कोविड-19 की जांच, FELUDA से आसान
बंगाली फिल्मों में फेलूदा नाम का एक किरदार बंगाल में रहने वाला प्राइवेट जासूस है, जो छानबीन करके हर समस्या का रहस्य खोज ही लेता है। कुछ-कुछ हॉलीवुड के जेम्स बॉण्ड जैसा ही। कल 8 मई 2020 को भारत सरकार ने कोरोना हेल्पडेस्क पर एक नये टेस्टिंग किट के बारे में जानकारी साझा की गई। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने एक नए तरह के टेस्ट को ईजाद करने का दावा किया है। इस स्वदेशी किट का नाम फेलूदा रखा गया है। इस किट का इस्तेमाल प्रेगनेंसी टेस्ट की तरह आसान है, फ़र्क़ इतना है कि इसे लैब में ही किया जा सकता है। आज के ब्लॉग में हम इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। ब्लॉग के अंत में पॉइंट्स के रूप में सारांश भी दिया गया है।
■ फेलूदा (FELUDA) नाम क्यों?
इस समय कोरोना वायरस कोविड-19 का पता लगाने के लिये दो तरह के टेस्ट किये जा रहे हैं। पहला, रैपिड एंटीबॉडीज़ टेस्ट और दूसरा, RT-PCR टेस्ट। इनके बारे में हम अपने 20 अप्रैल 2020 के ब्लॉग में विस्तार से जानकारी दे चुके हैं, जिसे आप हमारे ब्लॉग पेज पर पढ़ सकते हैं। रैपिड एंटीबॉडीज़ टेस्ट के रिज़ल्ट्स जल्दी आते हैं लेकिन इसकी सत्यता पर सवाल उठ रहे हैं। RT-PCR टेस्ट रिज़ल्ट्स तो सही देता है पर इसकी रिपोर्ट्स देरी से आती है, तब तक संक्रमण और ज़्यादा फैलने का ख़तरा रहता है। 4500 रुपये का होने के कारण RT-PCR टेस्ट महंगा भी है।
लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने एक तीसरे तरह का RNA बेस्ड टेस्ट की खोज की है। इस टेस्ट में डिटेक्शन की जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है वो है, FNCAS9 Editor Linked Uniform Detection Assay. इसी का शॉर्ट फॉर्म है, FELUDA यह टेस्ट आम लोगों के लिये मई 2020 के अंत तक उपलब्ध होगा।
■ फेलूदा (FELUDA) कैसे काम करता है?
(वीडियो : साभार बीबीसी)
इस टेस्ट के तहत एक पतली सी स्ट्रीप होगी, जिस पर दो काली धारी दिखते ही आपको पता लग जाएगा कि आप कोरोना पॉज़िटिव हैं। सीएसआईआर के मुताबिक़ ये सुनने में आपको ये जितना आसान लग रहा है, करने में भी उतना ही आसान होगा।
इस पेपर स्ट्रिप टेस्ट किट को इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बॉयोलॉजी के दो वैज्ञानिकों ने देबज्योति चक्रवर्ती और सौविक मैती ने डिज़ाइन किया है, ये दोनों बंगाल के रहने वाले हैं और एक साथ काम करते हैं।
केन्द्र सरकार की ओर से जारी किए गए प्रेस नोट में साफ़ लिखा गया है ये पूरी तरह भारतीय टेस्ट है जिसे एक साथ समूह में कई टेस्ट करने में आसानी होगी।
सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल डॉ. शेखर मांडे के अनुसार, ये पेपर बेस्ड डायग्नॉस्टिक टेस्ट हैं, जिसमें एक सॉल्यूशन लगा होता है। कोरोना वायरस के RNA को निकालने के बाद,उसे इस पेपर पर रखते ही एक ख़ास तरह का बैंड देखने को मिलता है, जिससे पता चलता है कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है या नहीं?
इस स्ट्रिप की ईजाद करने वाले सौविक मैती ने इसकी कार्यशैली के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा,
● इस स्ट्रीप पर दो बैंड होंगे।
● पहला बैंड है, कंट्रोल बैंड। इस बैंड का रंग बदने का मतलब होगा की स्ट्रिप का इस्तेमाल सही ढंग से किया गया है।
● दूसरा बैंड है, टेस्ट बैंड। इस बैंड का रंग बदलने का मतलब होगा कि मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है। अगर कोई बैंड नहीं दिखे तो मरीज को कोरोना नेगेटिव मान लिया जाएगा।
इस टेस्ट में इस्तेमाल होने वाली तकनीक को CRISPR- CAS9 तकनीक कहते हैं। बाक़ी देश इस टेस्ट में CAS9 की जगह CAS12 और CAS13 का इस्तेमाल करते हैं।
डॉ. शेखर मांडे के मुताबिक़ मई महीने के अंत तक भारत में ये टेस्ट शुरू हो सकते हैं। इस टेस्ट की गुणवत्ता के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. मांडे कहते हैं कि भारत में इस्तेमाल होने वाले RT-PCR की ही तरह इस टेस्ट के नतीजे भी उतने ही सही आ रहे हैं।
■ फेलूदा (FELUDA) के बारे में कुछ अन्य जानकारियां
01. यह पूरी तरह स्वदेशी टेस्ट किट है। इसके ज़रिए एक साथ लाखों टेस्ट किये जा सकते हैं।
02. हमारे वैज्ञानिक 28 जनवरी 2020 से ही टेस्ट को बनाने के काम में जुट गए थे और 4 अप्रैल 2020 के आस-पास इसे तैयार कर लिया गया।
03. इस किट की रिसर्च व प्रोडक्शन के लिये टाटा ने सहयोग किया है।
04. पेपर बेस्ड टेस्ट में सैम्पल लेने से नतीजे आने तक में एक से दो घंटे का वक़्त लगेगा।
05. सरकार द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक़ इस टेस्ट की क़ीमत 500 रुपये के क़रीब होगी।
06. इस टेस्ट में भी नाक और मुंह से स्वाब लिया जाता है जिसे बफर ट्रांस्पोर्ट मेटीरियल में कलेक्ट करते हैं। फिर स्वाब को लैब में लाकर RNA निकाला जाता है।
07. इस RNA को पेपर स्ट्रिप पर डाला जाता है। अगर स्ट्रिप पर काली धारी उभरती है तो इसका मतलब होगा मरीज़ कोरोना पॉज़िटिव है।
08. ये टेस्ट देश के किसी भी पैथोलॉजी लैब में किए जा सकते हैं.
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