हौसला न छोड़, कर सामना जहान का

हौसला न छोड़, कर सामना जहान का

यह ब्लॉग, ख़ुदकुशी की, ख़ास तौर पर महिला ख़ुदकुशी की बढ़ती वारदातों को कैसे रोका जाए? के मुद्दे पर लिखा गया है।

आइशा की ख़ुदकुशी चर्चा का विषय बन गई लेकिन बहुत सी मुस्लिम औरतों की ऐसी ही दास्तानें हमारे सामने नहीं आतीं। हमने अपने पास आने वाले फोन कॉल्स, व्हाट्सएप मैसेजेज़ और रूबरू बातचीत के ज़रिए इसकी स्टडी की। स्टडी के बाद दो तरह के पैटर्न सामने आए,

■ कुंवारी लड़कियों की ख़ुदकुशी

जनगणना आंकड़ों के मुताबिक़, मुस्लिम समाज में मर्दों की तादाद, औरतों के मुक़ाबले थोड़ी ज़्यादा है। अगर बराबर भी मान लें तब भी एक असमानता देखने को मिलती है बड़ी तादाद में लड़कियों की शादी नहीं हो पा रही। इसके पीछे कई फ़ैक्टर्स हैं, मसलन, जाति-बिरादरी या मसलक से बाहर शादी न करना, तालीम में ग़ैर-बराबरी, दहेज की चाहत। ऐसी सूरतेहाल में लड़कियां या तो घर से भागकर शादी करने पर आमादा होती हैं या फिर ख़ुदकुशी करने पर।

इससे बचाव की तदबीर यही है कि सभी क़िस्म के बंधनों से ऊपर उठकर, नीची जाति, ऊंची जाति या ऊंचे ख़ानदान, नीचे ख़ानदान का भेद भुलाकर लड़की की ज़हनियत को समझ सकने वाले लड़के के साथ उसकी शादी कर दी जाए। अगर लड़की ज़्यादा पढ़ी-लिखी हो तो उसे लड़के के अच्छे अख़लाक़ के चलते एडजस्टमेंट करने की काउंसलिंग की जाए।

जिन जगहों पर दहेज की डिमांड के चलते लड़कियों की शादी में रुकावट आ रही हो तो दीनी व सामाजिक तंजीमें समाज सुधार के लिये काम करें।

■ शादीशुदा औरतों की ख़ुदकुशी

इस पैटर्न में कई तरह के मामले देखने में आए हैं। हम सिलसिलेवार उनका ज़िक्र करेंगे।

01. दहेज की डिमांड : लड़के वालों को उम्मीद होती है कि बहू के साथ फलाँ-फलाँ चीज़ें मिल जाएगी। जब वो पूरी नहीं होती तो उसके लिये तानाकशी की जाती है, जो आगे चलकर डिमांड में बदल जाती है। डिमांड पूरी न होने की दशा में लड़की पीहर बिठा दी जाती है या लड़की ख़ुद पीहर में रुक जाती है। उसके बाद होता है, दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का केस जिसका अक्सर अंजाम तलाक़ होता है। कई लड़कियां तलाक़ के बाद मायूसी का शिकार होकर ख़ुदकुशी का रास्ता अपनाती है।

02. लड़का-लड़की में वैचारिक असमानता : कई मामलों में यह भी देखा गया है कि लड़का-लड़की में से कोई एक ज़्यादा पढ़ा-लिखा है। शादी के कुछ टाइम बाद एक पक्ष को दूसरा पक्ष बैकवर्ड नज़र आने लगता है। ईगोज़ का टकराव शुरू होता है। नौबत अलगाव की आती है और तनाव अधिक हो जाने पर ख़ुदकुशी के दर्दनाक हादसे होते हैं।

03. शादी के बाद भी किसी अन्य के अफेयर:

आम तौर पर यह आदत मर्दों में पाई जाती है वहीं कुछ केसेज़ में लड़कियां भी ऐसे मामलों में मुलव्विस (लिप्त) होती हैं। कभी-कभी सिर्फ़ शक ही होता है, असल मामला कुछ नहीं होता। जब एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स के ये मामले ज़्यादा तूल पकड़ जाते हैं तो पारिवारिक टकराव की नौबत आती है। औरतें ज़्यादा जज़्बाती होती हैं, इसलिये वे ख़ुद को ख़त्म करने जैसा क़दम उठा लेती है।

ख़ुदकुशी और पारिवारिक बिखराव को रोकने के लिये हर शहर में काउंसिलिंग सेंटर खोलने की ज़रूरत

हमने पहले भी अपनी पोस्ट में इसकी ज़रूरत पर बल दिया और आज फिर इस बात को दोहरा रहे हैं। इन् शा अल्लाह! बहुत जल्द हम अपने होम टाउन जोधपुर (राजस्थान) में काउंसिलिंग सेंटर की शुरूआत करेंगे। अन्य शहरों के लिये भी कई लोगों ने अपना नाम-नम्बर हमें नोट कराया है। हम उनकी मदद से उनके शहरों में भी काउंसिलिंग सेंटर्स खोलने की कोशिश करेंगे, इन् शा अल्लाह। आपसे सहयोग की और दुआओं की दरख़्वास्त है।

शादी से पहले किन बातों को ध्यान में रखना चाहिये? किन-किन कारणों से तलाक़ की स्थिति पैदा होती है? समाज में तलाक़ के मामले कम कैसे हों? तलाक़शुदा औरतों की समस्याएं क्या हैं और उनके समाधान क्या हैं? इन सभी मुद्दों पर हमने एक किताब प्रकाशित की है, तलाक़शुदा औरतें और उनके मसाइल उसे ज़रूर पढ़िये। अगर आप उसे मँगवाना चाहें तो हमारे व्हाट्सएप नम्बर 9829346786 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

इस पोस्ट को भी पहले वाली पोस्ट्स की तरह हर मोबाइल में पहुंचाने में हमारी मदद करें। अगर आप समाज सुधार के इस मिशन से जुड़ना चाहते हैं तो हमारे व्हाट्सएप नम्बर पर मैसेज करें।

वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(चीफ़ एडिटर आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप न. 9829346786

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