मुसलमानों की बदहाली की वजह क्या है?
एक तरफ, दुनिया में छोटे-बड़े 58 मुस्लिम देश हैं, जिनमें पाकिस्तान जैसा परमाणु शक्ति सम्पन्न और तुर्की जैसा विकसित देश भी शामिल है। अरब देशों के पास पेट्रोलियम भंडार के चलते बेशुमार दौलत है लेकिन उनकी कोई वक़त और हैसियत नहीं है। ये सभी देश आपसी इख़्तिलाफ़ का शिकार हैं।
दूसरी तरफ़, दुनिया के कई देशों में मुसलमानों की अच्छी-ख़ासी आबादी मौजूद है जिनमें हमारा देश भारत भी शामिल है। इन देशों में भी मुसलमान अनेक परेशानियों का शिकार हैं।
कभी हमने ग़ौर किया कि पूरी दुनिया में मुसलमानों की इस बदहाली की वजह क्या है? अल्लाह के रसूल ﷺ की एक हदीस में इसका जवाब मौजूद है।
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने बयान किया कि अल्लाह के रसूल ﷺ ने हमारी तरफ़ मुतवज्जह होकर फ़रमाया, मुहाजिरीन की जमात! पाँच बातें हैं जब तुम उनमें मुब्तिला हो जाओगे, और मैं अल्लाह की पनाह चाहता हूँ इस बात से कि तुम उसमें मुब्तिला हो। (वो पाँच बातें ये हैं),
पहली ये कि जब किसी क़ौम में खुले आम फहश (फ़िस्क़ ओ फ़ुजूर और ज़िनाकारी) होने लग जाये तो उनमें ताऊन (प्लेग) और ऐसी बीमारियां फूट पड़ती हैं जो उनसे पहले के लोगों में न थीं।
दूसरी ये कि जब लोग नाप-तौल में कमी करने लग जाते हैं तो वो क़हत (अकाल), मुआशी (आर्थिक) तंगी और अपने हुक्मरानों की ज़्यादती का शिकार हो जाते हैं।
तीसरी ये कि जब लोग अपने मालों की ज़कात अदा नहीं करते हैं तो अल्लाह तआला आसमान से बारिश को रोक देता है, और अगर ज़मीन पर चौपाए न होते तो आसमान से पानी का एक क़तरा भी न गिरता।
चौथी ये कि जब लोग अल्लाह और उसके रसूल ﷺ के अहद ओ पैमान को तोड़ देते हैं तो अल्लाह तआला उन पर उनके अलावा लोगों में से किसी दुश्मन को मुसल्लत कर देता है, वो जो-कुछ उनके पास होता है छीन लेता है
पांचवीं ये कि जब उनके हुक्मरान अल्लाह तआला की किताब के मुताबिक़ फ़ैसले नहीं करते, और अल्लाह ने जो नाज़िल किया है उसको इख़्तियार नहीं करते, तो अल्लाह तआला उनमें फूट और इख़्तिलाफ़ डाल देता है। (सुनन इब्ने माजह, किताबुल फ़ितन : 4019)
ऊपर बयान की गई हदीस को बार-बार पढ़िये और सोचिये, क्या हम में वाक़ई ये ख़ामियां मौजूद नहीं?
01. ग़ैरों की बात छोड़िये, मुस्लिम समाज में खुलेआम बेहयाई हो रही है, एक बड़ी तादाद बदकारी में मुलव्विस है। मुसलमान औरतें फैशन के नाम पर अंग-प्रदर्शन कर रही हैं। शादियों में और कई मौक़ों पर सरेआम सड़कों पर नाच रही हैं। इसके नतीजे में हम अनेक बड़ी बीमारियों को देख रहे हैं जिनमें कोविड-19 जैसी महामारी भी शामिल है।
02. मुस्लिम दुकानदार भी नाप-तौल में कमी करने का जुर्म कर रहे हैं। इसके नतीजे में हम भी आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं।
03. मालदार मुसलमान, अपने माल की ज़कात पूरी नहीं निकालते हैं। बहुत से लोग ज़कात की रक़म को ग़लत जगह पर ख़र्च कर देते हैं। इसका नतीजा यह है कि कहीं पर कम बारिश हो रही है तो कहीं बेतहाशा बारिश के चलते बर्बादी हो रही है।
04. हम अल्लाह और उसके रसूल ﷺ के साथ किये गये, इताअत और फ़र्माबरदारी के अहद को तोड़ने के मुजरिम हैं। हम इस्लाम की तालीमात पर अमल नहीं करते जिसके नतीजे में हम पर हमारी दुश्मन क़ौमें हावी हो गई हैं। वे हम से हमारा माल और हमारे अधिकार छीन रही हैं।
05. जिन मुस्लिम देशों में, मुस्लिम हुक्मरान अल्लाह तआला की किताब के मुताबिक़ फ़ैसले नहीं करते हैं, वो आपसी फूट का शिकार हैं। अरब देशों का आपसी इख़्तिलाफ़, उनका ईरान और तुर्की के साथ मतभेद, लेबनान, सीरिया और यमन में आपसी ख़ानाजंगी (गृहयुद्ध), पाकिस्तान का अफ़ग़ानिस्तान से टकराव, आपसी फूट और बिखराव का मुंह बोलता सुबूत है।
कहने का मतलब यह है कि ऊपर बयान की गई हदीस में जिन बातों का ज़िक्र किया गया है, वे सभी ख़ामियां उम्मते-मुस्लिमा में मौजूद हैं। इनके नतीजे में जो परेशानियां और मुसीबतें आईं हैं, उनसे बाहर निकलने का एक ही रास्ता है कि हम अल्लाह के आगे सच्ची तौबा करें और दोबारा राहे-इस्लाम पर लौटें।
हमारे ईमान में जो ख़राबियाँ आ गई हैं उनको ठीक किये बिना हमारे हालात हरगिज़ नहीं बदल सकते। हम मुसलमान, अपने ईमानी हालात को सुधारने के बजाय दुनियाभर की लाख तदबीरें कर लें, कुछ फ़ायदा नहीं होगा।
अल्लाह तआला हमें अपनी इस्लाह करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, आमीन। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे शेयर करें। कमेंट बॉक्स में अपनी राय दें। वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप : 9829346786
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