कोरोना इफेक्ट्स-07 : अल्टरनेटिव एजुकेशन सिस्टम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोविड-19 लम्बे समय तक हमारे साथ रहने वाला है। कोरोना इफेक्ट्स सीरिज़ के पार्ट-06 में लॉक डाउन के शिक्षा व्यवस्था पर असर और ऑनलाइन एजुकेशन की खामियों के बारे में जानकारी दी थी। इंशाअल्लाह, आज के ब्लॉग में हम यह बताने की कोशिश करेंगे कि शिक्षा व्यवस्था में कैसे बदलाव लाये जाने चाहिये?
ऑनलाइन एजुकेशन का प्रचार, सुनने में जितना सुहावना लगता है, उतना अमली रूप से हमारे देश भारत में लागू किया जाना संभव नहीं है। अब वक़्त आ गया है कि एजुकेशन माफिया पर लगाम लगाई जाए। आज के ब्लॉग में हम शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली (Alternative Education System) के लिये कुछ टिप्स सुझा रहे हैं। हो सकता है कि एजुकेशन इंडस्ट्री चला रहे लोगों को ये सुझाव नागवार लगें लेकिन ख़र्च में कमी और शिक्षा की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के चलते आम लोगों को ये सुझाव ज़रूर पसंद आएंगे।
01. शिक्षा की पद्धति को बदलना होगा
प्राइमरी क्लास तक सिर्फ़ हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू या अन्य मातृभाषा और गणित पढ़ाई जाए। इससे बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा, बस्ता हल्का होगा, पढ़ाई का ख़र्च बहुत कम हो जाएगा। सबसे बड़ी बात, बचपन में ही तीन भाषाओं पर कमांड मज़बूत होगी।
02. समय की बचत होगी
इस शिक्षा व्यवस्था में चार सब्जेक्ट पढ़ाने के लिये 2 घंटे की स्कूल काफ़ी होगी यानी फिज़िकल डिस्टेंसिंग रखते हुए, कम स्टूडेंट्स के साथ चार शिफ्ट में प्राइमरी स्कूल चलाई जा सकेगी।
03. एकल गुरु शिक्षा व्यवस्था लागू की जा सकेगी
प्राइमरी लेवल के ये चारों सब्जेक्ट्स एक टीचर भी पढ़ा सकता है। लेडी टीचर्स, फिज़िकल डिस्टेंसिंग रखते हुए अपने घर पर भी 5-7 बच्चों का बैच पढ़ा सकती है।
04. मिडल व हाई स्कूल्स दो शिफ्टों में चलाई जा सकती है
मिडल से हाई स्कूल (सेकण्डरी) तक की क्लासेज़ में विज्ञान, सामाजिक ज्ञान, पर्यावरण आदि विषय बढ़ाए जाएं। 7 पीरियड्स वाली क्लासेस के लिये 4 घण्टे का समय पर्याप्त होगा, यानी डबल शिफ्ट स्कूलिंग।
05. हायर एजुकेशन के लिये पत्राचार प्रणाली को बढ़ावा दिया जाये
इस समय इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) सहित कई विश्वविद्यालय, पत्राचार द्वारा डिग्री कोर्सेज चला रहे हैं। इस व्यवस्था को और ज़्यादा बढ़ावा दिया जाकर कॉलेज-यूनिवर्सिटी लेवल एजुकेशन को आसानी से घर-घर तक उपलब्ध कराया जा सकता है। रेगुलर क्लासेज़ में वही सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाएं जिनमें प्रेक्टिकल किया जाना ज़रूरी हो।
इन सुझावों पर अमल करके शिक्षा की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है, शिक्षा ख़र्च घटाया जा सकता है और एजुकेशन इंडस्ट्री पर लगाम भी लगाई जा सकती है।
कोविड-19 की रोकथाम के लिये, जब तक कोई कारगर वैक्सीन नहीं बन जाती, तब तक दुनिया के लोगों को इस वायरस के वजूद के साथ ही जीना होगा। मिसाल के तौर पर एड्स भी एक वायरसजनित बीमारी है, इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। बचाव, एहतियात और संयमित जीवन के कारण इसकी मौजूदगी में भी लोग आसानी से जी रहे हैं। कोरोना इफेक्ट्स सीरिज़ के तहत कई और मुद्दों पर चर्चा अगले पार्ट्स में चर्चा जारी रहेगी।
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