हम सब बेवकूफ है
यह ब्लॉग अब्दुल हादी चौहान ने लिखा है। इस ब्लॉग में बहुत कम शब्दों में एक बड़ा मैसेज दिया गया है।
जी हाँ! आपने सही पढ़ा। हम सब बेवकूफ़ हैं!
बेवकूफ़ इसलिये कि हम ही वो लोग हैं जो कोरोना के महज तीन सौ मामले सामने आने पर सरकार के कहने पर घरों में दुबक जाते हैं और कोरोना के सवा लाख मामले हो जाने पर घरों से निकल आते हैं।
हम बेवकूफ़ हैं जो कोरोना के 500 मामले होने पर थाली, लोटे और बैंड बजाते हैं। 1500 मामले होने पर दिये, पटाखे और अनार जलाते हैं और सवा लाख मामले होने पर कहते हैं कि अब फैल गया तो फैल गया, सरकार बेचारी क्या करे? गलती तो उन मूर्ख मजदूरों की है जो अब घरों को लौटकर कोरोना फैला रहे हैं।
हम बेवकूफ हैं जो सरकार से ये नहीं पूछते कि अगर गरीब पान वाले, चाय वाले, समोसे वाले, हेयर कटिंग वाले की दुकान खुल जाने से कोरोना फैलने का भयानक ख़तरा है तो उसने दारू की दुकान क्या किसी मिनिस्टर के यहाँ लड़का पैदा होने की खुशी में खुलवा दी है?
हम बेवकूफ हैं जो सरकार से ये पूछने का दम नहीं रखते कि कोरोना के कारण जब ऑटो में एक सवारी, कार में दो सवारी और बस में 50% सवारी से ज्यादा नहीं बिठाई जा सकती तो रेल और हवाई जहाजों में एक भी सीट खाली क्यों नहीं छोड़ी जा रही?
जी हाँ, हम बेवकूफ़ हैं, क्योंकि हम देश के नहीं सरकार के वफ़ादार हैं।
Leave a comment.