क्या एनकाउंटर सम्भावित था?
कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे के नाटकीय सरेंडर और एनकाउंटर पर मीडिया में चली कुछ टिप्पणियों पर आज की यह रिपोर्ट आधारित है।
सत्य हिंदी यूट्यूब चैनल से जुड़े मशहूर पत्रकार आशुतोष ने 10 जुलाई 2020 की सुबह एक ट्वीट किया था, विकास दुबे अगर ज़िन्दा रहता तो कई नेता जीते जी मर जाते।
इसका जवाब देते हुए आज तक न्यूज़ चैनल के वरिष्ठ पत्रकार रोहित सरदाना ने अपने ट्वीट में कहा कि एनकाउंटर सम्भावित ही था। देखिये ट्वीट,
आज तक चैनल के एक अन्य पत्रकार राहुल कंवल ने अपने ट्वीट में विकास दुबे के पीछे छुपे चेहरों के बेनकाब न होने पर निराशा जताई।
राहुल कंवल के ट्वीट पर व्यावहारिक ज्ञान भरी टिप्पणी करते हुए रोहित सरदाना ने अपने ट्वीट में कुछ इस तरह कहा,
रोहित सरदाना के उपरोक्त ट्वीट को रीट्वीट करने वालों में आज तक की सरकारभक्त पत्रकार श्वेता सिंह भी थीं। लेकिन उन्होंने अपने ट्वीट में विपक्ष पर कुछ इस तरह टिप्पणी की,
मीडिया से जुड़े नामी-गिरामी पत्रकारों के यह ट्वीट विकास दुबे एनकाउंटर के थोड़ी देर बाद के हैं। इनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि मीडिया से जुड़े लोगों को विकास दुबे की आत्मसमर्पणनुमा गिरफ्तारी के बाद यह संभावना लग रही थी कि शायद उसका एनकाउंटर हो सकता है।
बहरहाल! विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद बहुत सारे राज़ अब शायद कभी सामने नहीं आ पाएंगे। उसको किसका संरक्षण प्राप्त था? पुलिस-प्रशासन में उसके मददगार कौन थे? ये सवाल अब सवाल ही रहेंगे।
एक ख़ास बात जो रोहित सरदाना के ट्वीट से निकलकर सामने आती है, वो यह कि विकास दुबे इस गलतफ़हमी में था कि महाकाल मंदिर उज्जैन में सरेंडर किये जाने के बाद उसके ज़िंदा रहने की संभावना पक्की है। उसे इस बात यक़ीन किसने दिलाया था? यह राज़ भी अब राज़ ही रहेगा।
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