महामारी रोग अधिनियम, 1897 में बदलाव के क्या असरात होंगे?
आदर्श मुस्लिम एक ज़िम्मेदार अख़बार है। भारत सरकार के पोर्टल My Gov मेरी सरकार के तहत चलाए जा रहे कोरोना न्यूज़डेस्क से हमारे टेलीग्राम अकाउंट पर कोरोना से सम्बंधित ख़बरें बराबर भेजी जाती हैं। आज के ब्लॉग में हम महामारी रोग अधिनियम, 1897 में किये गये बदलावों और उसके प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
सबसे पहले तो हम यह स्पष्ट कर दें कि भारत सरकार ने कोई नया क़ानून नहीं बनाया है। केंद्र सरकार ने 123 साल से चले आ रहे एक क़ानून महामारी रोग अधिनियम, 1897 में वर्तमान हालात के मुताबिक़ कुछ बदलाव किये हैं। इन बदलावों को कल 22 अप्रैल 2020 को कैबिनेट ने मंज़ूरी दी, जैसा कि आप भारत सरकार द्वारा जारी इस ई-पोस्टर में देख सकते हैं। सोशल मीडिया के कॉपी-पेस्ट लेखकों को शायद इसकी जानकारी नहीं है।
■ पुराने क़ानून में क्या-क्या बदलाव किये गये हैं?
01. डॉक्टर्स, नर्सेज़ सहित सभी हेल्थवर्कर्स के साथ की जाने वाली हिंसा की ज़मानत सिर्फ़ अदालत में होगी, थाने में ज़मानत नहीं हो सकेगी।
02. पुलिस को मामले की जाँच रिपोर्ट दर्ज होने के 30 दिन में पूरी करनी होगी यानी एक महीने में चालान पेश करना होगा। अदालत एक साल के अंदर फैसला सुना देगी यानी मामले को लम्बा नहीं खींचा जा सकेगा।
03. हेल्थवर्कर्स से सम्बंधित इस मुक़द्दमे में गंभीर नुक़सान पहुंचाए जाने की सूरत में अधिकतम 7 साल की जेल और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
04. अगर किसी हेल्थवर्कर की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाया गया तो उसके बाज़ार मूल्य का दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा।
यहाँ एक बात और बता देना मुनासिब होगा कि अगर किसी के ख़िलाफ़ अब मुक़द्दमा दर्ज होता है तो बेगुनाह होने का सबूत देना मुल्ज़िम (आरोपी) की ज़िम्मेदारी होगी। साधारण मामलों में आरोप लगाने वाले पर यह ज़िम्मेदारी लागू होती है कि वो अपने आरोप के पक्ष में सबूत पेश करे।
■ क़ानून में ये बदलाव कब तक प्रभावी रहेंगे?
01. किसी भी अध्यादेश की मियाद 6 माह होती है। उसके बाद या तो संसद से पास कराया जाए या फिर अगले 6 माह के लिये वापस अध्यादेश लाया जाए।
02. यह भी जान लें कि महामारी रोग अधिनियम, 1897 तभी लागू होता है जब केंद्र या कोई राज्य सरकार किसी बीमारी को महामारी घोषित करे। यानी महामारी ख़त्म हो जाने के बाद मेडिकल सेवा से जुड़े नॉर्मल क़ानून लागू होंगे।
■ ये बदलाव क्यों किये गये?
देश में इस समय कोरोना (कोविड-19) का क़हर बरपा है जिसे वैश्विक महामारी घोषित किया जा चुका है। संक्रमण के ज़रिए फैलने वाली इस बीमारी के दौरान हेल्थकेयर से जुड़े स्टाफ़ के साथ देश में कई जगहों पर हिंसक मामले सामने आए हैं। डॉक्टर्स ने सरकार द्वारा कड़े क़दम न उठाए जाने की दशा में 23 अप्रैल 2020 (यानी आज) से हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। इसलिये एक दिन पहले यानी कल 22 अप्रैल 2020 को सरकार ने इन बदलावों को मंज़ूरी दी।
■ इन बदलावों के असरात क्या होंगे?
जब कभी महामारी फैली हो उस दौरान मेडिकल सेवा से जुड़े लोगों के साथ किसी भी प्रकार की हिंसा करने वाले की ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी। अभी जो हालात हैं उसमें ख़ास तौर पर इस बात को ध्यान में रखकर चलना चाहिये। जैसा कि आप ऊपर पढ़ चुके हैं।
■ क्या इस अध्यादेश का दुरुपयोग हो सकता है?
जी हाँ! अक्सर ऐसा ही होता है। सरकार पीड़ित को न्याय दिलाने के लिये क़ानून बनाती है या पुराने क़ानून में संशोधन करती है लेकिन कई लोग उसका ग़लत इस्तेमाल भी करते हैं। मिसाल के तौर पर दहेज विरोधी क़ानून, घरेलू हिंसा निरोधक क़ानून इत्यादि।
सरकार ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 में बदलाव अच्छे इरादे से किये हैं। सरकार उन सभी हेल्थवर्कर्स के जान-माल की हिफ़ाज़त करना चाहती है जो अपनी जान संकट में डालकर लोगों का इलाज करने में लगे हुए हैं।
इस अध्यादेश के ज़रिए किये गये बदलावों का भी दुरुपयोग हो सकता है, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर कोई व्यक्ति इस क़ानून का ग़लत इस्तेमाल करे तो उसके ख़िलाफ़ भी कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिये। सरकार को इस पहलू पर भी ग़ौर करना चाहिये।
■ तमाम नागरिक इन बातों का ध्यान रखें
01. कोविड-19 महामारी की रोकथाम में लगे हेल्थवर्कर्स का सहयोग करें। उनके किसी किस्म की बदतमीज़ी न करें। अगर आपको कोई बात नागवार लगे तब भी सब्र करें।
02. अपने जज़्बात पर क़ाबू रखें। किसी भी अफवाह पर भरोसा न करें। आईटी सेल के तथाकथित साइबर योद्धा भावनाओं को भड़काने वाली पोस्ट्स वायरल करते रहते हैं, उन पर ध्यान न दें। अगर कोई संगीन मामला हो तो उसका स्क्रीनशॉट लेकर उसके ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज कराएं।
03. हमेशा तनावमुक्त (Tension Free) रहने की कोशिश करें। कई बार इंसान अपनी मानसिक उलझन के चलते किसी से झगड़ा कर बैठता है। उसके बाद पछतावा करने से भी कुछ नहीं होता।
04. इलाज के दौरान संजीदा इंसान को अपने साथ रखें। मरीज के साथ अगर कोई गुस्सैल या झगड़ालू अटेंडेंट हो तो भी मेडिकल स्टाफ़ के साथ विवाद होने की संभावना रहती है। इसलिये किसी समझदार इंसान को ही साथ रखें।
05. वीडियो रिकॉर्डिंग करें। अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके साथ किसी धर्म विशेष या जाति विशेष का होने के कारण, ग़लत व्यवहार हो रहा है या आपको झूठे मुक़द्दमे में फंसाने की साज़िश का अंदेशा हो तो सबूत रखने के लिये किसी दोस्त या रिश्तेदार से उस वक़्त की रिकॉर्डिंग करवाएं ताकि ज़रूरत पड़ने पर आपकी बेगुनाही साबित हो सके।
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