चीन ने भारत से उलझने का यही समय क्यों चुना?
आज की इस स्पेशल रिपोर्ट में हम इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे।
अप्रैल 2020 तक पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में बुरी तरह घिर चुकी थी। सबसे ज़्यादा नुक़सान अमेरिका और यूरोपीय देशों को उठाना पड़ा था, जान का भी और कारोबारी नुक़सान का भी। 28 अप्रैल 2020 को मीडिया में ख़बर आई कि अमेरिकी संसद में चीन से मुआवज़ा तलब करने की माँग को लेकर दो सांसदों ने निजी विधेयक पेश किया है।
एक ग़ुस्सा पनप रहा था। सरकारों के मन में भी और इन देशों की जनता के मन में भी। मई के शुरुआती दिनों में सबको एक ही मुजरिम नज़र आ रहा था, चीन। अमेरिका हो या ब्रिटेन, जर्मनी हो या ऑस्ट्रेलिया, हर जगह से एक ही आवाज़ उभर रही थी, चीन की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय की जाये। जर्मनी ने भी एक भारी-भरकम रक़म की माँग मुआवज़े के रूप में रख दी थी। अमेरिका में ऐसे सुर पहले ही उभर रहे थे।
चीन पर जैविक हथियार बनाने का आरोप लगाया जा रहा था। वुहान स्थित लैब्स के अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण की माँग ज़ोरों पर थी, मगर चीन इन सब चीज़ों से इंकार कर रहा था। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) चीन को दोषी नहीं मान रहा था और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप WHO को चीन का मोहरा बता रहे थे। इसी दौरान 22 मई 2020 को WHO की एग्जीक्यूटिव बॉडी में भारत को सदस्य चुना गया।
भारत में तो कुछ ज्योतिषियों ने ग्रह-नक्षत्रों की चाल के आधार पर यह भविष्यवाणी कर दी थी कि चीन आर्थिक रूप से बर्बाद हो जाएगा क्योंकि उस पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में कोरोना फैलाने का मुक़द्दमा चलाकर मुआवज़ा चुकाने पर बाध्य किया जाएगा।
लेकिन 15 जून 2020 की रात, भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ गया। 16 जून की दोपहर तक यह ख़बर सभी चैनल्स पर चलने लगी। फिर 22 जून 2020 को चीनी सेना के साथ टकराव के चलते 20 भारतीय जवानों के बलिदान की ख़बर सामने आने के बाद माहौल और ज़्यादा तनावपूर्ण हो गया। चीन के साथ युद्ध की आशंकाओं पर चर्चाएं होने लगीं।
इस समय पूरी दुनिया के मीडिया में भारत-चीन तनाव की ख़बरें हैं। रफाल की डिलीवरी और रूस एस-400 मिसाइल सिस्टम ख़रीदने की ख़बरों के चलते युद्ध की आशंका को सभी लोग सीरियसली ले रहे हैं।
अमेरिका हो या यूरोप, सभी देश युद्ध टालने के प्रयास में लगे हैं। एक बात यह भी कही जा रही है कि अगर भारत-चीन के बीच युद्ध छिड़ा तो यह तीसरे विश्वयुद्ध में बदल सकता है क्योंकि तब अमेरिका भी तटस्थ नहीं रह सकेगा। और हाँ! चीन से मुआवज़ा माँगने की माँग अब किसी देश की ओर से नहीं उठ रही है।
उम्मीद है अब आपको उस सवाल का जवाब मिल चुका होगा कि चीन ने भारत से तनाव के लिये यही समय क्यों चुना?
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