मासूम बच्चियों की आहें कब तक अनसुनी की जाएंगी?
इस ब्लॉग के साथ दो मिनट का एक वीडियो है। ये वीडियो हमें कई लोगों ने सेंड किया, शायद इस उम्मीद में कि आदर्श मुस्लिम अख़बार, अपने आदर्श मीडिया नेटवर्क के ज़रिए, मुस्लिम क़ौम के लाखों लोगों तक इस फरियाद को पहुंचा सके। भरोसा जताने के लिये शुक्रिया दोस्तों! हम उस मुस्लिम बेटी के दर्द को पुरज़ोर अंदाज़ में समाज तक पहुँचाने की पूरी कोशिश करेंगे।
गया (बिहार) की एक मुस्लिम लड़की ने एक आलिम को ख़त लिखा। ख़त में क्या लिखा, उसे आप इस वीडियो में सुन सकते हैं। हम उस मुस्लिम बेटी के जज़्बात को शब्दों में ढालने की कोशिश कर रहे हैं।
लड़की ने लिखा, मेरे वालिद एक सरकारी नौकरी में हैं। वालिदा बीमार रहती हैं। हम चार बहनें हैं। ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट तालीमयाफ्ता हैं। वालिद की तनख़्वाह से माँ की दवाई और घर का ख़र्च मुश्किल से चलता है।
आगे उस लड़की ने लिखा, हमारे वालिद, हम बहनों की शादी को लेकर बहुत फिक्रमंद रहते हैं। शादी के इख़राजात पूरा करने पर क़ुदरत (सामर्थ्य) नहीं रखते। कल रात को मेरी नींद उस वक़्त उचट गई जब तहज्जुद की नमाज़ पढ़कर मेरे वालिद अल्लाह की बारगाह में दुआएं माँगते हुए सिसकियों के साथ रो रहे थे।
लड़की ने अपने ख़त में आगे लिखा, मेरे वालिद रो-रोकर कह रहे थे कि ऐ अल्लाह! मेरी बेटियों की शादी मुझ पर अज़ाब बन गई है। मुझे कब इससे नजात मिलेगी?
इसके बाद उस मुस्लिम बेटी ने उन आलिम साहब से जो फ़तवा तालाब किया उसे जानकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे। लड़की ने पूछा, चचाजान! क्या अब भी हमारे लिये ख़ुदकुशी जाइज़ नहीं है?
हम अपनी क़ौम के पत्थरदिल इंसानों से कोई उम्मीद नहीं रखते। उन दिखावटी दीनदारों से भी कोई आस नहीं लगाते जो समाज-सुधार की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन समाज सुधार के इक़रारनामे को तब तक क़ुबूल करना नहीं चाहते जब तक पूरी क़ौम-बिरादरी न मान ले।
हम तो मुस्लिम क़ौम के नर्मदिल लोगों से गुज़ारिश करते हैं कि इन मासूम बेटियों की आहों को सुनिये। शादी को "सादी" बनाने के मिशन को आम कीजिये और शुरुआत अपने घर से करें। इस मिशन में हमारा साथ दीजिये। इस ब्लॉग को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कीजिये।
ईदुल फ़ित्र के बाद, हम रस्मो-रिवाज मुक्त मुस्लिम समाज के लिये एक पूरा ख़ाका पेश करेंगे और ज़मीनी सतह पर अपनी ताक़त-भर कोशिशें करेंगे, इन् शा अल्लाह। अगर आप साथ जुड़ना चाहें तो आपका स्वागत है। हमारे व्हाट्सएप नम्बर 9829346786 पर सम्पर्क कीजिएगा।
वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान।
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