मुसीबत व परेशानी में इन 10 बातों को याद रखें

  • Fri, 29 May 2020
  • Rajya
  • Adarsh Muslim Beuro

यह पोस्ट अब्दुल वहीद (राजू) मोदी ने सेंड की है। यह एक मोटिवेशनल पोस्ट है जो हमें ज़िंदगी के मुश्किल वक़्त में हौसला देती है। (बिलाल ख़िलजी, डेस्क एडिटर)

पहली बात : आप इस परेशानी में अकेले नहीं हैं, यानी आपकी तरह और भी कई लोग इस परेशानी में, या इसके जैसी किसी और परेशानी में मुब्तिला हैं।

दूसरी बात : अल्लाह जो करता है बेहतर करता है। इंसान कितनी ही तरक़्क़ी क्यों न कर ले, लेकिन वो अल्लाह की तदबीर को नहीं समझ सकता।

तीसरी बात : नफ़ा व नुक़सान का मालिक सिर्फ अल्लाह तआला है। पूरी कायनात में कोई भी ऐसा नहीं जो अल्लाह की मर्ज़ी के बिना किसी को ज़र्रा बराबर भी नफ़ा या नुक़सान पहुंचा सके। इसलिए हमें सिर्फ़ एक अल्लाह से लौ लगाना चाहिये।

चौथी बात : जो तुम्हें मिल गया वो तुम्हारा नसीब था और जो नहीं मिला वो तुम्हारे नसीब में नहीं था। यह सोच रखने से सब्र आ जाता है और दिल से हवस, हसद और लालच का जज़्बा ख़त्म हो जाता है।

पाँचवीं बात : यह दुनिया फ़ानी (मिटने वाली) है, इस हक़ीक़त को जान लेने से दिल को सुकून मिलता है।

छठी बात : अल्लाह के बारे में अच्छा गुमान (सोच, विचार) रखो। अल्लाह तआला बंदे के गुमान के साथ है। जिसकी सोच नेगेटिव हो उसे किसी चीज़ से इत्मीनान नहीं मिलता।

सातवीं बात : अल्लाह की पसंद हमारी अपनी पसंद से बहुत बेहतर है क्योंकि वो हमारा ख़ालिक़ (रचयिता, Creator) है। वही जानता है कि हमारे हक़ में अच्छा या बुरा क्या है?

आठवीं बात : मुश्किल जितनी सख़्त होती जाए, समझो आसानी उतनी ही क़रीब है। ऐसे वक़्त में हिम्मत हार जाने वालों को कुछ नहीं मिलता।

नौवीं बात : इस बात की फिक्र न करो कि आसानी कैसे आएगी क्योंकि अल्लाह तआला जब चाहेगा, तब आसानी पैदा कर देगा। वो ऐसी जगह से मदद के असबाब (साधन) मुहैया करेगा जहां से हमें गुमान भी नही होगा।

दसवीं बात : अल्लाह से बराबर दुआ करते रहो जिसके हाथ में ज़मीन व आसमान के सारे ख़ज़ाने हैं। अल्लाह तआला से दुआ मांगने वाला उसकी रहमत के साये में होता है। अल्लाह तआला या तो मांगी हुई चीज़ या उससे बेहतर चीज़ अता कर देता है, या उसके ज़रिए किसी आने वाली मुसीबत को टाल देता है, या उसका अज्र आख़िरत में देने का फ़ैसला करके दुनिया की ज़िंदगी में इंसान को सब्र दे देता है।

या अल्लाह! हर मुसीबतज़दा इंसान की मुसीबतों को दूर फरमा। उनकी हर मुश्किल को आसानी में बदल दे। आमीन, तक़ब्बल या रब्बल आलमीन।