रोगियों की जेब पर बहुत भारी पड़ेगा कोरोना

रोगियों की जेब पर बहुत भारी पड़ेगा कोरोना

यह लेख डॉ. अबरार मुल्तानी ने लिखा है जो लेखक एवं चिकित्सक हैं। इसमें बताया गया है कि कोरोना के नाम पर आइंदा कैसे आर्थिक शोषण हो सकता है?

कोरोना चले जाने के बाद भी नहीं जाएगा। कुछ चीजें कभी नहीं जाती, वे चली भी जाती हैं तो उनका असर नहीं जाता। तूफान और ज़लज़ले चले जाते हैं लेकिन उनकी तबाही बाकी रह जाती है। कोरोना भी ऐसा ही कुछ है। यह एक मामूली सा वायरस है लेकिन इसका असर इतना गहरा है कि इसके आगे विश्वयुद्ध भी फीके लगते हैं। इसने लोगों को सरकार के और ज़्यादा नियंत्रण में ला दिया है और सरकार यह नियंत्रण या सर्विलेंस आपको लगता है कि ऐसे ही छोड़ देगी? नहीं, कभी नहीं।

ऐसे ही विश्व के सबसे बड़े व्यापारों में से एक चिकित्सा में भी कोरोना नये अवसर ले आया है। यह क्षेत्र इस अवसर को सदा के लिए इस्तेमाल करेगा। कोरोना का महंगा टेस्ट अब आपको बहुत मामूली सी समस्याओं के लिए भी करवाना होगा।

आप सर्दी खांसी की समस्या के लिए अपने डॉक्टर के पास जाएंगे तो वह आपको कोरोना टेस्ट लिखेगा। आप पैसों की समस्या और कोरोना निकल आने के डर से इसे करवाने से डरेंगे और फिर या तो आप डॉक्टर बदल देंगे या फिर लक्षणों को दबा लेंगे।

हर ऑपेरशन के वक़्त आपको यह टेस्ट कम्पलसरी होने वाला है। पॉज़िटिव आ जाने पर फीस बहुत बढ़ जाएगी, सेनेटाइज़ करने, पीपीई किट और अन्य सुरक्षा उपायों के नाम पर। दांतों की छोटी सी कोई प्रोसीजर हो या ENT की कोई जांच कोरोना टेस्ट और पीपीई किट ज़रूरी होगा।

प्रेग्नेंसी में जैसे HIV, Hepatitis B, VDRL टेस्ट किए जाते थे अब कोरोना टेस्ट भी इसमें शामिल कर दिया जाएगा। मतलब मातृत्व भी महंगा होने वाला है।

कई रेडियोलॉजी टेस्ट्स में भी सेनेटाइज़ करने के नाम पर टेस्ट की फीस बढ़ने वाली है और दाम एक बार बढ़ने के बाद कम होते हैं क्या? मैं जब पढ़ाई के लिए गांव से डेली अप डाउन करता था उस वक़्त डीज़ल के दाम सरकार ने बढ़ाए तो बस वालों ने किराया बढ़ा दिया। कुछ महीनों बाद डीज़ल के दाम पहले से भी ज़्यादा कम हो गए लेकिन बस वालों ने किराया कम नहीं किया।

कोरोना आम लोगों को बहुत परेशान करेगा। सांस लेने में परेशानी वाले कई रोग जैसे हॉर्ट की समस्या, सीवियर अस्थमा, टीबी के मरीज़ों को एमरजेंसी ट्रीटमेंट डॉक्टर तब देंगे जब परिजन उसकी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाएंगे। कई बेचारे रोगी इस कशमकश के चलते इलाज में देरी से अपनी जान से हाथ धो लेंगे।

कोरोना जान और जेब दोनों पर बन आया है। दिल्ली के कुछ प्राइवेट अस्पतालों ने अमानवीयता दिखाना शुरू भी कर दी है और कोरोना मरीज़ को बेड देने के लिए लाखों रुपये मांगने लगें हैं। वक़्त मुश्किल होगा या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन महंगा तो ज़रूर होने वाला है...ख़ासकर मासूम रोगियों के लिये।

Leave a comment.