वसीम रिज़वी : अब इंटरनेशनल बेइज़्ज़ती का इरादा

वसीम रिज़वी : अब इंटरनेशनल बेइज़्ज़ती का इरादा

आज के इस ब्लॉग में हम यह बताएंगे कि सुप्रीम कोर्ट में वसीम रिज़वी की ओर से क्या दलीलें दी गईं? सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? और अब वसीम रिज़वी का इरादा क्या है?

उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी ने क़ुरआन मजीद से 26 आयतें हटाने की माँग को लेकर जो रिट दायर की थी उस पर आज 12 अप्रैल 2021 को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरएफ नरीमन की अगुवाई वाली बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान वसीम रिज़वी के वकील ने कहा, मुझे इस SLP के बारे में सारे तथ्य पता हैं।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह SLP नहीं रिट है और आप अपनी याचिका को लेकर कितने गंभीर हैं?

इस पर वसीम रिज़वी के वकील ने कहा कि मदरसों में यह आयतें पढ़ाई जाती हैं, छात्रों को इससे मिसगाइड किया जाता है, यही आयतें पढ़ाकर और समझा कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी तैयार किए जाते हैं।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह निराधार याचिका है। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने वसीम रिज़वी पर पचास हजार रुपए जुर्माना लगाकर याचिका खारिज कर दी।

क़ाबिले-ग़ौर बात : वसीम रिज़वी की ओर से उसके वकील ने क़ुरआन की 26 आयतों के ज़रिए आतंकवादी तैयार करने का इल्ज़ाम लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी रिट को *निराधार बताकर उसके ज़रिए लगाए गये इल्ज़ाम को ही निराधार यानी बेबुनियाद बता दिया।

इस सुप्रीम हार के बाद भी वसीम रिज़वी की हालत रस्सी जल गई, बल नहीं गये वाली है। उसने अपने फेसबुक पेज पर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो पर लड़ाई अभी बाक़ी है मेरे दोस्त कैप्शन लगाकर वसीम रिज़वी ने कहा, हम वकीलों से राय कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाख़िल करेंगे। इस मामले को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जुरिस्डिक्शन में जाएंगे।

एक कहावत है, विनाश काले, विपरीत बुद्धि यानी जब किसी शख़्स की बर्बादी के दिन आते हैं तो उसकी अक़्ल उल्टा सोचने लगती है। कुछ ऐसा ही हाल, इस्लाम से मुर्तद वसीम रिज़वी का है। इसके नसीब में अभी और ज़्यादा ज़लील (अपमानित) होना बाक़ी है।

आपके मन यह सवाल उठ रहा होगा कि एसएलपी क्या होती है जिसका ज़िक्र सुनवाई के दौरान आया और सुप्रीम कोर्ट ने उसे नकार दिया।

क्या है SLP (स्पेशल लीव पिटीशन या विशेष अनुमति याचिका)?

SLP न्यायपालिका में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें आप सीधे उच्च कोर्ट में जा सकते हैं। आम तौर पर ये सुप्रीम कोर्ट में तब दाखिल की जाती है, जब कोई मामला बेहद महत्व का होने के साथ फौरी कार्रवाई का होता है। निचली कोर्ट यानि हाईकोर्ट उस पर समय रहते समुचित कार्रवाई नहीं कर रही होती है। वसीम रिज़वी की रिट में ऐसी कोई बात ही नहीं थी इसलिये सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाई।

तमाम मुसलमानों को अल्लाह का शुक्र अदा करना चाहिये। अल्लाह ने अपने कलाम की हिफ़ाज़त का वादा किया है। उसका वादा क़यामत तक क़ायम रहेगा, इन् शा अल्लाह!

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सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़ आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम नम्बर 9829346786

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