क्या मुसलमान ईद पर नया कपड़ा पहनेगा तब ही ईद होगी?
यह ब्लॉग मोहम्मद नाज़िम रज़ा (मधुबनी बिहार) की भेजी हुई पोस्ट पर आधारित है। इस ब्लॉग में एक अहम मुद्दे की तरफ़ तवज्जो दिलाने की कोशिश की गई है। इसे पूरा पढ़िये और ज़्यादा से ज़्यादा शेयर कीजिये ताकि मुस्लिम औरतें परेशानी से बच सकें।
यक़ीनन 30 दिन रोज़ा रखने के बाद, ईद की ख़ुशी मनाना हर मुसलमान का हक़ है, नये कपड़े-जूते ख़रीदना भी इस ख़ुशी में शामिल है। लेकिन इस समय जो सूरतेहाल है, उसमें ईद कैसे मनाई जाए, यह एक अहम सवाल है।
देश के अधिकांश राज्यों में लॉक डाउन या आंशिक लॉक डाउन की स्थिति है। सरकारी आदेश के तहत दुकानों को बंद रखने को कहा जा रहा है लेकिन कई दुकानदार ग्राहकों को अंदर बुलाकर शटर बंद करके चोरी-छुपे शॉपिंग करा रहे हैं।
जूते-कपड़े की दुकानों का भी यही हाल है। ईद क़रीब है इसलिये मुस्लिम औरतें भी शटरबंद दुकानों में जाकर कपड़ा खरीद रही हैं। हालांकि चोरी-छुपे ख़रीदारी करने में ग़ैर-मुस्लिम भी शामिल हैं। ख़रीदारी करने के बाद औरतें छुपती-छुपाती बाहर निकलती हैं। इधर पुलिस-प्रशासन छापा मार रही है और बहुत सारी औरतों-लड़कियों को पकड़ा भी है।
अगर अल्लाह न करे आपके घर की औरतों-बच्चियों को पुलिस वालों ने पकड़ लिया तो आपके साथ पूरी क़ौम की बदनामी होगी। अल्लाह न करे किसी बंद शटर दुकान में किसी मुस्लिम माँ-बहन के साथ कोई ग़लत हरकत हुई तो क्या होगा? यहीं से यह सवाल पैदा होता है,
◆ क्या मुसलमान ईद पर नया कपड़ा पहनेगा तब ही ईद होंगी?
◆ क्या हम अपनी माँ-बहनों को बाज़ारों में जाने से रोक नहीं सकते?
◆ क्या हमें मालूम नहीं कि हमारे घर की औरतें बंद बाज़ारों में जाकर सामान खरीद रही हैं?
अल्लाह तआला ने मर्दों को औरतों पर हाकिम बनाया है। आप मर्द हैं, अपनी औरतों को क़ाबू में रखे और बंद बाज़ारों में न जाने दें। मेहरबानी करके ख़ुद भी बाज़ारों में न जाये और दूसरों को भी जाने से रोकें।
इस वक़्त कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते जान ख़तरे में है। बीमारी का इलाज आम आदमी की पहुंच से बाहर है। ऐसे हालात में बहुत एहतियात रखना होगा और सावधानी बरतनी होगी। कोविड-19 के चलते आमदनी में कमी आई है और यह हालात कब नॉर्मल होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। दो महीने बाद ईदुल अज़हा भी है इसलिये मुसलमानों को ग़ैर-ज़रूरी ख़रीदारी करने से बचना चाहिये। यह बात हमारी औरतों को भी समझाने की ज़रूरत है।
औरतों को यह बात समझाएं कि जब हालात पूरी तरह नॉर्मल हो जाएं, जब दुकानें बिना किसी सरकारी पाबंदी खुलने लगें, तब ही ख़रीदारी करने जाएं। बंद दुकानों में अगर उनकी इज़्ज़त से खिलवाड़ हुआ तो इसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। हर शख़्स के पास कैमरे वाला मोबाइल है, अगर उसका वीडियो वायरल हुआ तो कहीं हम सबकी बदनामी ना हो जाये। सोचिये! अल्लाह के वास्ते सोचिये!! अपने घरों की औरतों को समझाइये।
रोज़ा हमें अपने नफ़्स पर क़ाबू करना सिखाता है। इसलिये अपने नफ़्स पर क़ाबू कीजिये। अपनी इज़्ज़त को ख़तरे में डालकर, किसी शटरबंद दुकान से कपड़े खरीदने से बेहतर यह है घर में मौजूद कपड़ों को पहनकर ईद मनाएं। अल्लाह तआला तमाम मुस्लिम औरतों को यह बात समझने और अमल करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए, आमीन।
इस ब्लॉग को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें और अपने घरों की औरतों को भी पढवाएं।
वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786
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