गरीबी-भुखमरी से जिहाद कीजिये

  • Fri, 01 Mar 2019
  • National
  • Abbas Pathan

अमेरिका, रूस, इस्राईल, फ्रांस, जर्मनी, चीन ये हथियार बनाने वाले प्रमुख देश हैं। दुनिया के सैनिकों, आतंकियों, उग्रवादियों, नक्सलियों, विद्रोहियों के हाथों में इन्हीं की फैक्टरियों से निकले हथियार होते हैं, जिन्हें काँधे पर ढोकर वे अपनी सीमा ,अपना धर्म और अपना हठ बचाते हैं। 14 फरवरी को पुलवामा में सैनिकों के काफिले पर हमला करने वाले फिदायीन आदिल डार का वीडियो गौर से देखें तो पाएंगे कि उसने अपने इर्द-गिर्द प्रदर्शनी में जो हथियार सजाएं है वे सभी यूएस निर्मित हैं, अर्थात्‌ शांति का सबसे बड़ा चौधरी ही दुनिया में अशांति के लिये सबसे बड़ा ज़िम्मेदार है।

अब दूसरी गौर करने की बात ये है कि जो हथियार बनाने वाले देश हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था शस्त्र निर्माण से चलती है, वे विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं। उन देशों में आम आदमी का जीवन-स्तर उच्च स्तर का है। वहां के नागरिक भूख से नहीं मरते हैं और न ही भूख से पैदा होने वाली बीमारियों से वहां के लोग ग्रस्त हैं। उनके यहाँ जो बीमारियाँ हैं, वे अधिक खाने की वजह से है। हमारे देश भारत में प्रतिदिन 800 से 1000 मौतें भूख के कारण होती हैं। कुपोषण वहाँ न के बराबर है और हमारे देश के बड़े अस्पतालों में कुपोषण के इलाज के लिये जो वार्ड हैं उनके सभी पलंग मरीजों से भरे हुए होते हैं।

हथियार बनाने वाले उन विकसित देशों की सड़कें देखिये जैसे ब्रेड पर चाकू से मक्खन लगा दिया गया हो; और हमारे यहां की सड़कों को देखिये, यहाँ जितनी भी महिलाओं के अनचाहे गर्भपात होते हैं उनमें अनेक महिलाओं के गर्भपात का कारण इन सड़कों के गड्ढे हैं। इन गड्ढों से हमारी गाड़ियों का मेंटेनेंस खर्च और ईंधन खर्च दोनों बढ़ जाता है । इन गड्ढों में भरा गंदा पानी हमारे घरों में मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियाँ फैलाने वाले मच्छरों का ठिकाना होता है। सड़कों के ये गड्ढे अनेक लोगों की मौत का कारण भी बनते हैं।

हमारे देश में सफाई कर्मचारियों के पास पर्याप्त आधुनिक साधन उपलब्ध नहीं हैं; हर साल सीवर की ज़हरीली गैसों से अनेक सफाईकर्मी मरते हैं। विकसित देशों में सफाईकर्मियों की सुरक्षा के पर्याप्त साधन हैं; कचरे को डिस्पोज करने वाली अत्याधुनिक मशीनें हैं जिनसे वे बिजली और खाद बनाते हैं।

अनचाहे युद्ध एवं युद्ध होने की आशंका से जूझ रहे भारत-पाकिस्तान जैसे देशों को ये ज़रूर सोचना चाहिये कि उन्हें अपने बजट का बड़ा हिस्सा हथियारों के स्टॉक करने में लगाना चाहिये या सफाई की बेहतर व्यवस्था, उत्तम चिकित्सा प्रणाली, बेहतर सड़कों और बिजली, पानी, सीवर आदि की लाइनों के अच्छे रख-रखाव में खर्च करना चाहिये? हमें हज़ारों-करोड़ रुपयों के हथियार और युद्धक विमान चाहिए या भुखमरी से लड़ने के संसाधन?

भारत में 20% से अधिक मामलों में बच्चों का वज़न उनकी लम्बाई के अनुपात में कम है; भूख से पीडि़त दुनिया की 25% आबादी भारत में रहती है। भारत में करीब साढ़े 19 करोड़ लोग कुपोषित हैं। 119 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 103वीं रैंक पर है तो पाकिस्तान की रैंक106 है, यानी हमसे भी बुरी हालत पाकिस्तान की है। अफगानिस्तान की रैंक107 है जो लम्बे समय से युद्ध के मलबे पर बैठा है। पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान के चरमपंथी सोचें कि वे किससे जिहाद के मंसूबे पाले बैठे हैं? भूख, कुपोषण, गंदगी और लाइल्मी (अशिक्षा) से जिहाद कीजिये। हम हंगर इंडेक्स में भी पड़ौसी ही हैं, हमे हथियार नहीं शिक्षा, रोटी और अच्छी सेहत की ज़रूरत है; बजाय शस्त्र-निर्माता देशों की कठपुतली बनने के।