लॉकडाउन जैसी मुश्किलों में यह दुआ पढ़ें। इसका मफ़हूम (भावार्थ) क्या है, समझ लें

हज़रत यूनुस (अलैहिस्सलाम) मछली के पेट में क़ैद थे। बड़ी बेबसी का आलम था। ऐसे वक़्त में उन्होंने यह दुआ पढ़कर अपने रब को पुकारा,
ला इला-ह इल्ला अन्त सुब्हान-क इन्नी कुन्तु मिनज़-ज़ालिमीन (ऐ अल्लाह, तेरे सिवा कोई इलाह नहीं, तू सुब्हान है, बेशक मैं ही ज़ालिमों में से हो गया हूँ।)

इस दुआ का मफ़हूम (भावार्थ) समझिए। इस दुआ के तीन हिस्से हैं,

01. सबसे पहले हम यह स्वीकार करें कि अल्लाह के सिवा कोई इलाह नहीं है। अल्लाह को इलाह मानने का मतलब यह है कि हम यह इक़रार करें कि नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज्ज सहित हर किस्म की इबादतें, तमाम किस्म की तारीफ़ें और हम्दो-सना, हर किस्म की क़ुर्बानी, नज़रो-नियाज़ का हक़दार सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह है। इक़रार करने का मतलब यह है कि हम अपने दिल से इन बातों को क़ुबूल करें, ज़ुबान से इसका ऐलान करें और अपने आमाल (कर्मों) के ज़रिए इज़हार (प्रदर्शन) करें।

02. उसके बाद, हम दिल, ज़बान व आमाल के ज़रिए इस बात का इक़रार करें कि अल्लाह सुब्हान है। सुब्हान होना सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह की सिफ़त है। सुब्हान का मतलब है, हर किस्म के ऐब से पाकीज़ा (पवित्रतम) होना यानी त्रुटिहीन (Errorless) होना। मख़लूक़ (सृष्टि) से ग़लती होती है, फिर वो तौबा करके पाक होती है लेकिन अल्लाह वो अज़ीम शख़्सियत है जो कभी कुछ ग़लत करता ही नहीं है।

03. इसके साथ ही हम इस बात को भी स्वीकार करें कि जो मुसीबत और परेशानी हमको घेरे हुए है, वो ज़रूर हमारी ही किसी ग़लती का नतीजा है। यक़ीनन हमने ही कोई ज़ुल्म किया है।

इस मफ़हूम को समझ लेने के बाद अगर हम सच्चे दिल से ला इला-ह इल्ला अन्त सुब्हान-क इन्नी कुन्तु मिनज़-ज़ालिमीन पढ़ेंगे तो यक़ीन जानिये कि अल्लाह सुब्हानहू व तआला हमें हमारी ग़लतियों और कोताहियों के बारे में आगाह करेगा और फिर वही अपने फ़ज़्ल से इस लॉकडाउन जैसी हर क़ैद से आज़ाद करेगा।

अल्लाह तआला हम सबको इस आयत ला इला-ह इल्ला अन्त सुब्हान-क इन्नी कुन्तु मिनज़-ज़ालिमीन का मफ़हूम समझने और सच्चे दिल से पढ़ने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए, आमीन।

इस वक़्त हम सब के पास फुर्सत के लम्हे हैं। फ़ालतू पोस्ट इधर से उधर शेयर करने के बजाय अल्लाह के ज़िक्र में अपने वक़्त को लगाएं। अगर आप अच्छी बात लिख सकते हैं तो ज़रूर लिखें वर्ना अच्छी पोस्ट को शेयर करके नेकी फैलाने में मददगार बनें।

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