कोरोना वैक्सीन तैयार, इंसानों पर परीक्षण शुरू

  • Sat, 25 Apr 2020
  • Covid
  • Saleem Khilji

रमज़ान का पहला रोज़ा एक बड़ी उम्मीदभरी ख़बर लेकर आया है। सबसे पहले हम तमाम लोगों से गुज़ारिश करते हैं कि इफ़्तार के वक़्त दुआ करें कि इस महामारी कोरोना Covid-19 का यह टीका (वैक्सीन) कामयाब हो। इस वैक्सीन को ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ग्रुप ने तैयार किया है।

आइये अब हम इसके बारे में एकदम भरोसेमंद जानकारी विस्तार के साथ बताते हैं।

21 अप्रैल 2020 को ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मेट हैनकॉक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस वैक्सीन के 23 अप्रैल 2020 से इंसानों पर ट्रायल शुरू करने की घोषणा की। ट्रायल शुरू होने के बाद रिसर्चर टीम ने इसके बारे में और ज़्यादा जानकारी दी। आज के इस ब्लॉग में हम सभी पहलुओं के बारे में पॉइंट-टू-पॉइंट जानकारी देंगे, इंशाअल्लाह।

■ ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मेट हैनकॉक का बयान

21 अप्रैल को उन्होंने कहा, "यह एक नई बीमारी है। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि हम वैक्सीन बनाने के लिये हर संभव कोशिश करेंगे। इस वैश्विक लड़ाई में ब्रिटेन आगे बढ़कर मुश्किल का सामना कर रहा है।"

उन्होंने कहा, वैक्सीन के लिये हमने दुनिया के बाक़ी देशों के मुक़ाबले ज़्यादा पैसा लगाया है। दुनिया भर में जितनी कोशिशें हो रही हैं, उनमें ऑक्सफ़ोर्ड और इम्पीरियल सबसे आगे हैं। हमने इम्पीरियल प्रोजेक्ट के लिये 22.5 मिलियन पाउंड (21232,60,440.30 रुपये) और ऑक्सफ़ोर्ड टीम के लिये 20 मिलियन पाउंड (18873,42,613.60 रुपये) एलॉट किये हैं।

वैक्सीन निर्माण में प्रारंभिक कामयाबी की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा, मैं आज यह घोषणा कर रहा हूँ कि ऑक्सफ़ोर्ड टीम की तरफ़ से तैयार की गई वैक्सीन का 23 अप्रैल से इंसानों पर ट्रायल शुरू किया जाएगा। मुझे इस टीम पर गर्व है। जिस काम में कई साल लग जाते हैं, उसे उन्होंने 3 महीने में कर दिखाया।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री की इस घोषणा के बाद सबको ट्रायल शुरू होने और उसके बारे में जानकारी पाने की उत्सुकता पैदा हो गई। आदर्श मुस्लिम अख़बार भी इस घटनाक्रम पर नज़र टिकाए हुए था। आज हम आपके सामने वीडियो के साथ इस वैक्सीन के बारे में सही जानकारी पेश कर रहे हैं।

■ वैक्सीन ट्रायल के बारे में ऑक्सफ़ोर्ड टीम का बयान

ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के कोरोना वैक्सीन ग्रुप ने इसके परीक्षण के लिये 800 लोगों को इस वैक्सीन का इंजेक्शन लगाया है, जिनकी उम्र 18 साल से 55 साल के बीच है। इनमें माइक्रो बायोलॉजिस्ट एलिसा ग्रनाटो (32 साल) पहली महिला वालंटियर बनीं।

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन ग्रुप से जुड़ी प्रो. सारा गिल्बर्ट ने कहा, मुझे निश्चित तौर पर लगता है कि ये वैक्सीन काम करेगी। लेकिन जब तक हम साबित नहीं कर देते कि यह कारगर है और ये लोगों को संक्रमित होने से बचा सकती है, तब तक हम इसका आम लोगों के बीच इस्तेमाल नहीं करेंगे।

इतना पढ़ने के बाद आपके मन में इस टीके के प्रति उत्सुकता बढ़ गई होगी।

■ यह वैक्सीन कैसे काम करेगी?

ऑक्सफ़ोर्ड के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की सतह से स्पाइक प्रोटीन से जीन (गुणसूत्र) लेकर उसे एक हानिरहित वायरस में डाल दिया और उससे इस वैक्सीन को तैयार किया।

इंजेक्शन लगाने के बाद, वैक्सीन कोशिकाओं के अंदर जाकर, कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन बनाना शुरू कर देती है। इससे शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम, एंटीबॉडीज़ बनाना शुरू कर देता है और टी-कोशिकाओं को सक्रिय कर देता है। ये टी-कोशकाएं, भविष्य में भी कोरोना वायरस को पहचान लेगी और उसे नष्ट कर देगी।

यह वैक्सीन, कामयाब है या नहीं इसका पता तभी चल पाएगा जब ये वालंटियर्स कोरोना वायरस के संपर्क में आएंगे।

कोरोना वैक्सीन ग्रुप के निदेशक, एंड्रयू पोलार्ड का कहना है कि महामारी की मौजूदा वेव ख़त्म होने से पहले ही वे इसका परीक्षण पूरा कर लेना चाहते हैं। उनका कहना है कि अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो अगले कुछ महीनों तक नहीं बता पाएंगे कि ये वैक्सीन काम करती है या नहीं? लेकिन उनका यह भी मानना है कि अभी वायरस ख़त्म नहीं हुआ इसलिये और भी मामले सामने आएंगे।

■ इस पर बड़ी उम्मीदें टिकी हैं

कोरोना महामारी की इस वैक्सीन को -80℃ तापमान वाले फ्रीज़र में रखा गया है। ऐसा बहुत कम ही हुआ है कि किसी मेडिकल ट्रायल पर इतने लोगों की उम्मीदें टिकी हों।

ऑक्सफ़ोर्ड की इस टीम को उम्मीद है कि सितंबर 2020 तक उसके पास 10 लाख टीके उपलब्ध होंगे। उसके बाद बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू होगा।

हालांकि यह नहीं बताया गया है कि यह वैक्सीन पहले किसे दी जाएगी? लेकिन उसके पहले लोगों के मन में यह है कि यह वैक्सीन कामयाब हो जाए और दुनिया के सभी लोग इसके आतंक के साये से बाहर आ जाएं।

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