मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया

सगाई में लड्डू ज़रूरी समझूँ,
तारीख़ सुनाता हूँ नारियल देकर,
ये सब ग़ैरों की रस्में हैं मालूम मुझे,
लेकिन मैंने शिर्क नहीं किया।

मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया।

डीजे संग बारात ले जाऊं,
बम-पटाखे खूब छुड़ाऊं,
भंगड़ा-ढोल संग दुल्हन लाऊं,
लेकिन मैंने शिर्क नहीं किया।

मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया।

फ़िज़ूलख़र्च शैतान का भाई,
शादी-ब्याह में होती है बेहयाई,
ग़ैर-क़ौमों की मैं करता बराबरी,
लेकिन मैंने शिर्क नहीं किया।

मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया।

बच्चों पर मेरा कंट्रोल नहीं, ऐसी बाप की पावर,
बीवी मेरी एक न माने, मैं पति इतना जोरावर,
काम बहुत मैं ग़लत करता हूँ,
लेकिन मैंने शिर्क नहीं किया।

मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया।

सारे गुनाह माफ़ मेरे, मैं पक्का अहले-हदीस,
जबान खींच लूंगा तेरी, जो तूने मुझको कहा खबीस,
मुंह संभालकर बात करना, बोली मेरी घटिया,
लेकिन मैंने शिर्क नहीं किया।

मैं जन्नत में जाऊंगा, मैंने शिर्क नहीं किया।

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