इन चराग़ों को जलाओ कि अंधेरा है बहुत

इन चराग़ों को जलाओ कि अंधेरा है बहुत

किसी शाइर ने बहुत ख़ूब लिखा है,
अमल चराग़ है राहे-नजात का लेकिन,
चराग़ जलता नहीं है, जलाया जाता है।

चराग़ रोशनी देता है, अंधेरा मिटाता है लेकिन चराग़ को जलाना पड़ता है। आसमान पर नज़र आने वाला चाँद भी एक चराग़ है, वो भी सूरज की रोशनी से रोशन होता है। अमावस की रात, जब सूरज की किरणें, चाँद तक नहीं पहुँचती तो चाँद भी आसमान पर नज़र नहीं आता।

देश भर से फोन कॉल्स और व्हाट्सएप, टेलीग्राम मैसेजेज़ के ज़रिए बड़ी तादाद में मुस्लिम भाइयों और बहनों ने हमसे संपर्क किया है। सबके मन में हमने एक दर्द, एक टीस महसूस की है। हर शहर और हर गाँव में क़ौम की इस्लाह का जज़्बा रखने वाले लोग हैं, बस उन्हें एक्टिवेट करने की ज़रूरत है।

इसलिये हम आपकी ख़िदमत में यह भी अर्ज़ करना मुनासिब समझते हैं कि अपने स्तर पर, अमली तौर पर जितना भी हो सके, उतना समाज-सुधार का काम करें क्योंकि बिना प्रेक्टिकल वर्क किये समाज में बदलाव लाना मुश्किल होगा। यक़ीनन हम भी आपके साथ हैं।

हमें यह जानकारी देते हुए निहायत ही ख़ुशी हो रही है कि गिरीडीह (झारखंड) से हमारे एक अज़ीज़, तारीक़ अनवर साहब और जहाँगीर अंसारी साहब ने अपने कुछ साथियों को जोड़कर दहेज रोकथाम कमिटी बनाई है। हमारे इन युवा साथियों ने दहेज प्रथा को समाज से ख़त्म करने के लिये झारखंड के चार ज़िलों जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह और धनबाद में कई मीटिंग्स की है। वेल डन दोस्तों! कीप इट अप! इन्होंने टेलीग्राम एप पर एक ग्रुप भी बनाया है जिसमें ये अपनी एक्टिविटीज़ को पोस्ट करते हैं। झारखण्ड के कुछ लोकल अख़बारों में भी इनकी मुहिम की ख़बरें छपी हैं।

उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान के अनेक शहरों से हमारे अज़ीज़ों ने हमें आने की दावत दी है। इन् शा अल्लाह! हम ज़रूर मिलेंगे, जब अल्लाह तआला आपके शहर का खाना-पानी हमारे नसीब में लिख देगा।

अज़ीज़ाने-गिरामी! मुस्लिम समाज की इस्लाह के लिये अब ऑल इंडिया रिफॉर्म कैम्पेन चलाया जाना वक़्त की अहम ज़रूरत है। बड़ी तादाद में लोगों के पॉज़िटिव रिस्पॉन्स आ रहे हैं। बहुत जल्द हम वीडियोज़ के ज़रिए भी आपसे जुड़ने की कोशिश करेंगे ताकि जो लोग हिंदी में लिखे इन ब्लॉग्स को पढ़ने में दिक़्क़तें महसूस कर रहे हैं उन तक भी आदर्श मुस्लिम अख़बार के ज़रिए पोस्ट की जा रही जानकारियां पहुंच सके।

हम आपकी ख़िदमत में बेहद अदब के साथ यह अर्ज़ करना चाहते हैं कि बहुत-से लोगों ने हमें कई मसलों के बारे में जानकारी चाही है। हम एक-एक करके उन सभी पर तर्कसंगत जवाब पेश करने की कोशिश करेंगे। उनसे हमें यही कहना है कि थोड़ा-सा धैर्य रखियेगा। आपकी दुआएं हमारा हौसला बढ़ाती हैं, इसलिये अपनी रोज़मर्रा दुआओं में हमें ज़रूर शामिल कीजियेगा।

वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क),
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम न. 9829346786

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