ननद : ससुराल में एक नई सहेली
यह आर्टिकल हमारे दोस्त इंतख़ाब फराश (पुणे) ने लिखा है। वे मैरेज काउंसिलर हैं और कई बरसों से फ़ैज़ मैरिज ब्यूरो का सफलतापूर्वक संचालन कर रहे हैं। उन्हें रिश्तों के बनने-बिगड़ने के कारणों का प्रेक्टिकल अनुभव है। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ियेगा, आज के दौर में हर घर-परिवार के लिये यह एक नसीहतभरा पैग़ाम है क्योंकि ननद-भाभी का रिश्ता हर घर में पाया जाता है। हमने इंतख़ाब फराश साहब के लिखे आर्टिकल में थोड़ी-सी एडिटिंग करके इसे और ज़्यादा उपयोगी बनाने की कोशिश की है। (✒️ सलीम ख़िलजी, एडिटर आदर्श मुस्लिम)
हमारे समाज में लड़की को ननद-भाभी, सास-बहू, जेठानी-देवरानी जैसे कई रिश्ते निभाने होते है। आज के बंटे और बिखरे हुए परिवार के दौर मे बहुत से रिश्ते पीछे रह गये है। मगर ननद एक रिश्ता आज भी बड़ा अहम और पाॅवरफुल माना जाता है।
बहुत-से घरों में ननद-भाभी के बीच अच्छी ट्यूनिंग देखने को मिलती है लेकिन कई घरों में ननद-भाभी के बीच टकराव भी देखने को मिलता है। इसकी वजह क्या है?
आजकल के टीवी सीरीयलों ने ननद को बहुत हद तक बदनाम कर रखा है। इन टीवी सीरियल्स में ननद की छवि हर काम मे टांग अड़ाने वाली, मियाँ-बीवी मे झगड़ा करवाकर तमाशा देखने वाली, भाभी को परेशान करके ख़ुश होने वाली, ज़िद करके अपनी हर बात मनवा लेने वाली, माँ-बाप-भाई को इमोशनली ब्लैकमेल करने वाली खलनायिका (वैम्प) की तस्वीर बनाकर पेश की जाती है।
कोई मानें या न मानें लेकिन, ननद-भाभी के रिश्ते दो बहनों और दो दोस्तों के रिश्तों से भी बढ़कर होते हैं क्योंकि हम-उम्र की वजह से ननद किसी भी भाभी और भैया के बीच सबसे क़रीबी कड़ी हो सकती है। अगर ननद समझदारी से काम ले तो वह भाभी की बेस्ट फ्रेंड बन सकती है।
ननद को चाहिये कि वो शुरू दिन से ही भाभी के साथ दोस्ताना बर्ताव करे। इस बात को याद रखे कि वो अपने मायका छोड़कर इस घर में बहू बनकर आई है। ननद को चाहिये कि भाभी को अपनी बहन-समान समझे, उसके साथ नौकरानी जैसा बर्ताव न करे। अगर घर में एक से अधिक भाभियाँ हों तो किसी एक की तरफ़ न झुकें बल्कि उनके बीच बैलैंस रखें। अगर भाभी कामकाजी हो तो ननद इस बात का एहसास करे कि उसकी भाभी घर के एक कमाऊ मेम्बर की हैसियत से ज़िम्मेदारी निभा रही है।
अगर कोई औरत अपनी भाभी के साथ अपनापनभरा बर्ताव करती है तो उसका पीहर उसके बाप की मौत के बाद भी बाक़ी रहता है।
इसी तरह भाभी को हमेशा याद रखने की ज़रूरत है कि जैसी वो अपने मायके मे अब्बा, भाई और सबकी चहेती और लाड़ली थी, वैसी ही उसकी ननद भी इस घर की बेटी होने के नाते सबकी चहेती और लाड़ली है। भाभी यह बात हमेशा याद रखे कि ननद उसके शौहर की बहन है, इस नाते अगर वो अपने भाई से कुछ उम्मीद रखती है तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है। हाँ अगर वो अपने ससुराल में अपनी धाक जमाने के लिये अपने भाई की ताक़त से ज़्यादा बोझ डाले तो उसे बेहतर अंदाज़ में समझाने की कोशिश करनी चाहिये।
इसका सबसे बेहतरीन तरीक़ा है, ननद को सहेली बना लेना। शादी से पहले जिस तरह आप अपने बेस्ट फ्रेंड के साथ या अपनी बहन के साथ हर बात, चीज़ शेअर करती आई है, ठीक उसी तरह ननद के साथ शेअर करने से नज़दीकियाँ बढ़ती है। याद रहे शेयरिंग इज केयरिंग।
इस काम में थोड़ा वक़्त लगेगा मगर यह कोशिश रंग लाएगी ज़रूर। सभी प्यार और इज्ज़त के तलबगार होते है। आप जिस तरह से पेश आयेंगी, ठीक उसी तरह सामने वाले का व्यवहार, प्रतिक्रिया आएगी।
जिन लोगों की फितरत शैतानी होती है वे ननद-भाभी के रिश्तों में खटास पैदा करने की कोशिश करते हैं, उनसे सावधान रहें। इसके लिये सबसे बेहतर तरीक़ा यह है कि एक-दूसरे के साथ समय बिताएं। जो कहना है, आमने-सामने कहे क्योंकि पीठ पीछे बोलना, चुगली कहा जाता है। हर घर में छोटी-मोटी बातें होती हैं, उन बातों को ताना नहीं समझें बल्कि नज़रअंदाज़ करें।
भाभी को चाहिये कि घर की बातों को बाहर आउट न करें, इससे उसकी क़दर घटती है, हाँ अगर कोई सीरियस बात हो या उसके साथ ज़ुल्म-ज़्यादती हो रही हो तो उसे कहने में कोई बुराई नहीं है। हर बात अपने पीहरवालों को बताने से बचना चाहिये क्योंकि बहुत-से घर पीहरवालों की बेजा दख़ल-अंदाज़ी से टूटते हैं।
आजकल छोटे परिवारों का दौर है। इस दौर में ननद का होना लगभग तय है। जिस औरत ने सास-ननद का दिल जीत लिया, समझ लो उसने ससुराल ही क्या सारा संसार जीत लिया।
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सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क
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