कोरोना इफेक्ट्स-04 : मर्दों पर भारी, यह बीमारी

कोरोना इफेक्ट्स-04 : मर्दों पर भारी, यह बीमारी

हज़रत अनस बिन मालिक (रज़ि०) ने बयान किया कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इर्शाद फ़रमाया, क़यामत की निशानियों में से यह है कि इल्म उठा लिया जाएगा, जहालत फैल जाएगी, ज़िना की कसरत (अधिकता) हो जाएगी, शराब पी जाएगी, मर्द चले जाएंगे और औरतें बाक़ी रह जाएंगीं; यहाँ तक कि 50 औरतों की देखरेख के लिये 1 मर्द होगा। (सहीह मुस्लिम : 2671)

इस हदीस को पढ़कर ऐसा लगता है कि हम लोग बड़ी तेज़ी से क़यामत की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें जो-जो निशानियां बताई गईं हैं, हम उन्हें पूरा होते हुए देख रहे हैं। मर्दों की तादाद बहुत कम हो जाने और औरतों की तादाद बहुत ज़्यादा बढ़ जाने के बारे में मुफ़स्सिरीन के अलग-अलग क़यास थे।

कोरोना महामारी के चलते दुनिया भर में अब तक ढाई लाख से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं। इन मौतों के आंकड़ों में मर्द-औरत अनुपात देखें तो हमें इस हदीस के आख़री जुमले की हक़्क़ानियत भी समझ में आ जाती है और इसका तसल्लीबख़्श जवाब भी मिल जाता है।

■ हैरतअंगेज़ फेक्ट : कोरोना से मर्दों की मौतें ज़्यादा

लोग कहते हैं कि कोरोना वायरस किसी की जाति, धर्म या लिंग देखकर वार नहीं करता है। लेकिन, अब तक के आंकड़े इस दावे को ग़लत ठहरा रहे हैं। कोविड-19 की महामारी मर्दों और औरतों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डाल रही है।

कोविड-19 के चलते हुईं मौतों के आंकड़े देखकर ही अंदाज़ा हो जाएगा कि ये वायरस लिंग भेद कर रहा है। मिसाल के लिए अमेरिका में कोविड-19 से मरने वाली महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या दो गुना है। इसी तरह पूरे पश्चिमी यूरोप में कोविड-19 से मरने वाले 69 फ़ीसद सिर्फ़ पुरुष हैं। चीन या कोरोना का प्रकोप झेलने वाले अन्य किसी देश में भी यही स्थिति है।

इसका मतलब यह हुआ कि अगर आइंदा कभी इस बीमारी का ज़्यादा ख़तरनाक मॉडल सामने आया तो वैसी ही सूरतेहाल पेश आ सकती है, जिसका ऊपर बयान की गई हदीस में किया गया है, यानी 50 औरतों की देखरेख के लिये 1 मर्द। मुफ़स्सिरीन का मानना था कि ऐसा जंग की वजह से होगा। जंग अगर तीर, तलवार या बंदूक से लड़ी जाए तो ऐसा हो भी सकता है लेकिन आजकल जंग बम और मिसाइलों से लड़ी जाती है। मारने के मामले में बम विस्फोट मर्द-औरत में फ़र्क़ नहीं करता।

आने वाले ज़माने में क्या होने वाला है, उसकी निशानदेही इस हदीस में कर दी गई है। कोरोना (कोविड-19) उसकी एक झलक है। कल्पना कीजिये कि अगर किसी वैश्विक युद्ध में ऐसे किसी वायरस को हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया तो उसका नतीजा वही होगा, जिसका ज़िक्र इस हदीस में है।

■ मौत के मामले में फ़र्क़ की वजह क्या हो सकती है?

कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या का ब्यौरा रखने वाली रिसर्चरों की टीम इसकी वजह तलाशने में जुटी हुई है। हालांकि अभी तक कोई सटीक कारण सामने नहीं आ सका है।

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर फ़िलिप गोल्डर कहते हैं कि महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता पुरुषों की तुलना में बेहतर होती है। किसी भी वायरस को सक्रिय होने के लिये, ख़ास तौर से कोरोना वायरस के लिये, जिस प्रोटीन की आवश्यकता होती है वो 'एक्स क्रोमोसोम' में होता है। महिलाओं में 'एक्स क्रोमोसोम' दो होते हैं, जबकि पुरुषों में एक होता है। इसीलिए महिलाओं में किसी भी वायरस का प्रकोप झेलने की क्षमता ज़्यादा होती है।

बुज़ुर्गों के लिए भी हालात बेहतर नहीं हैं। बुज़ुर्ग पुरुषों में संक्रमित होने की संभावना ज़्यादा है। वहीं बज़ुर्ग महिलाओं में संक्रमित होने पर ठीक होने की भी संभावना ज़्यादा है।

कोरोना इफेक्ट्स सीरिज़ में अभी और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। हमारे साथ बने रहें, इस ब्लॉग को शेयर करें, यही गुज़ारिश है। हमारे अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिये More Blogs पर क्लिक करें। सलीम ख़िलजी चीफ़ एडिटर, आदर्श मुस्लिम

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