The Fact : ख़्वाबे-ग़फ़लत में सोये हुए मोमिनों, ऐश-ए-इशरत बढ़ाने से क्या फ़ायदा?

The Fact : ख़्वाबे-ग़फ़लत में सोये हुए मोमिनों, ऐश-ए-इशरत बढ़ाने से क्या फ़ायदा?

यह नज़्म पिछले कुछ अर्से से अल्लामा इक़बाल की असली आवाज़ बताकर शेयर की जा रही है। इस नज़्म के बोल यक़ीनन बहुत अच्छे और ईमान को बढ़ाने वाले हैं लेकिन यह नज़्म न तो अल्लामा इक़बाल ने लिखी और न ये आवाज़ उनकी है।

अल्लामा इक़बाल की मौत 21 अप्रैल 1938 को हुई थीं। उस दौर में इतनी बेहतर साउंड क़्वालिटी में रिकॉर्डिंग करना मुमकिन नहीं था। इसी बात को लेकर हमने सर्च की तो पता चला कि यह नज़्म क़ारी एहसान मोहसिन ने लिखी और ये आवाज़ भी उन्हीं की है। वे मुज़फ़्फ़रनगर (यूपी) के एक मदरसे में पढ़ाते हैं।

 

ख्वाब-ए-ग़फ़लत में सोये हुए मोमिनो,
ऐश-ओ-इशरत बढ़ाने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
आँख खोलो सुनो, ज़िक्र हक़ का सुनो।
आँख खोलो चलो, राहे-हक़ पर चलो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

ख्वाब-ए-ग़फ़लत में सोये हुए मोमिनो,
ऐश-ओ-इशरत बढ़ाने से क्या फ़ायदा?

अपने रब को जवानी में भूला है तू,
और ताक़त के बूते पे फूला है तू।
जब जवानी ढलेगी तो पछताएगा,
ऐसे रोने-रुलाने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

था हुकूमत का फ़िरऔन को भी नशा,
ज़ुल्म पर जुल्म वो ख़लकत पे करता रहा।
जब समन्दर में डूबा तो कहने लगा,
इस हुकूमत के पाने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

कितना मारूफ़ किस्सा है शद्दाद का,
रूह जब उसके तन से निकाली गई।
मरता-मरता वो लोगों से कहता गया,
ऐसी जन्नत बनाने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

मालदारी में मशहूर क़ारून था,
वो मुख़ालिफ़ था मूसा व हारुन का।
जब ज़मीं में धंसाया तो कहने लगा,
ऐसे बेजां ख़ज़ाने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

क़ाबिले-ज़िक्र किस्सा है नमरूद का,
वो भी इन्कार करता था माबूद का।
उसके भेजे को मच्छर ने खाकर कहा,
यूँ बड़ाई जताने से क्या फ़ायदा?

आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

अपनी शोहरत पे 'मोहसिन' यूँ न मचल
एक दिन आ दबोचेगी तुझको अजल।
रूह को साफ़ कर नेक आमाल कर,
जिस्म-ए-ज़ाहिर बनाने से क्या फ़ायदा?

ख्वाब-ए-ग़फ़लत में सोये हुए मोमिनो,
ऐश-ओ-इशरत बढ़ाने से क्या फ़ायदा?
आँख खोलो उठो, याद रब को करो,
उम्र यूँ ही गंवाने से क्या फ़ायदा?

आपको हमारी यह पेशकश यक़ीनन अच्छी लगेगी। इस पोस्ट को, नज़्म के लिंक के साथ ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक शेयर करें।

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Comments (4)
ABDUL GHANI

Bahot hi Umdah Nazm , un Nawjawano k Naam jo Apni Aish wa ishrat k chlte apne Rab ko bhula baithe .....

Sat 29, May 2021 · 11:29 pm · Reply
Mohammad Rafiq sardharia

Bahut khoob.. mashallah

Sat 29, May 2021 · 10:03 am · Reply
MD Korban Ali

To follow Allah's right path is always profitable. Almighty Allah shuvanu Tallaha has decreed us to stay with Him & to do good deeds avoiding evil deeds which will lead us towards the Hereafter. Aameen.

Sat 29, May 2021 · 09:04 am · Reply
Nasir shaikh

Jazak allah

Fri 28, May 2021 · 11:09 pm · Reply