भारत का "अशिन विराथु" बनना चाहता है नरसिंहानंद

भारत का

आज देश के जो हालात बनाए जा रहे हैं, उनमें मुसलमानों की क्या ज़िम्मेदारी है? यह जानने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि यति नरसिंहानंद सरस्वती की मंशा क्या है? इस ब्लॉग के साथ यति नरसिंहानंद सरस्वती के फ़ेसबुक पेज का एक स्क्रीनशॉट हमने पेश किया है, जिससे उसके इरादों का पता चलता है।

हमारी गुज़ारिश है कि इस ब्लॉग को संजीदगी के साथ पूरा पढ़ियेगा। फ़िरक़ापरस्ती (साम्प्रदायिकता) की आग भड़काकर हमारे प्यारे देश भारत को एक बार फिर बर्बादी की ओर धकेलने की साज़िश की जा रही है।

कौन है यति नरसिंहानंद सरस्वती?

यति नरसिंहानंद सरस्वती ग़ाज़ियाबाद के शिवशक्ति धाम डासना मंदिर के महंत हैं। उसी मंदिर के महंत, जहां पिछले दिनों पानी पीने की वजह से एक बच्चे को बेरहमी से पीटा गया था।

यति नरसिंहानंद, पूर्व बीजेपी सांसद बीएल शर्मा को अपना गुरू मानते हैं। उनको अखिल भारतीय संत परिषद का राष्ट्रीय संयोजक भी बताया जाता है। इसके अलावा उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने रूस में पढ़ाई की है और मॉस्को व लंदन समेत कई जगहों पर काम भी किया है। वह समाजवादी पार्टी से भी जुड़े रह चुके हैं। वह 'हिन्दू स्वाभिमान' नामक संस्था भी चलाते हैं। हिन्दू युवाओं और बच्चों को आत्मरक्षा के प्रशिक्षण के लिए 'धर्म सेना' का भी गठन उन्होंने किया।

नरसिंहानंद का उभार कब शुरू हुआ?

पिछले साल 17 अप्रैल 2020 की रात, मुंबई के पालघर में दो हिंदू साधुओं की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लगा था। इस घटना को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई।

इस घटना के 3-4 दिन बाद, 21 अप्रैल 2020 को ट्विटर पर एक हैशटैग चलने लगा, संतों हमें विराथु दो। इस हैशटैग से भारत में हज़ारों ट्वीट हुए। इन ट्वीट्स का सार था कि भारत के संतों को चाहिये कि वो इस देश को "अशिन विराथु" जैसा कोई संत दें।

जो लोग म्यांमार (बर्मा) के हालात से वाकिफ़ हैं वो जानते होंगे कि अशिन विराथु का उसमें क्या रोल है? लेकिन जो लोग नहीं जानते उन्हें पहले पड़ौसी देश म्यांमार के हालात को समझना ज़रूरी है।

यहीं से एक नाम उभरा, यति नरसिंहानंद सरस्वती। इस शख़्स ने ख़ुद को अशिन विराथु के भारतीय अवतार के रूप में पेश किया। लेकिन लोगों ने उन्हें संजीदगी से नहीं लिया।

यह शख़्स, पिछले कुछ अरसे से, एक के बाद एक ऐसी हरकतें कर रहा है कि भारतीय मुस्लिम समाज कोई हिंसक और भड़काऊ रिएक्शन दे जिसके जवाब में वो भारत में म्यांमार जैसे हालात पैदा कर सके।

■ अब देश के हर नागरिक को यह ज़रूर जानना चाहिये कि अशिन विराथु कौन है? और उसने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के क़त्ले-आम की ज़मीन कैसे तैयार की?

म्यांमार का एक भिक्षु है, अशिन विराथु, जो बौद्ध भी हैं और कट्टर भी और उसके साथ ही घनघोर राष्ट्रवादी भी। क़रीब 20 साल पहले उसने एक मुहिम शुरू की, सेव म्यांमार (Save Myanmar) यानी म्यांमार को बचाओ। इस मुहिम में अशिन विराथु ने रोहिंग्या मुसलमानों को एक ख़तरे के रूप में पेश किया।

एक समुदाय विशेष के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का नतीजा ये हुआ कि म्यांमार में हिंसा फैली जिसमें क़रीब 10 मुस्लिम मारे गए। विराथु को हिंसा भड़काने का दोषी पाया गया। 2003 में उन्हें 25 साल जेल की सज़ा हुई। नौ साल ही बीते थे जेल में कि साल 2012 में एक बड़ा ट्विस्ट आया और विराथु की सज़ा माफ़ कर दी गई और वो रिहा हो गया।

बहुसंख्यक तुष्टिकरण के माहौल में म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन एक विवादास्पद योजना लाए। रोहिंग्या मुस्लिमों को किसी और देश भेजने की योजना। थेन सेन सरकार ने कहा, "हम रोहिंग्या मुस्लिमों को, UNHCR (यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजी) को सौंप देंगे, फिर जो देश उन्हें लेने को तैयार हैं, ले जाए। UNHCR ने थेन सेन की इस कट्टर योजना की निंदा करते हुए खारिज कर दिया था।

ऐसे हालात में जेल से रिहा हुए अशिन विराथु ने राष्ट्रपति थेन शेन की इस योजना का समर्थन किया और रैलियां निकालीं। बौद्ध बहुसंख्यकों के बीच विराथु की बहुत ज़बरदस्त पकड़ थी। इससे माहौल ख़ूब भड़का और करीब महीने भर बाद ही म्यांमार के रखाइन प्रांत में बड़े स्तर पर हिंसा भड़की। रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से पलायन करना पड़ा।

यति नरसिंहानंद सरस्वती, भारत का हिंदू अशिन विराथु बनकर, देश में म्यांमार जैसे हालात पैदा करना चाहता है।

ऐसे हालात में सभी भारतीय मुसलमानों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे भारत में म्यांमार जैसे हालात हरगिज़ न बनने दें। यह काम कैसे किया जाए, इसकी जानकारी अगले ब्लॉग में दी जाएगी, इन् शा अल्लाह!

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सलीम ख़िलजी
(एडिटर इन चीफ़, आदर्श मुस्लिम अख़बार व आदर्श मीडिया नेटवर्क)
जोधपुर राजस्थान

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