सुरैया सितारे वाली हदीस की हक़ीक़त क्या है?
काफ़ी दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ वीडियोज़ और पोस्ट्स वायरल हो रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि 12 मई को सुरैया सितारा तुलूअ (उदित) हो रहा है, उसके बाद पूरी दुनिया में फैली वबा (महामारी) कोरोना ख़त्म हो जाएगी। यह दावा करने वाले मुसनद अहमद की एक हदीस का हवाला दे रहे हैं। आज के इस ब्लॉग में हम इसके बारे में सही जानकारी आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे, इंशाअल्लाह।
अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के हवाले से कोई बात कहने से पहले, उसकी तस्दीक़ (सत्यता की जांच) करना बहुत ज़रूरी है। जो बात अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने नहीं कही, उसको आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से जोड़ना बहुत बड़ा गुनाह है, ऐसा करने वाले ठिकाना जहन्नम है।
ठीक इसी तरह, अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की किसी हदीस को किसी मामले में, ग़लत मा'नों यानी ग़लत रेफरेंस में इस्तेमाल करना भी गुनाह की बात है।
■ किस हदीस के आधार पर दावा किया जा रहा है?
★ वायरल हो रही पहली हदीस यह है, जब सुबह के वक़्त सुरैया तुलूअ हो, तो आफ़त ख़त्म हो जाएगी। (मुसनद अहमद : 8495)
★ दूसरी हदीस यह है, जब सुरैया तुलूअ हो तो हर मुल्क से मुसीबत ख़त्म हो जाएगी। (आसार : 917)
★ तीसरी हदीस में कहा गया है, जब सुरैया तुलूअ हो तो पैदावार में मुज़रत (हानिकारकता) ख़त्म हो जाती है। (अल जामेउस्सग़ीर : 15587)
■ क्या इनका संबंध वबा (महामारी) से है?
सबसे पहले तो हम यह स्पष्ट कर दें कि ऊपर बयान की गई ये अहादीस सहीह है या ज़ईफ़, इसमें किसी को इख़्तिलाफ़ हो सकता है। बहरहाल, इस मसले को समझने के लिये जब हम एक दीगर रिवायत को पढ़ते हैं तो बात पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है।
★ एक शख़्स ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से पूछा, फलों की ख़रीद कब की जाए? तो उन्होंने जवाब दिया, नबी-करीम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उस वक़्त तक फलों की ख़रीद से मना किया है, जब तक कि वो मुज़रत (हानिकारकता) से महफूज़ (सुरक्षित) न हो जाएं। पूछा गया, मुज़रत कब ख़त्म होगी? तो आपने जवाब दिया, जब सुरैया तुलूअ हो जाए। (मुसनद अहमद : 5012)
अब आप समझ गये होंगे कि जिन हदीसों के आधार पर कोरोना महामारी के ख़त्म हो जाने का दावा किया जा रहा है, असल में उनका संबंध फलों की ख़रीद से है।
■ सुरैया सितारा क्या है?
आसमान में कितने सितारे हैं, उनकी सही गिनती अल्लाह को ही मालूम है। सुरैया नाम के एक सितारे का ज़िक्र अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कई और जगह पर भी किया है। सहीह बुख़ारी की एक हदीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया था कि अहले फ़ारस में एक शख़्स पैदा होगा जो इल्म को निकाल ले आएगा, अगरचे वो सुरैया सितारे में ही क्यों न छिपा हो।
सुरैया एक ऐसा सितारा है जो हमारी धरती से बहुत दूर है इसलिये किसी श्रेष्ठता को प्राप्त करने के लिये सुरैया को छू लेना जैसा मुहावरा इस्तेमाल किया जाता है।
■ सुरैया सितारा कब नज़र आता है?
आसमान में जितने सितारे हैं उनमें से कुछ सितारे एक ख़ास वक़्त में नज़र आते हैं, बाक़ी समय वो आसमान में मौजूद होते हुए भी हमारी निगाहों से ओझल रहते हैं।
सुरैया सितारा, गर्मी के दिनों में दिखना शुरू होता है और सर्दी शुरू होने से पहले नज़र से ओझल हो जाता है। ऐसा हर साल होता है।
अंग्रेज़ी कैलेंडर के हिसाब से मई के पहले अशरे (दस दिन) में सुरैया सितारा नज़र आने लगता है और नवम्बर के पहले अशरे में निगाहों से ओझल हो जाता है।
सारांश यह है कि सुरैया सितारे के नज़र आने का वबा (महामारी) ख़त्म होने से कोई संबंध नहीं है। अरब के लोग इसके नज़र आने के बाद फलों को तोड़ा करते थे क्योंकि उस वक़्त तक फल पक जाते हैं और उनमें नुक़सान देने वाले असरात ख़त्म हो जाते हैं।
■ सितारापरस्ती शिर्क है
एक बहुत मशहूर हदीस है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया, जिसने कहा कि बारिश अल्लाह के फ़ज़्ल से हुई वो मोमिन है और जिसने कहा कि सितारों के फ़ैज़ से बारिश हुई, उसने शिर्क किया।
इस हदीस से साफ़ ज़ाहिर है कि सितारों की वजह से किसी चीज़ के होने या न होने पर यक़ीन रखना, शिर्क है।
■ क्या रमज़ान के आख़री अशरे में यह वबा ख़त्म हो सकती है?
जी हाँ, अगर अल्लाह चाहे। रमज़ान के आख़री अशरे में 21वीं रात से लेकर 29वीं रात में कोई एक रात लैलतुल क़द्र होती है। क़ुरआन की सूरह क़द्र में कहा गया है कि इस रात में बेशुमार फरिश्ते, अपने सरदार हज़रत जिब्रईल (अलैहिस्सलाम) के साथ ज़मीन पर उतरते हैं। उस वक़्त अल्लाह की रहमत पूरी धरती पर छाई हुई होती है। इस एक रात की इबादत, हज़ार महीनों की इबादत से अफ़ज़ल (श्रेष्ठ) है। हमारा ईमान है कि इस रात की बरकत से अल्लाह तआला, पूरी दुनिया को कोरोना नाम की इस वबा से नजात दिला देगा। इसलिये तमाम दुनिया के मुसलमानों को इस रमज़ान में ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करने में जुट जाना चाहिये।
अंत में यही कहना है कि हम सब लॉकडाउन के कारण अपने-अपने घरों में क़ैद हैं। इस वक़्त हमारे पास कोई काम नहीं है, कोई व्यस्तता नहीं है। इस वक़्त का सही इस्तेमाल यही है कि हम मन लगाकर ज़्यादा से ज़्यादा नमाज़ें पढ़ें, क़ुरआन की तिलावत करें, उठते-बैठते, सोते-जागते अल्लाह का ज़िक्र करें, अपने गुनाहों पर तौबा-इस्तिग़फ़ार करें। अल्लाह रहमान है, रहीम है, रऊफ़ है, करीम है। यक़ीन जानिये वही हमें इस क़ैद से मुक्ति दिलाएगा।
इसके साथ ही आपसे पुरख़ुलूस गुज़ारिश है कि अपने ईमान की हिफ़ाज़त कीजिये। किसी सितारे पर नहीं बल्कि सिर्फ़ अल्लाह तआला पर यक़ीन रखिये। इस ब्लॉग को शेयर करके आप भी नेकी फैलाने में मददगार बन सकते हैं।
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