हसद करना शैतानी काम है

सबसे पहले मन में यह सवाल उठता है कि हसद (ईर्ष्या) का मतलब क्या है? इसका जवाब है, अगर किसी के पास, अल्लाह की दी हुई कोई भी नेअमत है तो उस नेअमत के उस शख़्स से छिन जाने की आरज़ू (इच्छा) करना हसद कहलाता है।

नेअमतों की कई क़िस्में हैं, किसी को अल्लाह तआला अच्छा इल्म दिया है, किसी अक़्ल व समझ दी है। किसी को अच्छा लिखने और बोलने की अच्छी सलाहियत दी है। किसी का कारोबार अच्छा चल रहा है तो किसी को नेक औलाद मिली है। किसी को इनमें से ज़्यादातर नेअमतें मिली हुई हैं।

अगर किसी के पास इनमें से कोई नेअमत नहीं है तो उसे अल्लाह से दुआ करके माँगना चाहिये। मिल जाए तो अच्छा, वरना सब्र करना चाहिये।

लेकिन हसद करने वाला शख़्स, असल में अल्लाह के फैसले पर राज़ी नहीं होता है। उसके मन में हमेशा यह भावना होती है कि फलां नेअमत उस शख़्स को क्यों मिली? मुझे क्यों नहीं मिली? जब उसकी यह भावना उस पर हावी हो जाती है तो फिर वो यह आरज़ू (इच्छा) करने लगता है कि फलां नेअमत, जो फलां शख़्स को मिली है, वो अगर मेरे पास नहीं है तो फिर उसके पास भी न रहे, छिन जाए।

इसलिये हर मोमिन को, जिसे अल्लाह तआला ने कोई नेअमत दे रखी हो, उसे हसदख़ोर की बुराई से बचने के लिये हर वक़्त सूरह फ़लक़सूरह नास पढ़कर अल्लाह की पनाह तलब करनी चाहिये।

■ हसद, भाई के हाथों भाई का क़त्ल करवा देती है

क़ुरआन करीम में हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) के दो बेटों हाबील और काबील का किस्सा बयान हुआ है।

दोनों भाइयों ने किसी मामले में अल्लाह से मन्नत मांगी और अल्लाह के आगे क़ुर्बानी पेश की। हाबील की क़ुर्बानी क़ुबूल हो गई और काबील की क़ुर्बानी रद्द।

इसी हसद के चलते, काबील ने अपने सगे भाई, हाबील को क़त्ल कर दिया। इंसानी नस्ल में यह पहला क़त्ल था। उसके बाद से हर दौर में ऐसा होता रहा है। इससे आप समझ सकते हैं कि हसद शैतान का कितना बड़ा हथियार है?

इसी तरह का एक और वाक़या हज़रत यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) का है। उनके भाइयों ने उन्हें मारने की नीयत से कुंए में डाल दिया।

वजह क्या थी? भाइयों को यह हसद थी कि उनके वालिद याक़ूब (अलैहिस्सलाम), उनसे ज़्यादा यूसुफ़ (अलैहिस्सलाम) से मुहब्बत करते हैं। बाप की मुहब्बत का रुख़ अपनी ओर मोड़ने के लिए, बड़े भाइयों ने अपने छोटे भाई को मार डालने का घिनौना इरादा कर लिया था।

इन दो मिसालों से आप समझ सकते हैं कि हसद, भाई को भाई का दुश्मन बना देती है।

क़ुरआन करीम की सूरह फ़लक़ के तर्जुमे पर ग़ौर करने से पता चलता है कि अल्लाह तआला हसदख़ोर का ज़िक्र जादू करने वालों के साथ किया है। जादू शैतानी काम है। हज़रत आदम (अलैहिस्सलाम) का क़िस्सा पढ़ने पर पता चलता है सबसे पहले हसद शैतान ने की थी।

आज के इस ब्लॉग की नसीहत यही है कि हसदख़ोर लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिये। ऐसे लोग नुक़सान न पहुंचा सकें इसके लिये उनसे सामाजिक दूरी रखनी चाहिये। हसदख़ोर, शैतान का एजेंट होता है इसलिये उससे बचने के लिये उसे अपनी ज़िंदगी से लॉक करना चाहिये।

वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786

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Comments (5)
Dr masarrat ali shah

Allah hume husad se bachye.alhamdulillah aap ke is note ne medicine ka kaam kiya hai. Aapko Allah kuwat de .ameen.

Wed 12, May 2021 · 10:43 pm · Reply
Abdul mannan

Alhamdulillah aapane ekadam Sahi baat kahi hai Allah se Dua Allah Ham Sab Ko Hasad Se Bachay aamin

Wed 12, May 2021 · 10:06 pm · Reply
Hasad krna ek fitrat hai aur bht teenage m maa hi ise sudhar skti hai ek baar ye fitrat parwaan chadh jaye to zindgi ko barbaad kr deti hai Allah sbko is bala se mehfuz rakhe ....Firoza

Allah iski barbaadi se sbko mahfuuz rakhe...Agar bachpan m zehan bn jaye to ye fitrat sr hi na uthaye

Wed 12, May 2021 · 09:41 pm · Reply
Faisal modi

Aap ne Wright kha Allah paak aap ko kamyab kare.ameen

Wed 12, May 2021 · 09:32 pm · Reply
Anwar Khan

Right

Wed 12, May 2021 · 09:15 pm · Reply