सांसदों की सैलरी में 30 फीसदी की कटौती, कोरोना से लड़ाई के लिए MP फंड भी 2 साल के लिये सस्‍पेंड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर चौंकाने वाला बड़ा फैसला लिया है। ग़ौरतलब है कि 22 मार्च 2020 के ताली-थाली वादन आग्रह के 2 दिन बाद 24 मार्च को उन्होंने 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी।

कल 5 अप्रैल 2020 को रात 9 बजे दिया-मोमबत्ती जलाने के आग्रह के बाद, आज 6 अप्रैल को एक और बहुत बड़ा फैसला लिया गया है। यह फ़ैसला क्या और इससे क्या असर पड़ेगा? यह जानने के लिये पढ़िये पूरी रिपोर्ट।

■ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सभी राज्यपाल और सांसद साल भर तक नहीं लेंगे तक अपने वेतन का 30 प्रतिशत हिस्‍सा।
कोरोना वायरस से लड़ाई में देश के संवैधानिक पदों पर बैठे व्‍यक्तियों ने मदद का हाथ बढ़ाया है। राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति, राज्‍यों के राज्‍यपालों ने स्‍वेच्‍छा से अपने वेतन में कटौती का फैसला किया है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सभी राज्यपाल 1 साल तक अपने वेतन का 30 फ़ीसदी हिस्सा नहीं लेंगे। यह रकम भारत की संचित निधि में जमा होगी।

इस फ़ैसले से प्रति वर्ष कितने हज़ार करोड़ रुपये बचेंगे? यह आंकड़ा अभी सामने नहीं आया है।

■ सांसदों को मिलने वाले एमपी फंड पर भी दो साल की रोक। सांसद अपने स्तर पर विकास कार्य के लिये 2 साल तक पैसा नहीं दे सकेंगे।

ग़ौरतलब है कि देश में देश में लोकसभा-राज्यसभा को मिलाकर क़रीब 787 सांसद हैं। प्रत्येक सांसद को हर साल दस दस करोड़ रुपए की राशि मिलती है। यानी 7870 करोड़ रुपये। दो साल तक इस मद में कोई ख़र्च न किये जाने पर 15740 करोड़ रुपये सरकार बचा लेगी। यह राशि अब कंसोलिडेटेड फंड ऑफ़ इंडिया में जमा होगी ताकि उससे कोरोना वायरस के दंश से लड़ा जा सके।

इसका मतलब यह है कि देश के सभी सांसद 2 साल तक अपने स्तर पर किसी भी विकास कार्य के लिये फण्ड नहीं दे सकेंगे। यानी अपने स्तर पर अपने लोकसभा क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं करा सकेंगे।

■ संसद में पास होगा कानून
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस बात पर फैसला हुआ। इसमें तय किया गया कि इस फैसले को कार्य रूप देने के लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा। बाद में जब संसद का सत्र शुरू होगा तो उसमें इस बारे में कानून पारित करा लिया जाएगा।

सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।

यह पूछे जाने पर कि सांसदों के वेतन में कटौती और MPLADS से कितने पैसे जमा होंगे तो उसका कोई जवाब नहीं दिया गया। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कुल रकम कितनी होती है यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है सांसदों की भावना, इस पर ध्यान दीजिए।

देश की बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये रिज़र्व बैंक से पहले ही एक बड़ी रक़म ली जा चुकी है। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को और बड़ा धक्का लगा है। अब देखना यह है कि मोदी सरकार इस दिशा में और क्या फैसले लेती है?

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