यूक्रेन पर रूसी हमला, भारत के लिये संदेश

पुतिन को फोन करो, लावरोव को फोन करो। इस हमले को बंद कराओ। आपने मेरे लोगों के ऊपर जो हमला किया है उसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। मिस्टर एम्बेसेडेर, वार क्राइम के गुनहगारों की जगह नरक में है।
ये दर्दभरी अपील, संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद (UN Security Council) में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किसलित्स्या की है। वे जब ये भावुक अपील कर रहे थे तब चेयर पर विराजमान थे रूसी राजदूत वैसिली नेबेंनजिया। 22 फ़रवरी 2022 को रूस ने अपने पड़ौसी देश यूक्रेन पर हमला कर दिया। इस हमले से हो रही मौतों और आने वाली तबाही का मंजर आंखों में समाए यूक्रेनी राजदूत को दुनिया के सारे पंच सन्न होकर सुन रहे थे।
यूक्रेन के राजदूत ने रूसी राजदूत से कहा, छोड़ दो ये कुर्सी, किसी और सदस्य देश को दे दो। इस पर रूसी राजदूत ने कहा, मैं ये बताना चाहता हूं कि रूस यूक्रेन के लोगों के प्रति आक्रामक नहीं है। रूस कीव में बैठे जुंटा के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।
जब हजारों किलोमीटर दूर यूएन की पंचायत लगी थी तब डोनबास (Donbas Region) और कीव (Kyiv) पर रूसी मिसाइलें कहर बरपा रही थीं। यूक्रेन के रूस पर हमले में अब तक 150 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा (Dymitro Kuleba) ने दावा किया है कि कोरोनावायरस से जूझ रहे उनके देश के अस्पतालों पर भी रूस ने हमले किए हैं।
संयुक्त राष्ट्र एक बार फिर नाकारा साबित हुआ है। क्या आप जानते हैं कि रूस के यूक्रेन पर हमले में भारत के लिये क्या संदेश छुपा है?
आज़ादी के बाद भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई थी। हालांकि बाद में भारत का झुकाव सोवियत संघ (रूसी यूनियन) की तरफ़ हो गया था। पिछले कुछ बरसों से भारत की विदेश नीति अमेरिका की तरफ़ झुक रही है। अमेरिका यूक्रेन को अपनी अगुवाई वाले नाटो में शामिल करना चाहता है और उसके ख़िलाफ़ है। अपने देश की सीमाओं की सुरक्षा के नाम पर रूस ने यूक्रेन की ऐसी-तैसी करने की ठान ली है।
अमेरिका ने भारत को अपनी अगुवाई वाले एक संगठन क़्वाड में शामिल किया है। अमेरिका भारत को चीन के ख़िलाफ़ उकसा रहा है। भारत को यूक्रेन के हालात से सबक़ लेने की ज़रूरत है। अमेरिका किसी का दोस्त नहीं है, उसे अपने फ़ायदे से मतलब है। ख़ुदा ना ख़्वास्ता अगर अमेरिका के उकसाने पर भारत चीन के साथ टकराव की नीति अपनाएगा तो ऐन मौक़े पर अमेरिका उसे भी धोखा देगा।
इसलिये हमारे देश के लिये बेहतर यही है कि अमेरिका के साथ न दोस्ती, न दुश्मनी वाली नीति अपनाए। देशवासियों के लिये भी बेहतर यही है कि साम्प्रदायिक टकराव को ख़त्म करके सद्भावना के रास्ते तरक़्क़ी की मंज़िल की ओर बढ़ें।
सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क
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