एल्कोहॉलयुक्त सैनिटाइज़र और इस्लामी आदेश
बहुत से लोगों ने यह जानना चाहा है कि एल्कोहॉलयुक्त सैनिटाइजर के बारे में इस्लामी नज़रिया क्या है? अल्लाह की तौफ़ीक़ से, इस लेख में तर्कपूर्ण जानकारियां देने की कोशिश की जा रही है। इस लेख को पूरा पढ़ियेगा।
सबसे पहले हम यह जान लें कि इस्लाम ने ख़म्र के इस्तेमाल को हराम (वर्जित) कहा है। ख़म्र, हर उस चीज़ को कहते हैं, जिसके खाने, पीने या सूंघने से नशा आता हो। ख़म्र की परिभाषा में शराब (एल्कोहॉल) भी शामिल है। एल्कोहॉल की कई क़िस्में होती हैं।
01. पहली क़िस्म एथिल एल्कोहॉल होती है। यह एल्कोहॉल नशे वाली शराब में पाया जाता है।
02. एल्कोहॉल की दूसरी क़िस्म मिथाइल एल्कोहॉल कहलाती है जो कि ज़हरीली होती है।
03. तीसरी क़िस्म आइसोप्रोपाइल एल्कोहॉल होती है, जिसे स्प्रिट भी कहते हैं। यह अस्पतालों में सैनिटाइज़र के रूप में काम आती है। यह भी पीने योग्य नहीं होती।
आजकल कोरोना संक्रमण से बचने के लिये 60% से 70% एल्कोहॉलयुक्त सैनिटाइज़र इस्तेमाल करने की ताकीद की जा रही है। सैनिटाइज़र की बोतलों पर रेक्टिफाइड स्प्रिट लिखा होता है।
■ एल्कोहॉल का मेडिकल उपयोग
एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दवाओं में, ख़ास तौर पर सीरप में एल्कोहॉल का इस्तेमाल होता है। होम्योपैथिक दवाइयां तो एल्कोहॉल में ही बनती हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में एल्कोहॉल का बरसों से बाहरी इस्तेमाल भी किया जाता है। ग़ौरतलब है कि स्प्रिट एल्कोहॉल ही है।
◆ इंजेक्शन लगाने से पहले, इंफेक्शन से बचाव के लिये स्प्रिट के ज़रिए त्वचा साफ़ की जाती है।
◆ इंजेक्शन लगाने के बाद स्प्रिटभरी रूई लगाकर ख़ून को रोका जाता है।
◆ घाव पर पट्टी करने से पहले स्प्रिट से धोकर उसे संक्रमणरहित किया जाता है।
अब आप जानना चाह रहे होंगे कि एल्कोहॉल के बारे में इस्लाम क्या कहता है? क़ुरआन में है,
लोग आपसे शराब और जुआ के बारे में पूछते हैं। कह दीजिये कि इन दोनों में बड़ा गुनाह है और हालांकि इनमें लोगों के लिये कुछ फ़ायदे भी हैं लेकिन इनका गुनाह, इनके फ़ायदों से ज़्यादा बड़ा है। (सूरह बक़रह : 219)
क़ुरआन ने स्पष्ट किया है कि एल्कोहॉल (शराब) में कुछ दुनयावी फ़ायदे हैं लेकिन इनका नुक़सान कहीं ज़्यादा बड़ा है।
मैक्स हॉस्पिटल मुंबई में जनरल फिजिशियन डॉक्टर नवीन डांग का कहना है, एक अच्छे हैंड सैनिटाइजर में 60 फ़ीसद एल्कोहॉल होना चाहिये। वायरस के इर्द-गिर्द एक प्रोटीन की परत होती है, ये एल्कोहॉल उसका ख़ात्मा करता है और वायरस को मारता है। हैंड सैनिटाइजर में जो एल्कोहॉल डाला जाता है वो इंडस्ट्रियल एल्कोहॉल होता है जिसे पीया नहीं जा सकता।
कोरोना वायरस से बचाव के लिये यह बात सामने आई कि एल्कोहॉल के बाहरी उपयोग से कोरोना वायरस नष्ट हो जाता है। अब इसके साइड इफेक्ट्स पर नज़र डालिये।
◆ एल्कोहॉल, हमारे शरीर से पानी को सोख लेता है। यही वजह है कि एल्कोहॉलयुक्त सैनिटाइज़र के इस्तेमाल के बाद हमारी चमड़ी रूखी-रूखी हो जाती है।
◆ कई लोगों को इसके इस्तेमाल से रैशेज और खुजली की शिकायत होने की बात सामने आई है।
◆ एल्कोहॉल ज्वलनशील पदार्थ होता है, इस वजह से भी कई दुर्घटनाओं की संभावना रहती है।
यानी क़ुरआन की बात साबित होती है कि इसके कुछ फ़ायदे ज़रूर हैं लेकिन इसके नुक़सान बहुत ज़्यादा हैं। इसलिये जहाँ तक हो सके इससे गुरेज करना ही बेहतर है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स ने 20 से 30 सेकण्ड्स तक साबुन या लिक्विड हैंडवाश से हाथ धोने पर कोरोना के निष्क्रिय हो जाने की बात कही है। ब्लीचिंग पाउडर की 10% मात्रा वाले पानी से भी किसी सतह (मसलन दीवार, दरवाज़े, फर्श आदि) को सैनिटाइज़ किया जा सकता है। रेलों और बसों में इसी घोल का इस्तेमाल किया जा रहा है।
सारांश यह है कि बेहद ज़रूरी होने या संगीन मजबूरी होने पर नॉन ड्रिंकिंग एल्कोहॉलयुक्त सैनिटाइज़र का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि जहाँ तक हो सके, इसके विकल्पों के इस्तेमाल करने की कोशिश करनी चाहिये।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिये पहले पब्लिश किये जा चुके लेख पढ़ें, जिनके लिंक नीचे दिये गये हैं।
(यह भी पढ़ें) धर्मस्थलों के बारे में सरकारी गाइडलाइंस
(यह भी पढ़ें) धर्मस्थल और एल्कोहलयुक्त सैनिटाइज़र
अगर आपको यह लेख ज्ञानवर्धक लगा हो तो इसे दूसरों तक शेयर करें। अन्य महत्वपूर्ण लेख पढ़ने के लिये हमारी वेबसाइट https://adarshmuslim.com पर विज़िट करें।
Leave a comment.