वायरस फैलाने के बावजूद चमगादड़ क्यों नहीं मरता?

दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने के लिए चीन की एक लैब को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। अब ख़बर है कि वुहान (चीन) की उस लैब को अमेरिका ने चमगादड़ पर रिसर्च करने के लिए क़रीब 10 करोड़ रुपये का फंड दिया हुआ था। लेकिन हम इस बहस में पड़ने के बजाय कोरोना वायरस और चमगादड़ से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आज की पोस्ट में आपके सामने पेश करेंगे।

01. चमगादड़ में क्यों पनपते हैं इतने वायरस?

किसी भी जानवर में कुछ अनोखी ख़ासियतें होती हैं, जो उसे किसी वायरस का एक इंटरमीडिएट होस्ट (वाहक) बनने के लिए ज़रूरी होती हैं। चमगादड़ भी एक ऐसा ही जानवर है जिसमें कोरोना वायरस रहता है और वो लगातार अपने-आप में बदलाव करते हुए ख़ुद को ज़्यादा घातक बना सकता है।

आइये हम देखते हैं कि चमगादड़ में वो कौनसी ख़ूबियां हैं जिनकी वजह से उसमें घातक वायरस पनपते हैं।

उस जानवर की उम्र लंबी होनी चाहिए। एक चमगादड़ की सामान्य उम्र 16 से 40 साल के बीच होती है। इसलिये से चमगादड़ अधिक से अधिक वायरसों के लिए एक अच्छा होस्ट बनता है।

वायरस अपने फैलने के लिये ऐसे जानवर चाहता है जो बहुत बड़ी संख्या में एक साथ रहते हों। यह ख़ूबी भी चमगादड़ में होती है। वे एक झुंड के रूप में रहते हैं।

वायरस के पनपने के लिये यह ज़रूरी है कि उसके होस्ट जीव का क्लोज सोशल इंटरेक्शन हो। क्लोज सोशल इंटरेक्शन को आप झुंड में रहकर खाने से समझ सकते हैं।

वायरस की ज़्यादा फैलाव के लिए ज़रूरी है कि उस जीव में उड़ने की अच्छी क्षमता हो ताकि एक बार में लंबी दूरी तय कर पाएं और उसे दूर-दूर तक फैलने में सहायता मिल सके।

02. मर्स वायरस चमगादड़ से ऊँट में आया था

जब मर्स वायरस फैला था तब उस समय उसका वायरस चमगादड़ से अरेबियन ऊंट में आया था और उसे अपना नैचरल रिजरवॉयर होस्ट बना लिया। ऊंट से यह वायरस दुर्घटनावश इंसानों में ट्रांसमिट हो गया। लेकिन मर्स का ह्यूमन टु ह्यूमन ट्रांसमिशन (इंसानों के बीच संक्रमण) लंबे समय तक नहीं टिका। चमगादड़ से फैला मर्स वायरस तो इंसानी जिस्म में आकर ख़त्म हो गया लेकिन सार्स वायरस ने इंसानों में काफ़ी तबाही मचाई थी। वैसे मर्स वायरस ऊंटों के लिए भी बहुत कम हानिकारक था।

03. वायरस अपना होस्ट कैसे चुनता है?

जब कोई वायरस किसी व्यक्ति या जीव में दाख़िल होता है तो यह बात विशेष महत्व रखती है कि उस व्यक्ति के बॉडी सेल के ऊपर बने रिसेप्टर्स के साथ वायरस की सतह पर लगे प्रोटीन कितनी अच्छी तरह बाइंड हो पाते हैं? अगर यहा बाइंडिंग अच्छी हो जाती है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वायरस इस जीव को अपना होस्ट बना लेगा। सार्स और सार्स कोरोना-2 की अगर तुलना करें तो रिसर्च में यह बात सामने आई है कि सार्स कोरोना-2 की इंसानों के शरीर में बाइंडिंग कैपेसिटी 10 से 20 गुना अधिक है।

04. कोरोना से क्यों नहीं मरता चमगादड़?

जब कोरोना वायरस किसी जीव में संक्रमण फैलाता है तो उसके अंदर तेजी से इंफ्लेमेशन (सूजन) होता है। लेकिन चमगादड़ में इंफ्लेमेशन कमज़ोर होता है। इसकी वजह यह है कि चमगादड़ के इंफ्लेमेट्री रिस्पॉन्स में खामी होती है।

दूसरी वजह यह है चमगादड़ों में नैचरल किलर सेल्स की ऐक्टिविटी काफी कम होती है जिसके कारण चमगादड़ के अंदर इस वायरस के इंफेक्शन को ले जानी वाली सेल्स मरती नहीं हैं।

तीसरी वजह यह है कि चमगादड़ का मेटाबॉलिक रेट बहुत हाई होता है, इस कारण उसमें अधिक मात्रा में रिऐक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) बनती हैं, जो कोरोना वायरस को तेजी से रेप्लिकेट (प्रतिरूप) बनाने से रोकती हैं, साथ ही इसका म्यूटेशन रेट बढ़ा देती हैं। चमगादड़ में बढ़े हुए म्यूटेशन के कारण कोरोना को चमगादड़ के शरीर से दूसरे जानदार में पनपने में आसानी होती है। इतना ही नहीं लगातार होनेवाला यह म्यूटेशन कोरोना को अधिक घातक भी बनाता है।

05. चमगादड़ में क्यों बना रहता है कोरोना?
चमगादड़ के अंदर स्ट्रॉन्ग इम्यून रिस्पॉन्स नहीं होता जिसके कारण चमगादड़ के अंदर फेफड़ों के जानलेवा नुकसान के चांस कम हो जाते हैं क्योंकि उसके फेफड़ों और शरीर में उतनी सूजन नहीं आती है कि उसे कोरोना के कारण सांस लेने में तकलीफ हो।

चमगादड़ के अंदर इंटरफेरॉन रेस्पॉन्स बहुत मज़बूत होता है। इंटरफेरॉन वे कैमिकल्स होते हैं, जो शरीर में किसी भी वायरस के रेप्लिकेशन (डुप्लिकेट कॉपी बनने) को रोकते है।

इसलिए इस बात पर हैरान होने की जरूरत नहीं है कि पिछले 20 साल में चमगादड़ से ही तीन तरह के कोरोना वायरस (मर्स, सार्स, कोविड-19) हमारी दुनिया में आए।

नोट : इस आर्टिकल में दी गई जानकारी इंटरनैशनल जर्नल ऑफ बायॉलजिकल साइंसेज में वर्ष 2020 में प्रकाशित हुए रिसर्च पेपर से ली गई है।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप समझ सकते हैं कि कोरोना वायरस Covid-19 से लड़ने के लिये हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक तंत्र (Immunity System) मज़बूत होना कितना ज़रूरी है। इसके साथ ही आप यह भी समझ गये होंगे कि क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार इम्यूनिटी मज़बूत करने की बात कर रहे हैं।

अगले लेख में हम इम्यूनिटी मज़बूत करने के उपायों पर जानकारी देंगे, इंशाअल्लाह। अगर यह पोस्ट आपको ज्ञानवर्धक लगी हो तो इसे शेयर करना न भूलें।

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