न घबराओ, न ग़म करो
(इस पोस्ट को पूरा पढें। कई गलतफहमियां दूर होंगी और कई जानकारियां मिलेंगी, इंशाअल्लाह)
कोरोना, एक बायोलॉजिकल वीपन यानी जैविक हथियार की तरह है। इसको लेकर कई किस्म की अफवाहें फैलाई जा रही है। लेकिन हम आपसे एक बार फिर कहते हैं कि ज़्यादा ख़ौफ़ज़दा या आतंकित होने की कोई ज़रूरत नहीं है। आज की पोस्ट में हम कोरोना के बारे ठोस तथ्यों पर आधारित कुछ और जानकारियां देने की कोशिश कर रहे हैं।
01. कोरोना कैसे फैलता है?
जिस शख़्स को कोरोना संक्रमण है उसकी छींक के साथ जो छोटे-छोटे तरल कण निकलते हैं उनमें कोरोना के वायरस होते हैं। एक बार छींकने पर आठ-नौ हज़ार वायरस रिलीज़ होते हैं। कोरोना संक्रमित व्यक्ति की छींक के तरल कणों के ज़रिए कोरोना एक से दूसरे को लगता है। इसीलिए फेस मास्क लगाने को कहा जा रहा है ताकि छींक आने पर, संक्रमित व्यक्ति के तरल कण हवा में न फैलें।
02. कोरोना वायरस कितनी देर तक ज़िंदा रहता है?
कोरोना वायरस हवा में सिर्फ़ कुछ घंटे तक एक्टिव रहता है और उसके बाद नष्ट हो जाता है। लेकिन कोरोना संक्रमित व्यक्ति की छींक के तरल कण अगर किसी लकड़ी की वस्तु पर पड़े तो वो 24 घण्टे तक ज़िन्दा रह सकता है। यह तरल कण अगर स्टील या किसी अन्य धातु पर पड़े तो वो 3 दिन तक एक्टिव रह सकता है।
03. क्या सिर्फ़ छूने से कोरोना फैलता है?
नहीं। जिस जगह पर कोरोना वायरस युक्त छींक के तरल कण लगे हों, उसे छूने से कोरोना नहीं फैलता। अगर किसी व्यक्ति ने ऐसी जगह को छुआ है, वो अपना हाथ अपने नाक, आंख या मुंह से टच करे तो ये वायरस उसके जिस्म में दाखिल हो जाता है। जिस्म में जाने के बाद वो एक्टिव होता है। याद रखने की बात है, जब तक कोरोना वायरस जिस्म के अंदर नहीं जाएगा तब तक कुछ नहीं होगा। इसीलिए किसी चीज़ को छूने के बाद, नाक, आंख या मुंह को हाथ लगाने से पहले, हाथ धोने की सलाह बार-बार दी जा रही है।
04. क्या गर्मी बढ़ने पर कोरोना का प्रकोप ख़त्म हो जाएगा?
मशहूर वायरस विज्ञानी परेश देशपांडे के अनुसार अभी ऐसा कह पाना मुमकिन नहीं है। लेकिन उनका यह भी कहना है कि गर्मी बढ़ने पर छींक के साथ निकलने वाले तरल कण जल्दी सूख जाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वातावरण में गर्मी बढ़ने पर इसके फैलने का ख़तरा मौजूदा मौसम के मुक़ाबले में कम हो जाएगा।
05. क्या चिकन खाने से कोरोना फैलता है?
नहीं। अभी तक ऐसी कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं आई है।
06. कोरोना वायरस कितने डिग्री तापमान पर ख़त्म हो सकता है?
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक वायरस विज्ञानियों का कहना है कि इसे ख़त्म करने के लिए 60-70 डिग्री तापमान चाहिए। भारत में गोश्त अच्छी तरह भूनकर पकाया जाता है उस समय तापमान 100 डिग्री से भी ज़्यादा होता है। इसका मतलब यह है कि उच्च तापमान पर पकाए गए खाने सुरक्षित हैं।
07. कोरोना का मरीज़ ठीक कैसे हो सकता है?
अभी तक कोरोना के इलाज के लिए कोई विशेष दवा या टीका उपलब्ध नहीं है। लेकिन मरीज़ की इम्यूनिटी पावर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ाकर इससे निपटा जा सकता है। अब तक जितने मरीज़ ठीक हुए हैं उनसे यही बात सामने आई है।
इसलिए हम एक बार फिर आपसे यह बात कहते हैं कि आतंकित होने की ज़रूरत नहीं है।
क़ुर्बान जाइये इस्लाम की तालीमात पर
☝️1400 बरस पहले अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया था कि सिर्फ़ छूने से कोई बीमारी नहीं फैलती। आज बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक हाथ पर लगा कोरोना का वायरस नाक, आंख या मुंह के ज़रिए जिस्म के अंदर नहीं जाएगा तब तक कोरोना संक्रमण नहीं होगा। यानी सिर्फ़ छूने से कोरोना संक्रमण नहीं होगा।
☝️इस्लाम की तालीम है कि छींक आने के समय, खांसते समय या जम्हाई आते समय मुंह पर हाथ रखना चाहिए। इस पैग़ाम को समझिए। छींक व खांसी के कारण अपने जिस्म से निकलने वाले जरासीम (वायरसों) को वातावरण में न फैलने दें और जम्हाई आते समय वातावरण में मौजूद वायरस को मुंह के ज़रिए जिस्म के अंदर न जाने दें।
☝️इस्लाम वो दीन है जिसने बार-बार जिस्म के खुले रहने वाले अंगों को धोने का हुक्म दिया है। नमाज़ से पहले वुज़ू फ़र्ज़ है, खाना खाने से पहले और खाना खा चुकने के बाद हाथ धोना ज़रूरी है। पेशाब-पाखाना से फ़ारिग होने के बाद हाथ धोना लाज़मी है। याद रहे ये तालीम इस्लाम की है।
☝️इस्लाम ने खाने-पीने की चीज़ों को ढंककर रखने का हुक्म दिया है। किसी भी बर्तन को इस्तेमाल करने से पहले उसे धोने का हुक्म दिया है। इस फ़रमान पर अमल करने का फायदा यह है कि अगर उस पर कोई वायरस चिपका हुआ होगा तो वो धुलने से साफ़ हो जाएगा।
☝️इस्लाम ने कच्चा गोश्त खाने से मना किया है। यानी इस्लाम ने पहले ही तालीम दे दी कि आग पर पकाने से वायरस का कीटाणु ख़त्म हो जाते हैं।
☝️इस्लाम ने तक़वा (परहेज़गारी, संयम) अख़्तियार करने का हुक्म दिया है। इससे इंसान के जिस्म में इम्यूनिटी पावर बढ़ती है और यही शक्ति बड़े से बड़े रोग को जड़ से ख़त्म करती है।
अंत में हमारा यही कहना है कि अल्लाह पर पूरा-पूरा भरोसा रखिये। वो अपने बंदों पर बेहद मेहरबान है। अपने फरमाबरदार बंदों को वो हर बला से महफूज़ (सुरक्षित) रखेगा, चाहे वो बला, आसमान से नाज़िल हुई हो चाहे वो इंसान के हाथों की करतूत हो। एहतियात बरतने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन अल्लाह की रहमत से मायूस होकर बदहवास होने की ज़रूरत नहीं है।
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