ग़लत ख़बर/लेख छापने वाले अख़बार का परमानेंट इलाज

  • Sat, 11 Apr 2020
  • National
  • Saleem Khilji

कोई घर बनाने से पहले रॉ मेटीरियल का इंतज़ाम करना ज़रूरी होता है, उसी तरह केस फाइल करने से पहले ज़रूरी सबूत जुटाना ज़रूरी है। जो भी अख़बार मुस्लिम समाज के बारे में ग़लत लिख रहा है उस अख़बार के संपादक को किसी भी वकील के ज़रिए लीगल नोटिस भेजकर निम्नलिखित फॉर्मेट में माँग करें।

श्रीमान संपादक महोदय,
दैनिक .......................

01. आपने अपने अख़बार दैनिक ................... की .............. (तारीख़) के .............. (शहर) संस्करण में, पेज न .......... पर जो ख़बर/लेख छापा है, उसकी जानकारी आपने कहाँ से ली? कृपया अपने अख़बार के अगले अंक के पहले पन्ने पर संदर्भ/जानकारी का स्रोत बताने का कष्ट करें।

02. क्या आप उस जानकारी के सही एवं सत्य होने के प्रति आश्वस्त हैं, अर्थात क्या आप मानते हैं कि उक्त ख़बर पूरी तरह सच हैं? यदि हाँ तो अपने अख़बार के अगले अंक में इस दायित्व को स्वीकार करें।

03. यदि आप छापी गई ख़बर का स्रोत नहीं बताते हैं और उसके सत्य होने का दायित्व भी स्वीकार नहीं करते हैं तो क्या ये माना जाए कि उक्त ख़बर/लेख ग़लत तथ्यों पर आधारित है? अगर ऐसा है तो आपसे निवेदन है कि अपने अख़बार के अगले अंक के पहले पेज पर इसकी क्षमायाचना करें।

श्रीमान! आप एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के संपादक हैं। आपके समाचार पत्र में प्रकाशित प्रिंट लाइन के अनुसार आप समाचार चयन के लिये उत्तरदायी हैं। यदि आप इस उत्तरदायित्व का निर्वाह नहीं करते हैं तो मजबूर होकर हमें सक्षम न्यायालय में वाद दायर करना होगा, जिसके समस्त हर्जे-खर्चे का दायित्व आप पर होगा।

भवदीय,
....….......... (एडवोकेट)
दिनाँक : .............

अगर ज़रूरी समझें तो वकील साहब कुछ मैटर घटा-बढ़ा लें। अगर अख़बार का संपादक कोई रिस्पॉन्स न दे तो फिर कोर्ट में मुक़द्दमा दायर किया जाये। उस समय यह नोटिस कोर्ट में एक ज़रूरी दस्तावेज बनेगा कि हमने क्यों कोर्ट की शरण ली है? मेरा ख़याल है ऐसा किये बिना ये लोग ग़लत ख़बरें छापने से बाज़ नहीं आएंगे। इस पोस्ट को दूसरे ग्रुप्स में भी शेयर करें ताकि प्रेक्टिकल काम शुरू हो सके।