कोविड-19 संकट के बाद, भारत दुनिया को नये बिजनस मॉडल्स देगा : प्रधानमंत्री मोदी
कोरोना (कोविड-19) संक्रमण ने दुनिया के कई देशों में तबाही मचाई। भारत में अमेरिका और यूरोपीय देशों जितनी बर्बादी तो नहीं हुई लेकिन यहाँ साम्प्रदायिक सद्भाव के ताने-बाने को जमकर नुक़सान हुआ। मीडिया का रोल भी इसमें खलनायक जैसा रहा। अमेरिका ने इस मुद्दे पर चिंता जताई। खाड़ी देशों में भारतीय प्रोडक्ट्स के बॉयकॉट की बातें ट्विटर पर आने लगीं। लॉकडाउन के लगभग एक महीने बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 जाति-धर्म नहीं देखता। उन्होंने एकजुटता की अहमियत बताई। उन्होंने लिंक्डइन पर एक लेख लिखा। आज के ब्लॉग में हम उसी पर चर्चा करेंगे। सकारात्मक सोच हमारा मोटिव है। देर से ही सही मगर, प्रधानमंत्री अपनी स्टेट्समैन की भूमिका में आए तो सही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हर संकट अपने साथ अवसर भी लेकर आता है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट में भी कई अवसर छिपे हैं जिनका लाभ उठाकर भारत पूरी दुनिया की जरूरतें पूरी करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कोरोना संकट से यह अहसास हो गया है कि दुनिया को नए बिजनस मॉडल्स की जरूरत है। उन्होंने सोशल मीडिया लिंक्डइन पर शेयर किए अपने आर्टिकल में कहा कि युवा ऊर्जा से लबालब भारत कोविड-19 के बाद की दुनिया को यह नया मॉडल देगा।
■ A, E, I, O, U के जरिए बताई नए मॉडल्स की रूपरेखा :
प्रधानमंत्री ने अंग्रेजी वर्णमाला के पांच स्वर अक्षरों (वॉवेल्स) ए, ई, आई, ओ और यू पर आधारित शब्दों के ज़रिए नए बिजनस और वर्क कल्चर के लिए जरूरी बिंदुओं का उल्लेख किया।
उन्होंने लिखा, 'मैं इसे वॉवेल्स ऑफ न्यू नॉर्मल कहता हूं क्योंकि अंग्रेजी भाषा में वॉवेल्स की तरह ही ये भी कोविड के बाद की दुनिया के नए बिजनस मॉडल के अनिवार्य अंग बन जाएंगे।'
उन्होंने कहा कि आज दुनिया नए प्रकार के बिजनस मॉडल्स की तलाश कर रही है। फिर इन शब्दों के बारे में थोड़ा विस्तार से लिखा।
■ अनुकूलता (Adaptability) :
प्रधानमंत्री ने कहा कि आसानी से अपनाए जा सकने वाले बिजनस और लाइफस्टाइल मॉडल्स वक़्त की मांग हैं। ऐसा करने से संकट काल में भी हमारे कामकाज की गति प्रभावित नहीं होगी। डिजिटल पेमेंट्स को अपनाना इसका शानदार उदाहरण है। दूसरा उदाहरण टेलिमेडिसिन का है। कई डॉक्टर क्लिनिक या हॉस्पिटल गए बिना ही मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
■ दक्षता (Efficiency) :
मोदी ने कहा कि यही वक़्त है जब हमें सोचना चाहिए कि दक्षता से हमारा तात्पर्य क्या है? दक्षता सिर्फ यह नहीं हो सकती कि हमने ऑफिस में कितना वक़्त बिताया। हमें ऐसे मॉडल पर विचार करना होगा जहां उत्पादकता और दक्षता को ज्यादा तवज्जो मिले। उन्होंने यह भी कहा, 'हमें निश्चित समय में कोई काम पूरा करने पर ज़ोर देना चाहिए।'
■ समावेशिता (Inclusivity) :
पीएम ने ऐसे बिजनस मॉडल्स अपनाने की अपील की जिसमें गरीबों और सबसे असहाय लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता मिले। उन्होंने लिखा, 'हमने जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में बड़ी प्रगति की है। प्रकृति ने हमें बताया है कि अगर इंसान अपनी गतिविधियां कम कर ले तो प्राकृतिक भव्यता कितनी तेज़ी से फैल सकती है। दुनिया में हमारे असर को घटाने वाली तकनीक और तरीकों का काफी महत्व होगा।'
उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने हमें बड़े पैमाने पर किफायती स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत का अहसास करवाया। हम इंसानों को सेहतमंद रखने में वैश्विक प्रयासों के अगुआ बन सकते हैं। हमें किसानों को सूचनाओं, मशीनरी और बाजारों तक पहुंच दिलाने वाले इनोवेशन में निवेश करना चाहिए।
■ अवसर (Opportunity) :
उन्होंने कहा कि हर संकट अपने साथ अवसर भी लेकर आता है। कोविड-19 भी इस अवधारणा से अलग नहीं है। उन्होंने लिखा, हम विचार करें कि इस संकट में हमारे लिए कौन से नए मौके बन सकते हैं?
उन्होंने कहा कि भारत को कोविड-19 के बाद की दुनिया में अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना ही होगा। हम अपने लोगों, अपने कौशल और अपनी मूल क्षमताओं की पहचान करें।
■ सार्वभौमिकता (Universalism) :
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 हमला करने से पहले जाति, धर्म, रंग, जाति, पंथ, भाषा या सीमा नहीं देखता।
इस महामारी से पार पाने के बाद हमारी प्रतिक्रिया और हमारे व्यवहार एकता और भाईचारे के रूप में उभरना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संकट की घड़ी में हम सब साथ हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने लेख में कोरोना संकट से पैदा हुई नई परिस्थितियों का जिक्र किया और अपनी दिनचर्या बताई। प्रधानमंत्री ने लिखा है, 'इस सदी के तीसरे दशक की शुरुआत बहुत उथल-पुथल भरी रही। कोविड-19 ने कई तरह का संकट खड़ा कर दिया। कोरोना वायरस ने प्रफेशनल लाइफ की रूपरेखा ही बदल डाली।'
उन्होंने लिखा, इन दिनों घर ही नया दफ्तर बना गया है। इंटरनेट नया मीटिंग रूम बन चुका है। अब ऑफिस में काम के बीच सहयोगियों के साथ थोड़ा विराम इतिहास बन गया है।
■ प्रधानमंत्री मोदी ने बताई अपनी दिनचर्या
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सारे बदलाव उनके जीवन में भी आए हैं। मोदी ने लिखा, 'मैं भी इन बदलावों को अपना रहा हूं। ज्यादातर मीटिंग्स अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही हैं, वो चाहे मंत्रियों के साथ हों या अधिकारियों के साथ या फिर दुनियाभर के नेताओं के साथ। जमीनी स्तर की जानकारी लेने के लिए विभिन्न पक्षों से बात भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही हो रही है। एनजीओ, सिविल सोसाइटी ग्रुप्स और सामुदायिक संस्थाों से बात हुई है। साथ ही, रेडियो जॉकी से भी बातचीत हुई।' पीएम ने बताया कि वो हर दिन कई लोगों को फोन कर रहे हैं और समाज के विभिन्न वर्गों की राय जान रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने लेख में लॉकडाउन के दौरान फिल्म स्टार्स, सिंगर्स और प्लेयर्स के योगदान का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि वर्क प्लेस अब डिजिटल हो रहे हैं। उन्होंने इसकी जरूरत बताते हुए कहा, 'आखिरकार टेक्नॉलजी का सबसे परिवर्तनकारी प्रभाव गरीबों की जिंदगियों पर पड़ता है। तकनीक के कारण लालफीताशाही खत्म होती है, बिचौलियों से पीछा छूटता है और कल्याणकारी योजनाओं को गति मिलती है।'
■ अब शब्द ख़ाली मत जाने देना
इस लेख और उसके कुछ प्रमुख बिंदुओं के ट्विटर पर आने के बाद कई लोगों ने देर से प्रतिक्रिया देने के प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना भी की। लेकिन हम पॉज़िटिव सोच रखते हुए यही कहते हैं, आपने जो कहा वो करके दिखाइये। अपने शब्दों को खाली मत जाने देना। आप देश के प्रधानमंत्री हैं, किसी समुदाय विशेष के नहीं।
अच्छी सोच रखते हुए हम आपसे भी यह अपील करते हैं कि इस ब्लॉग को शेयर करें, इस उम्मीद के साथ कि जिन लोगों के दिलों में नफ़रत की भावना है वो शायद दूर हो जाए।
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