पार्ट-01 : भगवा लव ट्रेप में फंसती मुस्लिम लड़कियाँ, ज़िम्मेदार कौन?
आए दिन सोशल मीडिया पर ऐसी ख़बरें देखने को मिल रही है कि फलाँ मुस्लिम लड़की ने, फलाँ हिंदू लड़के से, हिंदू रीति-रिवाजों से शादी कर ली। ऐसी ख़बरों पर मुस्लिम ग्रुप्स में अफ़सोस जताया जाता है लेकिन कोई इसके असली कारणों पर विचार नहीं करता।
आईये इन कारणों पर ईमानदारी से ग़ौर करें और इस्लाह के लिये अपनी ज़िम्मेदारी क़ुबूल करें।
01. बेमतलब की मॉडर्न एजुकेशन
आज क़रीब-क़रीब हर मुस्लिम परिवार में लड़कियों को मॉडर्न एजुकेशन दिलाने की होड़ मची है। काग़ज़ के टुकड़े पर छपी बेमतलब की डिग्रियां ख़रीदने पर पैसा लुटाया जा रहा है।
जिस मॉडर्न एजुकेशन से लोगों का भला हो उसमें हमें भी ऐतराज़ नहीं लेकिन जिस डिग्री को पाने के लिये कई सालों का वक़्त और पैसा बर्बाद हो और उसका समाज में कोई उपयोग न हो तो वो डिग्री बेमतलब की है। सबसे पहले आप इस बात को समझ लें।
◆ मुस्लिम समाज को लेडी डॉक्टर्स, नर्सिंग ऑफिसर्स, मिडवाइफरी एक्सपर्ट्स, फिजियोथेरेपिस्ट, सोनोग्राफी एक्सपर्ट्स आदि की ज़रूरत है ताकि औरतें ग़ैर-मर्दों के सामने इलाज के दौरान अपने प्राइवेट पार्ट्स ज़ाहिर करने से बच सकें।
◆ मुस्लिम समाज की जवान लड़कियों को कॉलेज लेवल की पढ़ाई ग़ैर मर्दों से न करनी पड़े, इसके लिये फ़िज़िक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स, इंग्लिश में एक्सपर्ट मुस्लिम लेडी टीचर्स की ज़रूरत है। ऐसा इसलिये क्योंकि मेडिकल कोर्स करने के लिये विज्ञान फैकल्टी चुनना ज़रूरी है।
◆ मुस्लिम समाज को लेडी साइकोलॉजी एक्सपर्ट्स की ज़रूरत है। ताकि आज के दौर में बहुत से घरों में पनप रही मनोवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने का काम आसान हो सके।
◆ औरतों से सम्बंधित कारोबार (मसलन कपड़े, ज्यूलरी, कॉस्मेटिक्स, अंडरगारमेंट्स आदि) के फील्ड में काम करने वाली लेडी एंटरप्रिन्योर्स की ज़रूरत है। ताकि मुस्लिम औरतों की विशेष ज़रूरतों की पूर्ति के लिये ग़ैर-मर्दों से डायरेक्ट कॉन्टेक्ट वाली निर्भरता ख़त्म हो सके।
◆ प्राइमरी से लेकर सीनियर सेकंडरी तक मुस्लिम बच्चियों को पढ़ा सकने वाली लेडी टीचर्स चाहिये। ताकि बुलूगत की ओर बढ़ती बच्चियों के बहकने की गुंजाइश न रहे।
इनके अलावा कुछ और कोर्सेज़ भी हो सकते हैं जिनकी मुस्लिम औरतों को ज़रूरत हो, मोटी-मोटी बातें हमने ज़िक्र कर दी है। मुस्लिम समाज की ज़रूरत के अलावा, मुस्लिम लड़कियों को दिलाई जाने वाली बाक़ी हर क़िस्म की मॉडर्न एजुकेशन बेमतलब की है।
इस बेमतलब की काग़ज़ी डिग्रियों से समाज में अराजकता कैसे फैल रही है, इसका ख़ुलासा इस ब्लॉग के अगले पार्ट में किया जाएगा, इं-शा-अल्लाह!
इसलिये इस ब्लॉग पर ट्रोलिंग वाले कमेंट्स करने की जल्दबाज़ी न करें।
सलीम ख़िलजी
एडिटर इन चीफ़
आदर्श मुस्लिम व आदर्श मीडिया नेटवर्क
मोबाइल : 9829346786
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