यति नरसिंहानंद पर क्या कोई कार्रवाई होगी?
इस न्यूज़ एंड व्यूज़ रिपोर्ट को पढ़ने से पहले इसके साथ दी गई 21 जून 2021 यानी कल के द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के स्क्रीनशॉट को देखिये। दिल्ली पुलिस के मुताबिक महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने पूछताछ के दौरान माना है कि उन्होंने 'पैग़ंबर मोहम्मद साहब पर टिप्पणी की थी।'
यति नरसिंहानंद सरस्वती की इस स्वीकारोक्ति के बाद क्या उन्हें गिरफ़्तार किया गया? ऐसी कोई ख़बर किसी अख़बार या न्यूज़ मीडिया में देखने को नहीं मिली।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक महंत नरसिंहानंद से ये पूछताछ दिल्ली में अप्रैल में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर की गई थी। करीब ढाई घंटे तक चली पूछताछ के दौरान महंत ने ये दावा भी किया कि लोगों ने उन्हें 'ग़लत समझा।'
द इंडियन एक्सप्रेस ने महंत से हुई पूछताछ को लेकर दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया है कि प्रेस क्लब में 1 अप्रैल 2021 को हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले का ख़ुद संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया था।
ग़ौरतलब है कि यति नरसिंहानंद सरस्वती ने 1 अप्रैल 2021 को नई दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में अल्लाह के नबी हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसकी वजह से देश भर में मुस्लिम समुदाय में आक्रोश पैदा हुआ। सरस्वती के ख़िलाफ़ कड़ी क़ानूनी कार्रवाई की माँग की गई। उसी मामले को लेकर पुलिस में केस दर्ज हुआ। क़रीब ढाई महीने बाद इस केस के संबंध में पुलिस की तरफ़ से कोई बयान सामने आया है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने बताया कि इस मामले में पहली पूछताछ जांच अधिकारी ने की थी। उसके बाद एसीपी रैंक के एक अधिकारी की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम ने उनसे दोबारा पूछताछ की।
पुलिस के मुताबिक जब महंत नरसिंहानंद सरस्वती से प्रेस क्लब में दिए गए बयान के बारे में पूछा गया तो "सरस्वती ने माना कि उन्होंने ये बयान दिया था लेकिन दावा किया कि लोगों ने उन्हें ग़लत समझा और उनकी मंशा की गलत व्यख्या की गई।"
पुलिस के मुताबिक महंत के बयान के वीडियो को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाना था लेकिन जब महंत ने मान लिया कि बयान सही है तो पुलिस ने जांच नहीं कराने का फ़ैसला किया।
हम आपको बता दें कि भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में किसी अपराध के मामले में आरोपी पर कार्रवाई किये जाने का एक सिस्टम है। जब किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कोई केस दर्ज होता है तो उससे पूछताछ की जाती है। उसके ख़िलाफ़ पेश किये गये ऑडियो-वीडियो सहित सभी सबूतों की जाँच की जाती है। आरोपी व्यक्ति के बयान लिये जाते हैं। अगर आरोपी ख़ुद मान लेता है या पुलिस इन्वेस्टिगेशन में मामला सच पाया जाता है तो पुलिस आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करके अदालत में पेश करती है और अदालत मामले की सुनवाई के बाद उचित सज़ा देती है।
दिल्ली पुलिस द्वारा जारी उपरोक्त बयान उसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। देश के क़ानून में भरोसा रखने वाले सभी नागरिकों के मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि जब आरोपी नरसिंहानंद सरस्वती ने यह मान लिया है कि उन्होंने कथित आपत्तिजनक बयान दिया था तो उसकी गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई?
अगर यति नरसिंहानंद सरस्वती भारत की क़ानून व्यवस्था में विश्वास रखते हैं तो उन्हें ख़ुद गिरफ़्तारी देनी चाहिये। यति नरसिंहानंद का बयान सही था या ग़लत? उन्होंने कोई अपराध किया या नहीं? यह सब तय करना अदालत का काम है। अपने-आप को "क्लीन चिट" देकर वो क्या दर्शाना चाहते हैं?
ग़ौरतलब है कि यति नरसिंहानंद ग़ाज़ियाबाद स्थित डासना में एक मंदिर के महंत हैं। ये मंदिर मार्च 2021 में उस वक़्त चर्चा में आया था जब यहां नल से पानी पीने को लेकर एक मुस्लिम बच्चे की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने उस वक़्त कहा था कि उन्हें इस घटना पर कोई अफ़सोस नहीं है।
हमारे देश में मुस्लिम कट्टरता पर तो खुलकर चर्चा होती है लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि हिंदू समाज में बढ़ते कट्टरपंथी व्यक्तियों के बारे में मौन साध लिया जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिये।
इस आर्टिकल पर आप अपनी राय कमेंट करके दे सकते हैं। हम आपके विचारों का स्वागत करते हैं।
सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क
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