हैदरे-क़र्रार, ज़ुल्फ़िकार : सय्यिदिना अली (रज़ि०)

आज 21 रमज़ान है। आज ही के दिन इस्लाम के चौथे ख़लीफ़ा सय्यिदिना अली (रज़ि०) को एक नासबी शख़्स ने शहीद कर दिया था। आज के ब्लॉग में हम सय्यिदिना अली (रज़ि०) के कुछ फ़ज़ाइल बयान करने की कोशिश करेंगे।

जब सूरह आले इमरान की आयत न. 61 नाज़िल हुई, जिसे आयते-मुबाहिला भी कहते हैं, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सय्यिदिना अली (रज़ि०), सय्यिदा फ़ातिमा (रज़ि०), सय्यिदिना हसन व हुसैन (रज़ि०) को बुलवाया, उन्हें अपनी चादर के अंदर किया और फ़रमाया, ऐ अल्लाह! ये मेरे अहले बैत हैं। (सहीह मुस्लिम : 6220)

ग़ौरतलब है कि नासबी उस शख़्स को कहते हैं जो अमीरुल मोमिनीन सय्यिदिना अली (रज़ि०) के साथ बुग्ज़ (नफ़रत) करे। उनकी विचारधारा को नासबियत कहा जाता है। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के अहले बैत से नफ़रत रखने वाले लोग, मुसलमान कहलाने के हक़दार नहीं हो सकते। अहले सुन्नत वल जमाअत, अहले-बैत से मुहब्बत का इक़रार और नासबियत का रद्द करती है।

जून 2018 से एक फ़ोटो सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है। इस फ़ोटो में कुछ लोग हाथों में एक तख़्ती उठाए हुए हैं जिस पर लिखा था, Khaibar was your Last Chance (ख़ैबर तुम्हारा आख़री मौक़ा था)। क्या है यह मामला, आइये जानने की कोशिश करते हैं।

ख़ैबर के विजेता : सय्यिदिना अली (रज़ि०)

मदीना मुनव्वरा के पास, ख़ैबर में एक यहूदी क़बीला आबाद था, जो कि अपनी मुस्लिम दुश्मनी की हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा था। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ सहाबा ने ख़ैबर के किले का घेराव किया। उसका दरवाज़ा इतना मज़बूत था कि एक बड़ी जमाअत मिलकर भी उसे तोड़ नहीं सकती थीं।

सय्यिदिना सलमा बिन अल अक़्वा (रज़ि०) बयान करते हैं कि ग़ज़वा-ए-ख़ैबर के मौक़े पर सय्यिदिना अली (रज़ि०) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से पीछे रह गये थे क्योंकि उनकी आंखें दुख रही थीं। बाद में वे आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से जा मिले।

फिर जब वो शाम आई जिसकी अगली सुबह ख़ैबर फतह हुआ तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इरशाद फ़रमाया, कल मैं झंडा ऐसे शख़्स को दूँगा, जिसे अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मुहब्बत करते हैं और अल्लाह उसके हाथों ख़ैबर को फ़तह कराएगा। फिर सुबह हुई तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सय्यिदिना अली (रज़ि०) के हाथों में इस्लामी झंडा दिया और उनके के हाथों में ख़ैबर फ़तह हुआ। (सहीह बुख़ारी, सहीह मुस्लिम)

सय्यिदिना अली (रज़ि०) ख़ैबर के क़िले का मज़बूत दरवाज़ा तोड़कर जब अंदर दाख़िल हुए तो यहूदियों में दहशत तारी हो गई। इसी के पसेमंज़र में शायर अंसार क़म्बरी का एक शे'र है,

अमरीकियों की शह पे न उछलो यहूदियों!
दो उंगलियों ने धोई थी ख़ैबर की आबरू।

लेकिन यहूदी अपनी इस ज़िल्लतभरी हार को अभी भी नहीं भूले हैं।

यहूदी साज़िश ने मुसलमानों में गहरी खाई खोदी

सय्यिदिना उमर (रज़ि०) की शहादत के बाद यहूदियों ने मुसलमानों में ख़ानाजंगी (गृहयुद्ध) के हालात पैदा किये। तीसरे ख़लीफ़ा सय्यिदिना उस्मान (रज़ि०) को शहीद किया गया। यहूदी साज़िश के नतीजे में चौथे ख़लीफ़ा सय्यिदिना अली (रज़ि०) के दौरे-ख़िलाफ़त मुसलमानों के दो गिरोहों में ख़ूनी जंगें हुईं। जब अमन-चैन क़ायम हुआ तो यहूदियों ने सय्यिदिना अली (रज़ि०) को भी शहीद करवा दिया।

यहूदियों की साज़िश के नतीजे में शिया-सुन्नी फ़िरके वजूद में आये। उम्मते-मुस्लिमा की एकता को वो गहरा ज़ख्म लगा जो आज तक भर नहीं पाया है। इसीलिये वो लोग आज भी कह रहे हैं, Khaibar was your Last Chance (ख़ैबर तुम्हारा आख़री मौक़ा था)। वो लोग मुसलमानों का मुंह चिढ़ाते हुए कह रहे हैं कि न तुम में कभी एकता होगी और न तुम हमारा कुछ बिगाड़ पाओगे।

आज अमीरुल मोमिनीन सय्यिदिना अली (रज़ि०) की वफ़ात के दिन हमें मुस्लिम उम्मत में इत्तेहाद व इत्तेफ़ाक़ क़ायम करने का अहद लेना चाहिये।

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वस्सलाम,
सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान। व्हाट्सएप/टेलीग्राम : 9829346786

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