5G इम्पैक्ट-01 : क्या प्राइवेसी में दख़लअंदाज़ी बढ़ेगी?
आज 16 मई 2021 से हम 5G के उन असरात (Impacts, प्रभावों) के बारे में एक सीरीज़ शुरू कर रहे हैं जो आने वाले समय में हमें नज़र आने वाले हैं। सबसे पहला अंदेशा प्राइवेसी को लेकर जताया जा रहा है। इसके पीछे क्या तर्क हैं, आज के इस ब्लॉग में बताने की कोशिश की गई है। इसके लिये इस ब्लॉग को पूरा पढ़ियेगा।
■ ज़्यादा टॉवर्स की ज़रूरत
कल की स्टोरी में हमने एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट्स के हवाले से बताया था कि 5G टॉवर्स से निकलने वाली तरंगों से शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ सकता है। आसान भाषा में 5G टॉवर्स ज़्यादा गर्मी उत्सर्जित होगी।
इसके समाधान के लिये 5G सेवा उपलब्ध कराने वाली कंपनियों ने एक स्ट्रेटजी (रणनीति) तैयार की है। इस स्ट्रेटजी के तहत ज़्यादा लंबी रेंज वाले बड़े टॉवरों से बचा जाएगा और छोटे-छोटे टॉवर्स लगाए जाएंगे। एक हाई रेंज टॉवर की जगह थोड़ी-थोड़ी दूरी पर 8 से 10 टॉवर्स लगाए जा सकते हैं। जानकारों का कहना है कि इससे टावर के पास वाली जगह में ज़्यादा गर्मी के उत्सर्जन से बचा जा सकेगा।
इसके अलावा एक और चीज़ भी समझ लीजिये। 5G नेटवर्क के लिए हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव्स का इस्तेमाल होगा, जो कि 4G, 3G में नहीं होती थी। ये हाई फ्रीक्वेंसी वाला फंडा आप एक उदाहरण से समझिये।
रेडियो पर पहले मीडियम वेव और शॉर्ट वेव पर रेडियो चैनल्स आते थे। फिर आया बेहतरीन साउंड क्वालिटी एफएम रेडियो जो कि मीडियम वेव और शॉर्ट वेव के मुकाबले हाई फ्रीक्वेंसी वेव्स पर काम करता है। हाई फ्रीक्वेंसी वेव्स की रेंज काफी कम होती है। इसलिये एक शहर का एफ़एम दूसरे शहर में नहीं सुना जा सकता। इस वजह से भी थोड़ी-थोड़ी दूरी पर टॉवर्स लगाने पड़ेंगे।
अब सवाल यह है कि इतने ज़्यादा टॉवर्स कहाँ लगाए जाएंगे? इसका जवाब है कि इसके लिये ऊँची इमारतों को इस्तेमाल किया जाएगा।
■ प्राइवेसी में दख़ल का अंदेशा क्यों?
5G के कारण प्राइवेसी में दख़ल को लेकर चिंता जताई जा रही है। पहली चिंता टॉवर्स की संख्या को लेकर जताई जा रही है। आजकल मोबाइल टॉवर्स के साथ वीडियो कैमरे लगाने का चलन भी बढ़ा है। अगर ऐसा 5G के छोटे टॉवर्स में भी होता है तो इससे लोगों के निजी जीवन में दख़ल बढ़ने की संभावना है।
प्राइवेसी को लेकर दूसरा अंदेशा यह जताया जा रहा है। 5G की डेटा ट्रांसमिशन स्पीड 4G के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है। इस तेज़ स्पीड के ज़रिए हमारे मोबाइल की जासूसी करना और डेटा चोरी करना और आसान हो जाएगा।
प्राइवेसी को लेकर तीसरा अंदेशा यह जताया जा रहा है कि 5G की तेज़ रफ़्तार के ज़रिए किसी भी व्यक्ति की सटीक लोकेशन ट्रेस करना 4G के मुक़ाबले में आसान हो जाएगा।
अंत में एक ज़रूरी बात जान लीजिये। 5G आने के बाद 4G खत्म नहीं होगा बल्कि चालू रहेगा। यूज़र्स के पास दोनों विकल्प होंगे। मतलब पहले की तरह नहीं कि 3G आया तो 2G को बाय-बाय और 4G आया तो 3Gको बाय-बाय। इंटरनेट की 4G तकनीक क़ायम रहने वाली है इसलिये 4G यूज़र्स को अपने हैंडसेट्स बेकार हो जाने की चिंता नहीं करनी चाहिये।
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सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786
इस सीरीज़ के पूर्ववर्ती ब्लॉग्स के लिंक :
● 5G से सम्बंधित झूठ और सच
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