कोरोना वायरस अब पहले जैसा घातक नहीं रहा

कोरोना वायरस अब पहले जैसा घातक नहीं रहा

यह ब्लॉग विक्रम सिंह आर्य ने आदर्श मुस्लिम के फेसबुक पेज पर शेयर किया है। हमें उम्मीद है कि इसे पढ़ने के बाद आपके मन से कोरोनाफोबिया बाहर निकलेगा। इस ब्लॉग में हमने कुछ नोट्स दिये हैं, जिन्हें "इटैलिक फॉण्ट" में लिखा गया है ताकि लेख का मूल स्वरूप आपकी नज़र में रहे। (चीफ़ एडिटर आदर्श मुस्लिम)

अहमदाबाद के एक बहुत ही सीनियर डॉक्टर के आधार पर कुछ बातें आपसे शेयर करना चाहता हूं। कोरोना वायरस अब पहले जैसा ताकतवर नहीं रहा है। बहुत सारे लोगों से गुजरते हुए आगे पहुंचा तो इस chain के बीच में जो मजबूत इम्यूनिटी वाले लोग आए और उन्होंने उसको सहन कर लिया और उसका आगे प्रसारण हुआ। उससे यह फायदा हुआ कि अब यह वायरस बहुत माइल्ड हो चुका है। इसका असर अब बिल्कुल पहले जैसा नहीं रहा है। अब इससे मृत्यु होने की संभावना 1% ही है। यह बहुत हल्का और कमजोर होता जा रहा है।

वायरस एक निर्जीव कण होता है जो किसी जानदार प्राणी के शरीर में जाकर सक्रिय होता है। वह व्यक्ति ही वायरस का "कैरियर" बनता है। कोरोना के मामले में संक्रमित व्यक्ति की छींक या खांसी के साथ जो कण (ड्रॉप्लेट्स) निकलते हैं, उन्हीं के संपर्क में आने पर दूसरा व्यक्ति कोरोना का मरीज़ बनता है। जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पावर) मज़बूत होती है उनके शरीर में जाने के बाद कोरोना वायरस का असर घट जाता है क्योंकि उस व्यक्ति के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज़ वायरस से लड़कर उसे कमज़ोर या निष्क्रिय कर देती है। यही बात ऊपर वाले पैराग्राफ में बताने की कोशिश की गई है।

अब ऐसी बहुत कम संभावना है कि कोरोना ग्रसित व्यक्ति में संक्रमण के कुछ भी लक्षण दिखाई देवें या वह बीमार पड़ जावे। उनके अनुसार अब यह बीमारी अब एक फ्लू या सर्दी-ज़ुकाम जैसी बनकर रह जाएगी। इससे अब न तो घबराने की जरूरत है न ही सरकार जो क्वॉरेंटाइन करवा रही है, उसकी लोगों को ज़रूरत है। अब होम क्वॉरेंटाइन ही काफी है। लोगों को आइसोलेशन वार्ड में भेजना उनके साथ एक बहुत बड़ा अत्याचार है। आपके परिचित दोस्त या सगे संबंधी में किसी को भी कोरोना पॉजिटिव आ जाए तो बिल्कुल भी न घबराए ।कुछ नहीं होना है आराम से रहे।आराम से जियें।

मतलब यह कि अब कोरोना से आतंकित होने की ज़रूरत नहीं है। डॉक्टरों व मेडिकल एक्सपर्ट्स द्वारा बताए गये ज़रूरी एहतियात रखे जाएं और ज़िंदगी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की जाए। शायद यही सोचकर सरकार ने रेल और हवाई जहाज सर्विसेज शुरू की है।

कोरोना वायरस पहले जैसा जानलेवा नहीं रहा है। अगर कोरोना के कारण मरीज घबराएगा या उसे बेचैनी होगी या सोएगा नहीं तो उसके शरीर की दूसरी बीमारियां जो भी दबी हुई होगी वह उभरकर सामने आ जाएगी। मिसाल के तौर पर, अगर कोई व्यक्ति हार्ट पेशेंट है, अगर वह ज़्यादा घबराएगा तो हार्ट बीट्स बढ़ जाने के कारण हार्ट अटैक से ज़रूर मर जाएगा यानी वो कोरोना से नहीं मरेगा। इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें।

हम यहाँ यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि कोरोना वायरस कोविड-19 फ़िलहाल लाइलाज है। हमें यह मानकर जीना है। जिन चीज़ों के ज़रिए कोविड-19 का संक्रमण हो सकता है उससे बचते हुए, ज़िंदगी गुज़ारने की कोशिश करनी होगी। इस बात को इस मिसाल से समझें कि वायरस के ज़रिए फैलने वाली "एड्स" भी एक लाइलाज बीमारी है। जिन कारणों से इसके वायरस का हमला होता है, उससे बचने के कारण यह वैश्विक महामारी नहीं है। कोरोना के मामले में भी "बचाव ही उपचार है" वाली थ्योरी अपनानी होगी। लेखक के कहने का आशय यही है।

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