ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन कामयाबी की ओर
25 अप्रैल 2020 को हमने अपने ब्लॉग पेज पर जानकारी दी थी कि ब्रिटेन में कोरोना वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल शुरू किया गया है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित इस वैक्सीन के बारे में लेटेस्ट उत्साहजनक जानकारी आज के ब्लॉग में दी जा रही है।
अमरीका और ब्रिटेन के कुछ शोधकर्ताओं ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बताया है कि 'ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी में कोरोना वायरस की जिस वैक्सीन पर काम चल रहा है, उसके शुरुआती निष्कर्ष आशाजनक हैं।
शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि छह बंदरों को कोरोना वायरस की भारी डोज़ देने से पहले, उन्हें यह टीका लगाया गया था। हमने पाया कि कुछ बंदरों के शरीर में इस टीके से 14 दिनों में एंटीबॉडी विकसित हो गईं और कुछ को 28 दिन लगे।
शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना वायरस के संपर्क में आने के बाद, इस वैक्सीन ने उन बंदरों के फ़ेफड़ों को नुक़सान से बचाया और वायरस को शरीर में ख़ुद की कॉपियाँ बनाने और बढ़ने से रोका। लेकिन वायरस अभी भी नाक में सक्रिय दिखाई दे रहा था।
लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसन के एक प्रोफ़ेसर, डॉ. स्टीफ़न इवांस ने कहा कि बंदरों पर शोध के बाद जो नतीजे आए हैं, वो निश्चित रूप से एक अच्छी ख़बर है। यह ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के लिए एक बड़ी बाधा की तरह था जिसे उन्होंने बहुत अच्छी तरह से पार कर लिया है।
ग़ौरतलब है कि कोई भी टीका विकसित करने की प्रक्रिया में उसका बंदरों पर सफल होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हम आपको यह भी बता दें कि 13 मई 2020 तक इस शोध के लिए स्वेच्छा से सामने आए क़रीब एक हज़ार लोगों को ट्रायल के तौर पर यह टीका लगाया जा चुका है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि अगले एक महीने में वो कुछ स्पष्ट निष्कर्षों तक पहुँच पाएंगे।
उम्मीद है कि यह वैक्सीन इंसानों पर भी सफल रहेगी और दुनिया कोरोना के आतंक से बाहर निकलकर फिर से सामान्य ज़िंदगी जी सकेगी।
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