कोरोना इफेक्ट्स-06 : शिक्षा व्यवस्था पर असर
देशव्यापी लॉक डाउन के कारण सबसे ज़्यादा प्रभाव एजुकेशन सिस्टम पर पड़ा है। स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटीज़, कोचिंग सेंटर्स सभी बन्द हैं। अगर लॉक डाउन लंबा खिंचता है, या एहतियाती तदबीरें ज़्यादा अर्से तक रहती हैं तो शिक्षा व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? आज के ब्लॉग में हम इसी मुद्दे पर चर्चा करेंगे, इंशाअल्लाह।
कोविड-19 एक संक्रामक बीमारी है। इसका पूरी दुनिया में आतंक फैला है। इसके डर से सरकारी व ग़ैर-सरकारी शिक्षण संस्थान बंद हैं। कई स्कूल्स, कॉलेज व कोचिंग सेंटर्स ऑनलाइन एजुकेशन उपलब्ध कराने की जुगत कर रही है। क्या करोड़ों स्टूडेंट्स को घर बैठे पढ़ाना मुमकिन है? प्रेक्टिकल तौर पर देखें तो इसमें कई दिक़्क़तें हैं।
01. हर स्टूडेंट के लिये अलग स्मार्टफोन हो
यह ऑनलाइन एजुकेशन की अघोषित पहली शर्त है। टीचर्स एक तयशुदा टाइम पर ऑनलाइन लेसन देंगे। उस समय हर स्टूडेंट अपने मोबाइल पर उसे तभी देख पाएगा जब उसके पास अलग से स्मार्टफोन हो। कम उम्र वाले बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन सौंप देने के कई दुष्परिणाम भविष्य में सामने आएंगे।
02. घर में हाई स्पीड 4G इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध हो
देश के बड़े-बड़े शहरों में नेटवर्क उपलब्धता की क़्वालिटी काफ़ी कमज़ोर है, छोटे शहरों और गांव-कस्बों में इंटरनेट नेटवर्क की हालत तो बहुत ज़्यादा ख़राब है। जहाँ व्हाट्सएप-फेसबुक चलाना ही दुश्वार है तो वीडियो स्ट्रीमिंग कैसे मुमकिन होगी और ऑनलाइन पढ़ाई कैसे हो पाएगी?
03. होमवर्क की समस्या
पढ़ाई सिर्फ़ देखने-सुनने से नहीं होती। स्टूडेंट्स जब अपने हाथों से लिखता है तभी उसके दिमाग़ में वो चैप्टर याद रह पाता है। होमवर्क देना फिर उसे चेक करना ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, ख़ास कर स्कूली स्टूडेंट्स के मामले में।
04. हर घर में प्रिंटर उपलब्ध नहीं है
स्मार्टफोन पर एक समय में एक ही काम हो सकता है। अगर टीचर्स लिखा हुआ मैटर स्टूडेंट्स को भेजते हैं तो उसका प्रिंट निकालने के लिये हर घर में प्रिंटर भी होना चाहिये।
05. इन सबके लिये घर में पर्याप्त जगह भी होनी चाहिये
भारत में रहने के लिये सुविधाजनक घर उपलब्ध नहीं है। कई जगह एक-एक कमरे में पूरी फैमिली रहती है वहाँ इन तकनीकी उपकरणों के लिये अलग से जगह का इंतज़ाम भी टेढ़ी खीर है।
06. इन सबके लिये ख़र्च कहाँ से आएगा?
अगर ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम को लागू करने के लिये कोई परिवार सभी इंतज़ामात करना भी चाहे तो इसका पैसा कहां से आयेगा? हर स्टूडेंट के लिये अलग स्मार्टफोन, हाई स्पीड इंटरनेट रिचार्ज, प्रिंटर संबंधी ख़र्च और इन सबके अलावा स्कूल फ़ीस भी, कोई साधारण परिवार इन सबका इंतज़ाम कैसे कर पाएगा?
ये वो अहम सवाल हैं, जिनका सही अल्टरनेट तलाशे बिना शिक्षा व्यवस्था को मौजूदा हालात में सुचारू किया जाना बहुत मुश्किल है। इस सीरिज़ के अगले पार्ट में हम वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली (Alternative Education System) पर सारगर्भित चर्चा करेंगे।
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