निशा जिंदल उर्फ़ रवि का भंडाफोड़ कैसे हुआ?

दोस्तों! कल के ब्लॉग साम्प्रदायिकता के क्रांतिकारी साइबर योद्धा में हमने बताया था कि किस तरह युवाओं के मन में नफ़रत भरकर उनको एक समुदाय विशेष के प्रति भड़काया जा रहा है। ऐसा करने से सिवाय नुक़सान और बर्बादी के, और कुछ नहीं मिलता। आज का ब्लॉग उसी चिंतन को आगे बढ़ाने के लिये लिखा गया है। इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें, कई महत्वपूर्ण बातें आपको इसमें मिलेंगी।

सबसे पहले तो रायपुर पुलिस को बधाई, कि उसने समाज हित में एक ज़रूरी कार्रवाई की। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी बधाई के पात्र हैं जिन्होंने पुलिस की हौसला अफ़ज़ाई की। ओडिशा सीमा से जुड़े जशपुर ज़िले की कलेक्टर डॉ. प्रिंयका शुक्ला का भी शुक्रिया जिन्होंने अपने ट्विटर पेज पर इस पूरे स्कैंडल को एक्सपोज़ किया।

निशा जिंदल उर्फ़ रवि क़ानून के फंदे में कैसे फंसा?

छत्तीसगढ़ पुलिस को लगातार शिकायत मिल रही थी कि कोई फेसबुक पर निशा जिंदल नाम की एक यूज़र है जो लगातार भड़काऊ पोस्‍ट कर रही है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एक प्‍लान बनाया।

पुलिस की ओर से फेसबुक पर एकदम नॉर्मल दिखने वाला एक अकाउंट बनाया गया। इस अकाउंट से कथित निशा जिंदल को फ्रेंड रिक्‍वेस्‍ट भेजी गई। तीर निशाने पर लगा, निशा जिंदल ने फ्रेंड रिक्वेस्ट क़ुबूल कर ली। इसके बाद इन दोनों IDs के बीच में चैटिंग-वैटिंग भी हुई। पुलिस ने ऐसा करके उसके तौर-तरीके और मानसिकता को समझने की कोशिश की। उसके बाद रायपुर पुलिस ने कथित निशा जिंदल ऊर्फ़ रवि की लोकेशन ट्रेस की और फिर उसको 17 अप्रैल 2020 को कबीर नगर स्थित उसके घर से अरेस्‍ट किया।

रवि 8 साल से चला रहा था फ़र्ज़ी अकाउंट

निशा जिंदल अकाउंट चलाने वाले रवि की उम्र 31 साल है। रवि 2009 से इंजीनियरिंग का स्टुडेंट है लेकिन वो पास नहीं हो पाया। साल 2012 में एक पाकिस्तानी मॉडल मीरा पाशा की तस्वीर लगाकर उसने यह निशा जिंदल फेसबुक अकाउंट शुरू किया।

रवि इंजीनियरिंग में पास कैसे होता, वो दिन के 13-14 घंटे सोशल मीडिया पर लड़की बने रहने में गुज़ार रहा था। सोशल मीडिया पर क्रांति करके वो समझ रहा था कि वो धर्म और समाज की रक्षा कर रहा है।

पुलिस सूत्रों से मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक़ ने इस रवि उर्फ़ निशा जिंदल का अपना कोई असली सोशल मीडिया अकाउंट नहीं है। वो सिर्फ लड़कियों की ID चलाता है।

लफ़्फ़ाज़ी का बादशाह

उसके इतने फॉलोअर्स कैसे बने? यह सवाल भी शायद आपके मन में आया होगा। निशा जिंदल ने खुद को कभी इंटरनेशनल मोनिटरिंग फंड (IMF) कभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) तो कभी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) का मेम्‍बर बताता था। कई लोग तो इसी चक्‍कर में इसके दोस्‍त बन गए। न्यूज़ एजेंसी PTI के अनुसार कई नामी लोग उसे असली समझकर फॉलो करते थे। उसकी लफ़्फ़ाज़ियों में मंत्रियों तक से मुलाकातों की बात होती थी।

फेसबुक पर फ़र्ज़ी अकाउंट की भरमार है

अगर ईमानदारी से पड़ताल की जाए तो फेसबुक पर फ़र्ज़ी अकाउंट की एक बहुत बड़ी तादाद सामने आ सकती है। लड़कियों की फ़ोटो लगाकर बहुत सारे (ना)मर्द फेसबुक अकाउंट चला रहे हैं।

फेसबुक पर निशा जिंदल नाम का अकाउंट भी ऐसा ही था। इस अकाउंट की प्रोफाइल से 4000 से ज्‍यादा फ्रेंड्स जुड़े थे और 10 हजार लोग उसे फॉलो करते थे। फॉलो करने वालों में कारोबारियों से पुलिसवाले तक शामिल थे।

ऐसे अकाउंट की पहचान कैसे करें?

सोशल मीडिया की दुनिया में, लड़कियों की ID लगाकर बनाए गये नक़ली अकाउंट को कैटफिश अकाउंट कहते हैं। इनसे बचने के लिये निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिये।

01. सबसे पहली बात तो यह ध्यान रखनी चाहिये कि किसी अनजान व्यक्ति के अकाउंट को लाइक या फॉलो न करें।

02. अकाउंट पर दी गई प्रोफाइल पिक्चर को गूगल पर सर्च करें, अगर उस पर कोई और नाम दिखे तो सावधान हो जाना चाहिये। जैसे रवि ने निशा जिंदल अकाउंट पर जो प्रोफाइल पिक्चर लगा रखी थी उसे सर्च करने पर वो पाकिस्तानी मॉडल मीरा पाशा की निकली।

03. जो अपने बारे में बड़े-बड़े दावे करे, उससे भी सावधान हो जाएं। अगर कोई व्यक्ति ख़ुद को किसी बड़े संगठन से जुड़ा बताए तो उस संगठन की वेबसाइट पर जाकर उसकी दी हुई जानकारी कन्फ़र्म करें या उस संगठन को ईमेल करके पता करें कि फलां शख़्स आपका सदस्य है या नहीं?

इसके अलावा एक जागरूक नागरिक का फ़र्ज़ निभाते हुए, भड़काऊ पोस्ट डालने वाले अकाउंट का स्क्रीनशॉट लेकर उसकी शिकायत करें।

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