अंधी नफ़रत हमें कहाँ ले जाएगी?

  • Fri, 17 Apr 2020
  • National
  • Saleem Khilji

लोग कहते हैं, मुहब्बत अंधी होती है। लेकिन हमारा मानना है, नफ़रत अंधी होती है। मुहब्बत में इंसान, अपने महबूब की ग़लत बातों के प्रति आँखें मूंद लेता है लेकिन नफ़रत जब किसी के दिल में आ जाए तो उस इंसान में अच्छाई को देखने की सलाहियत भी ख़त्म हो जाती है। आज की पोस्ट में हम दिल्ली की एक सच्ची घटना के ज़रिए इस नफ़रत को समझने और उसे दूर करने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

8 अप्रैल 2020 की एक ख़बर है। दिल्ली के पॉश इलाके डिफेन्स कॉलोनी में एक परिवार के तीन लोगों के साथ साथ उनके वॉचमैन को भी कोरोना पॉज़िटिव पाया गया। उस परिवार को कोरोना का शक होते ही वे मैक्स अस्पताल पहुँच गए और वहाँ रिपोर्ट पॉज़िटिव आने पर उन्हें आइसोलेट कर दिया गया।

मैक्स अस्पताल में भर्ती हुए उस परिवार में एक 80 साल के बुज़ुर्ग, उनकी बीवी और उनका बेटा है। इस परिवार की ओर से यह आरोप लगाया गया कि उनका वाचमैन निज़ामुद्दीन मर्कज़ जाता था और उसने यह बात उनसे छुपाई।

उस परिवार की शिकायत पर वॉचमैन के ख़िलाफ़ F.I.R दर्ज की गई। दिल्ली साउथ के डी.सी.पी. अतुल ठाकुर के मुताबिक़ डिफेन्स कॉलोनी में रहने वाले परिवार के सिक्योरिटी गार्ड के खिलाफ़ दिल्ली पुलिस ने शक के आधार पर IPC- 188, 269, 270 की धाराओं में FIR दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने इस बात की जाँच कर रही है कि कहीं ये सुरक्षा गार्ड मुस्तकीम तब्लीग़ी जमाअत के निज़ामुद्दीन मरकज़ के लोगों के सम्पर्क में तो नहीं आया है?

इस ख़बर के आम होने के बाद मुस्लिम समुदाय में नाराज़गी देखी गई। बहुत से लोगों के मन में यह बात आई कि वाचमैन चूँकि मुसलमान है इसलिये उस पर शक किया गया है कि कहीं वो जमाअत में तो नहीं गया या किसी जमाती के सम्पर्क में तो नहीं आया? लोगों के मन में इस बात को लेकर भी नाराज़गी देखी गई कि एक ग़रीब, जो दिन भर जिनके दरवाज़े पर उनकी हिफाज़त के लिए बैठा रहता है, उस करोड़ों की कोठी में रहने वाले लोगों ने उसके धर्म के आधार पर कोरोना फैलाने का मुजरिम समझ लिया।

अगर उस परिवार ने, वाक़ई नफ़रत भरी सोच के चलते ऐसा किया तो इसकी हर भारतवासी निंदा करेगा, इसका हमें यक़ीन है और अगर उन्होंने किसी ग़लतफ़हमी या किसी ग़लत इरादे के बिना ऐसा किया तो बात अलग है।

बहरहाल, इस पोस्ट के लिखे जाने तक की ख़बर यह है कि उस परिवार के 80 वर्षीय बुज़ुर्ग की मौत हो गई है, उनकी बीवी को डिस्चार्ज कर दिया गया है और बेटा अभी भी आइसोलेशन में रखा गया है।

इस पूरे मामले में राहतभरी ख़बर यह है कि उस वाचमैन की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल की 11 अप्रैल 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक़ वाचमैन को कोरोना नहीं है। उससे भी ज़्यादा राहत और ख़ुशी की बात यह है कि यह सच्चाई, एनडीटीवी की रिपोर्टर सुकीर्ति के ज़रिए देशवासियों तक पहुँची। हमें अपने देश के इस सौहार्द्र व सद्भावना पर गर्व है।

यही नहीं एनडीटीवी रिपोर्टर ने उस मुस्लिम वाचमैन से बात करके सच्चाई सामने लाने की कोशिश की। एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक़ उस वाचमैन ने कहा कि वो निज़ामुद्दीन क्षेत्र की एक मस्जिद में नमाज़ पढ़ने तो जाता था लेकिन वो तब्लीग़ी जमाअत के मर्कज़ नहीं गया। जिस मस्जिद में वो नमाज़ पढ़ने जाता था वो मर्कज़ से लगभग 20 मीटर दूर है।

इस पोस्ट के ज़रिए हम एक बार फिर सभी देशवासियों से यह अपील करना चाहते हैं कि आधारहीन अफवाहों पर ध्यान न दें क्योंकि उनकी वजह से सिर्फ़ अंधी नफ़रत पैदा होती है। देश के सामने असली चुनौती यही है कि हम नफ़रत मिटाकर मुहब्बत का माहौल कैसे बनाएं? यह काम आपसी विश्वास और सद्भावना से ही मुमकिन है। हमें यक़ीन है कि आखिरकार मुहब्बत जीतेगी।

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