एक नई शुरुआत : एडिटर्स चॉइस
blogs.adarshmuslim.com की शुरुआत करते समय हमने एक शब्द इस्तेमाल किया था, अल्टरनेट मीडिया यानी बाज़ारवादी मीडिया का विकल्प देने वाला मीडिया।
किसी अख़बार में कौनसी ख़बर और कौनसा लेख छपेगा, यह तय करना संपादक का काम होता है। एक अच्छा संपादक, समाज को सच्ची ख़बरें, तर्कसंगत रिपोर्ट्स, ज़हन को ताज़गी देने वाले और ज्ञानवर्धक लेख परोसता है।
बदक़िस्मती से बाज़ारवादी मीडिया के मालिकों ने संपादकों के इस हक़ पर कुठाराघात किया है। बाज़ारवादी मीडिया का संपादक आपको वही मैटर परोसता है, जो उसके मालिक चाहते हैं। हमने इसके बारे में, अपने 20 अप्रैल 2020 के ब्लॉग बाज़ारवादी मीडिया वर्सेज़ अल्टरनेट मीडिया में तथ्यों के साथ जानकारी दी थी।
आज से हम इस ब्लॉग पेज पर एक नई शुरुआत कर रहे हैं। एक नया सेक्शन एडिटर्स चॉइस शुरू कर रहे हैं। सोशल मीडिया के इस भीड़भरे स्पेस में कई महत्वपूर्ण आर्टिकल और अच्छे वीडियोज़ आप मिस कर जाते हैं। इस सेक्शन में हम अच्छे लेखकों के आर्टिकल्स, ब्लॉग्स और वीडियोज़, उनके बारे में जानकारी देते हुए पेश करेंगे ताकि इंट्रो पढ़कर आपको मालूम हो जाए कि इसमें किस मसले पर चर्चा की गई है। आज हम इस सेक्शन में बीबीसी हिंदी पर पब्लिश की गई एक ऐतिहासिक घटना की जानकारी साझा कर रहे हैं।
1857 का गदर : दिल्ली ने जिस दिन मौत का तांडव देखा था
बदलावों का सिलसिला जारी रहेगा। हमारी हौसलाअफ़ज़ाई के लिये हमारे साथ बने रहें। इसी गुज़ारिश के साथ, सलीम ख़िलजी चीफ़ एडिटर आदर्श मुस्लिम
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