क्या कोविड-19 चीनी जैविक हथियार है?
पिछले साल मार्च-अप्रैल 2020 में, जब कोरोना वायरस कोविड-19 एक के बाद एक सभी देशों को अपनी चपेट में लेता जा रहा था उस वक़्त तीन तरह की बातें चर्चा में थीं।
01. कुछ लोगों का कहना था कि कोविड-19 उसी तरह की एक महामारी है जो हर 100 साल में दुनिया में तबाही मचाती है। दलील के तौर पर एक फोटो शेयर की जा रही है।

हमने जब इसकी पड़ताल की तो पाया कि
◆ प्लेग की महामारी सन 1347 से 1351 तक फैली।
◆ कॉलेरिया (हैजा) की महामारी सन 1817 में फैली।
◆ स्पेनिश फ्लू की महामारी सन 1918 में फैली और इसी के चलते 1914 से चल रहा पहला विश्वयुद्ध ख़त्म हुआ।
◆ कोरोना वायरस द्वारा जनित महामारी सन 1919 में सामने आई इसीलिये इसे कोविड-19 कहा जाता है। लेकिन इसने ज़्यादा तबाही 2020 और 2021 में मचाई है।
इससे ज़ाहिर होता है कि हर 100 साल में एक महामारी का दावा पूरी तरह सही नहीं है।
02. कुछ लोगों का यह मानना है कि यह एक क़ुदरती अज़ाब है जो इंसानों की बुरी करतूतों की वजह से आया है। जो लोग धर्म पर आस्था रखते हैं उनका कहना है कि अल्लाह की मर्ज़ी के बिना कोई महामारी इतनी तबाही नहीं मचा सकती। यह बात सही भी है।
03. कुछ लोगों का यह कहना है कि कोविड-19 चीन द्वारा विकसित किया गया जैविक हथियार है।
यह बात पिछले साल भी उठी थी लेकिन चीन ने इसका खंडन किया था। बाद में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी चीन को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि कोविड-19 जानवरों से इंसानों में फैली एक संक्रामक बीमारी है।
पिछले साल 7 अप्रैल 2020 को हमने एक आर्टिकल पब्लिश किया था जिसमें इस मुद्दे पर भी चर्चा की गई थी। लिंक नीचे दिया गया है,
दुनिया के टॉप-30 कोरोना वायरस (Covid-19) प्रभावित देश

8 मई 2021 को एक ऑस्ट्रेलिया की एक मैगज़ीन द ऑस्ट्रेलियन ने चीन से लीक एक दस्तावेज के हवाले से दावा किया कि चीन 2015 से ही कोरोना को जैविक हथियार के रूप में दुश्मन के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने की दिशा में काम कर रहा था। इसके बाद अन्य कई मैगज़ीन्स ने यही बात दोहराई जिनमें द न्यूज़ और द वीक भी शामिल हैं।
ऐसी रिपोर्ट्स छपने के बाद एक बार फिर कोविड-19 के चीन द्वारा विकसित जैविक हथियार के मुद्दे पर चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो गया है। इसके संबंध में निम्नलिखित दलीलें दी जा रही हैं,
◆ कोविड-19 से चीन और उसके समर्थक माने जाने वाले देशों में सबसे कम नुक़सान हुआ और वहाँ स्थिति नियंत्रण में है।
◆ 2020 में चीन और अमेरिका के बीच तनाव चरम सीमा पर था और युद्ध का अंदेशा जताया जा रहा था। इसी बीच कोविड-19 के संक्रमण ने अमेरिका को बुरी तरह चपेट में ले लिया। अमेरिकी सरकार उससे क़ाबू पाने में लग गई। जैविक हथियार थ्योरी के समर्थक कहते हैं कि कोविड-19 से सबसे ज़्यादा संक्रमण और मौतें चीन विरोधी अमेरिका में हुईं। क्या ये महज़ एक संयोग है?
◆ साल 2020 के अंत में लद्दाख में घुसपैठ को लेकर भारत और चीन में तनाव की स्थिति बनी। एकबारगी तो लगने लगा था कि अब युद्ध होकर रहेगा। फिर नाटकीय रूप से भारत-चीन के बीच वार्ता हुई और युद्ध की स्थिति टल गई।
साल 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर ने भारत में सबसे ज़्यादा तबाही मचाई। तेज़ी से केसेज़ बढ़े और बड़ी तादाद में मौतें हुईं। इस साल भारत की हालत भी वैसी ही है जैसी 2020 में अमेरिका की थी।
कोविड-19 को जैविक हथियार मानने वालों का यह सवाल है क्या यह भी एक संयोग है? अमेरिका और भारत, दोनों हो देशों के साथ चीन का टकराव है। दोनों ही देश कोविड-19 से सर्वाधिक पीड़ित भी हैं।
इस जैविक हथियार थ्योरी के समर्थक यह भी कहते हैं कि दुनिया में कुल 195 देश हैं। इन सभी देशों के कोविड-19 संक्रमण और मौतों के आंकड़ों पर नज़र डाली जाए तो पता चलता है अमेरिका+भारत के आंकड़े पूरी दुनिया के आंकड़ों का 20% प्रतिशत हैं। वहीं अगर चीन की बात की जाए तो वहाँ मात्र एक लाख लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए उनमें से 90 हज़ार से ज़्यादा लोग कोविड-19 से रिकवर भी हो गये।
पूरी सच्चाई क्या है? यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगी। हमने उस अनछुए मुद्दे को ख़बर के रूप में आप तक पेश किया है जो अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में चल रहा है। हम आपको यह भी बता दें कि जैविक हथियार थ्योरी के और ज़्यादा ठोस सबूत सामने आने से पहले आदर्श मुस्लिम अख़बार उसकी पुष्टि नहीं करता।
इस न्यूज़ एंड व्यूज़ रिपोर्ट पर अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में दें। इस आर्टिकल को शेयर भी करें।
वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786
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