रात 9 बजे, 9 मिनट के टोटके का मतलब क्या?
*ज्योतिष के तरीक़े से कोरोना के ख़िलाफ़ युद्ध की तैयारी? कैसे? क्या मतलब? हर सवाल का जवाब जानने के लिये पढ़िये, इस पोस्ट को।* सबसे पहले, हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारे सामने जो तथ्य आए हैं उनको हमने असली पत्रकारिता का फ़र्ज़ निभाते हुए आपके सामने रखा है *ताकि आप यह सच्चाई जान सकें कि प्रधानमंत्री की अपील का संबंध कहीं न कहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं से है, जिसे मानने के लिये कोई भी नागरिक "धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार" के तहत बाध्य नहीं है।*
3 अप्रैल 2020 को, सुबह 9 बजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित किया। सबको उम्मीद थी कि माननीय प्रधानमंत्री, लॉकडाउन की समाप्ति की तारीख़, मरीज़ों के इलाज, कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ़ के लिये मेडिकल सुरक्षा उपकरणों और मज़दूरों के लिये राहत की कोई बड़ी घोषणा करेंगे।
लेकिन अपने संबोधन में उन्होंने जो अपील की है, उससे कई लोगों को हैरानी हुई। सोशल मीडिया पर उनकी अपील का मज़ाक़ भी उड़ा। आज की इस पोस्ट में हम, इस अपील के मुख्य बिंदु, आलोचकों (ट्रोलर्स) के कमेंट्स और इस अपील के पीछे छुपी संभावित ज्योतिषीय हक़ीक़त को उजागर करेंगे। इसलिये इस पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढ़ियेगा।
■ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के मुख्य बिंदु
० कोरोना वैश्विक महामारी के ख़िलाफ़ देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आप सभी ने जिस प्रकार अनुशासन और सेवाभाव का परिचय दिया है, वो अभूतपूर्व है।
० आपने जिस प्रकार, रविवार 22 मार्च को कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वालों का धन्यवाद किया, वो सभी देशों के लिए एक मिसाल बन गया है। आज कई देश इसको दोहरा रहे हैं।
० जनता कर्फ्यू हो, घंटी बजाने, ताली-थाली बजाने का कार्यक्रम हो, इस चुनौतिपूर्ण समय में देश को उसकी सामूहिक शक्ति का एहसास कराया। यह भाव प्रकट हुआ कि देश एक होकर कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ सकता है।
० हम में से कोई अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति हर व्यक्ति के साथ है, हर व्यक्ति का संबल है। समय-समय पर देशवासियों की इस सामूहिक शक्ति की विराटता, इसकी भव्यता और दिव्यता की अनुभूति करना आवश्यक है।
० कोरोना महामारी से फैले अंधकार के बीच, हमें निरंतर प्रकाश की ओर जाना है। जो इस कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, हमारे ग़रीब भाई - बहन उन्हें निराशा से आशा की तरह ले जाना है।
० इस अंधकारमय कोरोना संकट को पराजित करने के लिये हमें प्रकाश के तेज को चारों दिशाओं में फैलाना है।
० इस 5 अप्रैल को हमें, 130 करोड़ देशवासियों की महाशक्ति का जागरण करना है। 5 अप्रैल, रविवार को रात 9 बजे मैं आप सबके 9 मिनट चाहता हूं। ध्यान से सुनिएगा, 5 अप्रैल को रात 9 बजे, घर की सभी लाइटें बंद करके, घर के दरवाजे पर या बालकनी में, खड़े रहकर, 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया, टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाएं।
० उस समय यदि घर की सभी लाइटें बंद करेंगे, चारों तरफ जब हर व्यक्ति एक-एक दीया जलाएगा, तब प्रकाश की उस महाशक्ति का एहसास होगा। उस रोशनी में, उस उजाले में 5 अप्रैल को रात 9 बजे, कुछ पल अकेले बैठकर, माँ भारती का स्मरण कीजिए।
० हमारे उत्साह, हमारी स्पिरिट से बड़ी फ़ोर्स दुनिया में कोई दूसरी नहीं है। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो हम इस ताक़त से हासिल न कर पाएं। आइये, साथ आकर, साथ मिलकर, कोरोना को हराएं, भारत को विजयी बनाएं।
■ आलोचकों की प्रतिक्रियाएं
मशहूर लेखक तरुण भगत ने ट्विटर पर कुछ इस तरह प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक घंटी के बाद तीर का निशान लगाकर दीये का सिंबल लगाया। उनके कहने का मतलब था, पहले घंटी, अब दीपक।
फ़िल्म एक्टर ऐजाज़ खान ने लिखा, सारी लाइट है, जब बंद हो जाएंगी तो कोरोना यह समझेगा कि भारत में अब कोई नहीं है तो वो भाग जाएगा। धन्यवाद मोदीजी।
बॉलीवुड के ही एक फ़िल्म निर्माता तनुज गर्ग ने भी चेतन भगत की तरह घण्टी, तीर व दिया का सिंबल लगाकर उस पर लिखा, महामारी ख़त्म करने का सबसे बड़ा समाधान।
इसी तरह कई लोगों ने प्रधानमंत्री की अपील को ट्रोल किया। पोस्ट लंबी हो जाने की वजह से उन सबको यहाँ छापना सम्भव नहीं है।
■ प्रधानमंत्री मोदी और हिंदू पहचान
*भगवा चादर ओढ़कर मंदिर जाना, हाथों में दिये लेकर महाकाल की आरती करना, पूरे ललाट पर केसरिया रंग (त्रिपुण्ड) लगाना, बद्रीनाथ मंदिर में ध्यान लगाकर बैठना* जैसे कर्मकांड बीजेपी के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने 6 साल के कार्यकाल में खुले तौर पर कभी नहीं किये। उनके विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी कामों को करने, अपने भाषणों में हिंदू गौरवगान करने और ख़ुद की कट्टर हिंदू पहचान ज़ाहिर करने में कभी संकोच नहीं किया। इसलिये उनके 22 मार्च वाले ताली-थाली और घंटी बजाने के फ़रमान और अब 5 अप्रैल को बत्तियाँ बुझाकर चरागां करने की अपील को भी हिंदू मान्यताओं से जोड़कर देखा जा रहा है।
■ क्या प्रधानमंत्री की इस अपील के पीछे कोई ज्योतिषीय राय है?
जब हमने हिंदू धर्म की जानकारियां प्रकाशित करने वाली वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनल्स को खंगाला तो हमें उपरोक्त बात सही साबित होती दिखाई दी। उनके अध्ययन से जो नतीजे निकलकर सामने आए हैं उनको हम आपके सामने पेश कर रहे हैं।
*कृपया ध्यान दें, हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हिंदू धर्म से संबंधित ज्योतिषीय मान्यताओं पर हमारी कोई आस्था नहीं है। हमारा मानना है कि ग्रहों-नक्षत्रों की अल्लाह की तदबीर के आगे कोई हैसियत नहीं है।* अब निष्कर्ष पढ़िये।
01. कुछ दिन पहले यानी 22 मार्च को शाम 5 बजे ताली-थाली और घंटी बजाने का आह्वान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया गया था। कई लोगों के मन में यह सवाल उठा था, रविवार को ही क्यों? शाम 5 बजे ही क्यों?
02. तारीख़ 3 अप्रैल 2020 को सुबह 9 बजे अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 5 अप्रैल को, (5+4=9) रात 9 बजे, 9 मिनट के लिये, घर की सब बत्तियाँ बुझाकर, दिया, मोमबत्ती, टॉर्च, मोबाइल की फ्लैशलाइट आदि जलाने की अपील, की है। लोगों के मन में एक बार फिर सवाल कौंध रहे हैं, रविवार को ही क्यों? रात 9 बजे ही क्यों? 9 मिनट ही क्यों?
03. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुल 9 ग्रह हैं जो इंसानी ज़िंदगी पर असर डालते हैं।
(यहाँ यह भी स्पष्ट कर देना उचित होगा कि *इस्लाम इस मान्यता का खंडन करता है।* इस्लाम के अनुसार कोई ग्रह-नक्षत्र, अल्लाह की तक़दीर और तदबीर को नहीं पलट सकते। इस्लाम के अनुसार ग्रहों के अमल-दखल का अक़ीदा रखना *शिर्क* है।)
04. हिंदू धर्मशास्त्रों में मंगल ग्रह को इन सभी 9 ग्रहों का सेनापति माना जाता है।
05. हिंदू धर्मशास्त्र व अंकज्योतिष में 9 अंक का स्वामी मंगल को माना गया है। ज्योतिषशास्त्र में मंगल को साहस, आत्मविश्वास और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक कहने के साथ ही रक्तपात, युद्ध और विनाश का कारक भी कहा गया है। इसे शनि, राहु और केतु की तरह क्रूर ग्रह की श्रेणी में रखा गया है।
06. कुछ ज्योतिषियों का दावा है कि इस समय पूरी दुनिया अघोषित विश्व युद्ध लड़ रही है जिसमें सामने कोरोना दुश्मन है। उनका कहना है कि कोरोना से युद्ध में जीतने के लिये ग्रहों के सेनापति मंगल को मजबूत करना जरूरी है।
07. हिंदू ज्योतिषियों के अनुसार शनि के प्रकोप को कम करने के लिये मंगल को प्रबल किया जाना ज़रूरी है। उनके अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने रात 9 बजे सभी लोगों से दीप जलाने का जो आग्रह किया है वह इस दिशा में एक पहल हो सकती है।
08. हिंदू ज्योतिषियों के अनुसार बृहस्पति को देवताओं के गुरु, का स्थान प्राप्त है। शनि और मंगल दोनों ही इनका सम्मान करते हैं। उनका कहना है कि दीप जलाने या रोशनी करने से गुरु का शुभ प्रभाव बढ़ता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अब आप समझ गये होंगे कि प्रधानमंत्री की अपील किसी वैज्ञानिक तर्क पर आधारित नहीं है। जो अपील उन्होंने की है वो उनके धर्म की मान्यताओं के आधार पर, हिंदू धर्म को मानने वालों के नज़दीक, सही हो सकती है लेकिन ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार इस अपील में नहीं है कि इससे कोरोना वायरस को समाप्त करने में कोई मदद मिलेगी।
इसलिये हम विनम्रतापूर्वक यह कहना चाहते हैं कि सेक्युलर भारत के किसी भी नागरिक के लिये, इसको मानने की कोई बाध्यता नहीं है। भारतीय संविधान द्वारा दिये गये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के तहत हमने अपने विचार व्यक्त किये हैं। अगर आप इससे सहमत हैं तो इस पोस्ट को शेयर कर सकते हैं। अगर आप सहमत नहीं है तो आप इसे इग्नोर कर सकते हैं। सभी पाठकों से बस यही निवेदन है।
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