मुसलमान, सतही सियासत से ऊपर उठकर सोचें

11 नवम्बर 2021 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान ख़ुर्शीद की किताब 'सनराइज ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन आवर टाइम्स' का विमोचन हुआ। इस मौक़े पर पूर्व गृहमंत्री पी. चिदम्बरम और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मौजूद थे।

यह किताब विमोचन के फौरन बाद विवादों में घिर गई। वजह बनी इस किताब के छठे चेप्टर में की गई एक टिप्पणी। पेज नम्बर 113 पर The Saffron Sky (भगवा आसमान) के तहत लिखा गया है,

Sanatan Dharma and classical Hinduism known to sages and saints were being pushed aside by a robust version of Hindutva, by all standards a political version similar to the jihadist Islam of groups like ISIS and Boko Haram of recent years (साधु संत जिस सनातन धर्म और क्लासिकल हिंदूइज़्म को जानते हैं, उसे किनारे करके हिंदुत्व के ऐसे वर्ज़न को आगे बढ़ाया जा रहा है जो हर पैमाने पर ISIS और बोको हरम जैसी जिहादी इस्लामी संगठनों की राजनीति के रूप जैसा है)

बीजेपी और संघ से जुड़े नेताओं की तरफ़ से इस पर कड़ी प्रतिक्रिया आई है। सलमान ख़ुर्शीद के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज करवाए जाने की ख़बरें आ रही हैं। ख़बर यह भी सुनने में आ रही है कि बीजेपी शासित राज्यों में इस किताब पर बैन लगाने के लिये क़ानूनी राय ली जा रही है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने सलमान ख़ुर्शीद की टिप्पणी को ग़लत बताया, वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी सलमान ख़ुर्शीद का बचाव करते हुए नज़र आए। 12 नवम्बर 2021 को एक बयान में उन्होंने कहा, हम कहते हैं हिंदू धर्म और हिंदुत्‍व में फर्क है क्‍योंकि अगर फर्क नहीं होता तो नाम ही एक होता। हिंदुत्‍व को हिंदू की जरूरत नहीं होती या हिंदू को हिंदुत्‍व की जरूरत नहीं होती।

राहुल गांधी ने पूछा, 'क्‍या हिंदूइज्‍म का मतलब सिख या मुसलमान को पीटना है? क्‍या हिंदुइज्‍म अखलाक को मारने के बारे में है? किस किताब में ऐसा लिखा है? मैंने उपनिषद पढ़े हैं, मगर ऐसा नहीं देखा। कहां ऐसा लिखा है कि आप किसी निर्दोष की हत्‍या कीजिए?'

इन इशारों को समझिये। ऐसा लगता है कि राहुल गाँधी की कांग्रेस ने अब गरम हिंदुत्व की काट करने के लिये गाँधीवादी नरम हिंदुइज़्म की पैरोकार बनने का इरादा कर लिया है।

इस समय कांग्रेस के दो रूपों के बीच कश्मकश चल रही है। एक है, "राहुल गाँधी की कांग्रेस" जो गाँधीवादी हिंदुइज़्म के साथ समावेशी राजनीति करना चाहती है।

दूसरी है, "संघी कांग्रेस" इस कैटेगरी में वो लीडर्स आते हैं जो मानसिक रूप से "संघम् शरणम् गच्छामि" की विचारधारा रखते हैं, लेकिन बाहरी तौर पर कांग्रेसी होने का दिखावा करते हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले शायद कांग्रेस में एक बड़ा विभाजन देखने को मिल सकता है। अगर राहुल गाँधी, अपनी दादी इंदिरा गाँधी जैसी हिम्मत जुटा पाए और संघी कांग्रेसियों को कड़ा संदेश दे पाए तो शायद कई बड़े कांग्रेसी चेहरे खुले तौर पर बीजेपी खैमे में नज़र आएंगे। फिलहाल यह भविष्य के गर्भ में छुपा है इसलिये इसे एक अनुमान ही समझा जाए।

मुसलमानों की समस्या यह है कि सियासत के मामले में उनकी कोई स्पष्ट सोच नहीं हैं। जज़्बात में आकर कभी इसके ख़िलाफ़ तो कभी उसके ख़िलाफ़ ज़काते-वोट (मतदान) अदा करके आ जाता है। हम बहुत जल्द, समझ-बूझ रखने वाले लोगों से मशविरा करके मुसलमानों के राजनैतिक सुधार (पॉलिटिकल रिफॉर्म) का ख़ाका पेश करेंगे, इं-शा अल्लाह!

मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी तबके से हम एक गुज़ारिश करते हैं कि अपनी लेखनी के ज़रिए आम मुसलमानों को हर किसी के फटे में टाँग अड़ाने की रविश छोड़ने की अपील करें। अपने समाज में मौजूद बुराइयों को दूर करने और एक अच्छा समाज बनाने की तरफ़ लोगों की सोच को बेदार करें।

सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क

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Comments (1)
M Yaseen Qureshi Waqeel taxation

Iss mamle me aisa lag raha hai ki Mr. Rahul Gandhi, Janab Salman saaheb ke kandhe par rakhkar bandook chala rahe hain.

Fri 12, Nov 2021 · 07:40 pm · Reply