लॉकडाउन के 21 दिन कैसे गुज़ारें?

  • Wed, 25 Mar 2020
  • National
  • Saleem Khilji

हर इंसान आज़ादी से जीना चाहता है लेकिन उसकी ज़िंदगी में कभी ऐसा भी वक़्त आता है जब उसे पाबंदियों के दायरे में जीना पड़ता है। ऐसे ही वक़्त से इन दिनों हम गुज़र रहे हैं।

सरकारी आदेश के तहत पूरे देश में 15 अप्रैल 2020 तक के लिये लॉकडाउन लागू कर दिया गया है।

वैसे मुसलमानों के लिये एकांतवास कोई नई चीज़ नहीं है। हर साल रमज़ान के महीने में ऐतिकाफ के ज़रिए इसकी ट्रेनिंग दी जाती है।

ऐतिकाफ क्या है?
01. ऐतिकाफ मस्जिद में रहकर किया जाता है। 10 रातें घर-परिवार और दोस्तों-रिश्तेदारों से कटकर, मस्जिद में एक छोटे-से तंबू में रहकर गुज़ारीं जाती हैं।
02. ऐतिकाफ के दौरान किसी से बेवजह बात भी नहीं की जाती।
03. ऐतिकाफ के दौरान ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह का ज़िक्र किया जाता है। फ़र्ज़-सुन्नत के अलावा नफ़िल नमाज़ें भी पढ़ीं जाती हैं। क़ुरआन की तिलावत की जाती है।

इस्लाम ने जान-बूझकर अपनी जान को हलाकत (मौत के मुंह) में डालने से मना किया है। अगर हमारी जान को ख़तरा हो तो उसे बचाने के लिये इस्लाम ने उन चीज़ों को भी खाने की इजाज़त दे दी जिनको अल्लाह तआला ने हराम क़रार दिया। यह है इंसानी जान की क़द्रो-क़ीमत।

फिर हम क्यों इस लॉकडाउन के दौरान बिला वजह बाहर निकलकर अपनी जान को हलाकत में डालने पर तुले हुए हैं? बेशक ज़िंदगी और मौत अल्लाह तआला के इख़्तियार में है। उसके हुक्म के बिना कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। लेकिन हमें यह बात भी याद रखनी चाहिये कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बिना मुँडेर (चारदीवारी) वाली छत पर सोने से भी मना किया है। क्या आप जानते हैं क्यों मना किया? इसलिये कि नींद में करवट बदलने के दौरान इंसान नीचे गिर सकता है। उसे चोट लग सकती है या वो मर भी सकता है।

कोरोना की बीमारी को फैलने से रोकने के लिये सरकार सख्ती बरत रही है तो हमें इस वक़्त एहतियात बरतने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिये।

इसलिये इस पोस्ट के ज़रिए हम आपसे अपील करते हैं कि आप 21 दिन के इस वक़्त को नेकी कमाने का मौक़ा बना लें।

हम जानते हैं कि आपको घर में बैठने की आदत नहीं है लेकिन अपने दिल को समझाने के ऐतिकाफ की मिसाल को सामने रख लें।

इस 21 दिन के एकांतवास के दौरान जितनी भी नेकी आप कर सकते हैं, कर लें। रोज़ा रखें, नमाज़ें पढ़ें, अपनी ख़ताओं को याद करके तौबा-इस्तिग़फ़ार करें, अल्लाह तआला से ख़ूब दुआएं मांगे। यह दिन बहुत तेज़ी से गुज़र जाएंगे।

आख़िर में हम यही दुआ करते हैं कि जो डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ अपनी जान पर खेलकर कोरोना मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं, अल्लाह तआला उनकी हिफ़ाज़त फ़रमाए, आमीन। जो लोग इस मुश्किल घड़ी में ग़रीबों-मिस्कीनों की मदद करके नेकियाँ कमा रहे हैं अल्लाह तआला उनके इस अमल को क़ुबूल फ़रमाए। इस नेकी के काम में हमें भी अपनी इस्तिताअत (क्षमता) के मुताबिक़ हिस्सा लेने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए, आमीन।

हमेशा की तरह एक बार फिर हम आपसे इस पोस्ट को शेयर करके दूसरों तक पहुंचाने की गुज़ारिश करते हैं।