ा और इस्राईल के बीच युद्ध विराम शब्द का इस्तेमाल करके, दबे शब्दों में हमास के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है। हमास के जश्न मनाने की असल वजह यह है।

जो बाइडन (अमेरिकी प्रेसिडेंट) व नेतन्याहू (इस्राईली प्रेसिडेंट)

हम आपको यह भी बता दें कि पिछले 2 सालों में इस्राईल में चार बार चुनाव हो चुके हैं और हर बार किसी एक पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला है। इस समय बेंजामिन नेतन्याहू इस्राईल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री हैं। उनकी लिकुड पार्टी वाले गठबंधन को इस्राईली संसद में बहुमत प्राप्त नहीं है। इस्राईल के राष्ट्रपति ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिये 2 महीने का समय दिया था, जो कि ख़त्म हो चुका है। हालिया संघर्ष से बेंजामिन नेतन्याहू को भी ऑक्सीजन मिल गई है। अब उन्हें राष्ट्रपति की ओर से उन्हें कुछ महीने की और मोहलत मिल सकती है। अगर फिर से चुनाव होते हैं तो उसमें नेतन्याहू की पार्टी को फायदा मिल सकता है।

1967 में आई फ़िल्म दीवाना के एक गीत का मुखड़ा है, तुम्हारी भी जय-जय, हमारी भी जय-जय, न तुम हारे न हम हारे।

यूएन प्रमुख ने, अन्तरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय साझीदारों के सहयोग से, इसराइलियों व फ़लस्तीनियों के साथ मिलकर काम करने के अपने मज़बूत संकल्प को रेखांकित किया है.

असल मुद्दा : यरुशलम किसका?

मस्जिदे अक़्सा परिसर

यूएन महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने भी ग़ाज़ा में तत्काल युद्धविराम की आवाज़ को अपना समर्थन प्रदान किया है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र के शान्ति व सुरक्षा एजेण्डे पर फ़लस्तीन का प्रश्न लम्बे समय से अनसुलझा है।

वोल्कान बोज़किर ने बताया कि आगे बढ़ने के लिये बातचीत की मेज़ पर जल्द लौटना होगा, यरूशलम सहित सभी दर्जा-सम्बन्धी मुद्दों को सुलझाना होगा और दो स्वतंत्र व सम्प्रभु देशों की सम्भावना को साकार करना होगा।

लेकिन यह कैसे होगा? इसके बारे में महासभा अध्यक्ष ने कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं बताई है। जब तक मस्जिदे-अक़्सा का पूरा क्षेत्र फलस्तीन के लोगों को नहीं सौंपा जाता। तब तक मुसलमानों को "जीत के जश्न का गाँजा पीकर" मदहोश नहीं होना चाहिये।

कल हमने क्या वाक़ई हमास की जीत हुई है? टाइटल से एक लेख पब्लिश किया था, उसको लेकर कुछ रीडर्स के मन में कुछ सवाल थे; उम्मीद है आज का यह लेख पढ़कर सारी कन्फ्यूजन दूर हो गई होगी।

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सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़,
आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786

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Comments (8)
azhanansari54@gmail.com

हम इस लेख से सहमत हैं जब कोई जगह फिलिस्तीनियों को दी ही नहीं गई है तो किस बात का जश्न? जब तक यह साबित नहीं हो जाता के यरूशलम किसका और इज़राइल की ईस्ट वाली पट्टी फिलिस्तीन की तब तक कोई जश्न लाज़िम नहीं

Tue 25, May 2021 · 05:53 pm · Reply
Abdul aziz

Ye hi shi bat he. Gor krne ki jrurt he.

Sat 22, May 2021 · 09:16 pm · Reply
MD Korban Ali

Who is the owner of Jerusalem? Where is al Aqsa masjid located? Who did look after it early days? Who occupied it's key& who did construct its good shafe ? On search it's reply the real owner be brought into light. The editorial author has ignored it following it's non clearance. UNO & OHCHR are showing their ignorancy as well as their biousnesses. If neutrality is shown, the reality be brought into light but it will not be done & tranquility not be established. Contraversy/conflicts be experienced till Day of Resurrection. Khiafa-e Usmania & Sultan-e Salahuddin Ayyubi are now being felt necessary, but 'volla Muslims' will not serve this aspect. Almighty Allah will do His Own decision on the Day of Decision/Day of Judgement. Aameen

Sat 22, May 2021 · 08:29 pm · Reply
Azizurrehman belim

Mujhe lagta he hum muslimo ke saath koi victim card khela ja raha he.. Kyonki dono desho me election hone he or iska fayda dono or fasaad karke hi uthaya ja sakta he.

Sat 22, May 2021 · 07:23 pm · Reply
Saraj belim

Hi

Sat 22, May 2021 · 06:17 pm · Reply
Saleem Khilji · Editor-in-Chief

Jafar saifi
Jashn is bat ka h ka h ki Israel 8muslim deshon ko Matr much ghanton mai dhool chatane wala aaj Hamas jaise chote sangthan se yudhviram kar liya Beshaq ye Hama's ke imaan ki hi takat h ☝

पिछले साल जून 2020 में भी इसी तरह की रॉकेट-मिसाइलबाज़ी हुई थी। सितंबर 2020 में भी इसी तरह का युद्ध विराम हुआ था। इसलिये इस बात की कोई गारंटी नहीं कि आइंदा मिसाइल अटैक नहीं होगा। जब तक यरुशलम फलस्तीन की राजधानी नहीं बनता तब तक इस जश्न का कोई मतलब नहीं है।

Sat 22, May 2021 · 06:10 pm · Reply
Jafar saifi

Jashn is bat ka h ka h ki Israel 8muslim deshon ko Matr much ghanton mai dhool chatane wala aaj Hamas jaise chote sangthan se yudhviram kar liya Beshaq ye Hama's ke imaan ki hi takat h ☝

Sat 22, May 2021 · 05:45 pm · Reply
ABDUL KADEER

Ye jasn is baat Ka h ki Israel ne marna(pitaee) ek baar rok Di h

Sat 22, May 2021 · 05:32 pm · Reply