अंधभक्ति की पराकाष्ठा : 'कोरोना माई' की पूजा और गंगा में स्नान

अंधभक्ति की पराकाष्ठा : 'कोरोना माई' की पूजा और गंगा में स्नान

बिहार के बक्सर जिले में आज कोरोना वायरस बीमारी को लेकर अजीबोगरीब वाक़िया देखने को मिला। कोरोना माई की पूजा को लेकर महिलाओं का जनसैलाब गंगा के किनारे उमड़ पड़ा। पूजा के लिए आई इन औरतों ने कोरोना बीमारी को देवी कोरोना माई बताया। कथित जानकारी के मुताबिक गंगा में स्नान के बाद औरतों ने 9 पीस लडडू, नौ गुड़हल का फूल, 9 लौंग, 9 अगरबत्ती को पूजा के बाद ज़मीन में गाड़ दिया। क्या है यह पूरा माजरा आइये जानते हैं?

एक कहावत है, डर जो न करा दे वही कम है। राजस्थान में एक देवी शीतला माता की पूजा की जाती है। 1940 में भारत में चेचक की बीमारी फैली थी, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई थीं और कई लोग उसके असर से आँखों की रोशनी गँवा बैठे थे। उस समय अंधविश्वास के चलते यह माना गया था कि यह बीमारी एक देवी के नाराज़ हो जाने की वजह से फैली है। कहा जाता है कि तभी से शीतला माता को शांत रखने के लिये हर साल, होली के बाद, शीतला सप्तमी मनाई जाती है। अब ऐसी ही बात कोरोना बीमारी के बारे में कही ज रही है।

आज बिहार के बक्सर ज़िले के अधूरा गाँव में एक नया ही नज़ारा देखने को मिला। भारी बारिश के बीच गंगा के तट पर, बड़ी संख्या में औरतों का हुजूम उमड़ पड़ा। वे सभी देश से कोरोना की बीमारी को भागने के लिये कोरोना माई की पूजा करने के लिये आई थीं। ये औरतें पहले गंगा में स्नान करती है, फिर 9 लड्डू, 9 गुड़हल के फूल, 9 लौंग और 9 अगरबत्ती से कोरोना माई की पूजा करती हैं। फिर इस सारी सामग्री को मिट्टी खोदकर ज़मीन में गाड़ देती हैं।

अब सवाल यह बनता है कि इनको ये पूजा का आइडिया कहाँ से आया? जब उनसे बात की गई तो जो जानकारी मिली वो चौंकाने वाली थी। पूजा करने आई एक औरत कुसुम देवी ने बताया कि एक वीडियो के माध्यम से उन्हें पता चला कि कोरोना को अगर भगाना है तो उसकी पूजा लड्डू, फूल और तिल से करनी होगी, तभी वो अपना प्रकोप कम करेगी और हमें उनसे निजात मिलेगी। ऐसे में जब उनसे सवाल किया गया, क्या यह अंधविश्वास नहीं है? तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो हमारी आस्था अंधी है, हम पूजा में विश्वास करते हैं।

यह है 21वीं सदी का भारत, गंगा किनारे आई इन महिलाओं को अंधविश्वास या विश्वास से कोई भी लेना-देना नहीं है। ये औरतें कोरोना को समाप्त करने के लिए कोरोना माई की पूजा करना ही अपना प्रथम कार्य मान रही हैं। कोरोना माई की पूजा के लिए बाक़ायदा दिन तय भी हैं, सोमवार और शुक्रवार। ऐसे में आज शुक्रवार 5 जून 2020 को भारी बारिश के बीच महिलाओं ने 'कोरोना माई' की पूजा को पूरा किया।

पूजा-पाठ करना भारत में कोई नई बात नहीं है। हमारे देश में औरतें अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं और रात को पूजा के बाद चाँद देखकर व्रत तोड़ती हैं। बच्चों की लम्बी उमर के लिये, अलग-अलग क़िस्म की बीमारियों से बचाव के लिये भी विशेष पूजा की जाती रही है। ऐसा लगता है कि अब इस कड़ी में एक नया नाम कोरोना माई और जुड़ गया है।

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