आयतुल्लाह अली खामनेई ने हिंदी ट्विटर हैंडल क्यों शुरू किया?
ईरान के सबसे बड़े मज़हबी लीडर आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने 8 अगस्त 2020 को हिंदी और उर्दू सहित दुनियाभर की कई भाषाओं में अपने ट्विटर हैंडल की शुरुआत की। खामेनेई के हिंदी में ट्विटर अकाउंट के शुरू करने के लोगों में मन में सवाल उठ रहा है कि भारत से लगभग 3000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक मुस्लिम देश के सर्वोच्च नेता ने ऐसा क्यों किया। जबकि, दोनों देशों की भाषाएं भी बिलकुल अलग हैं। आइये जानने की कोशिश करते हैं।
आयतुल्लाह सय्यद अली खामेनेई ने हिंदी अकाउंट से पहला ट्वीट बिस्मिल्लाहिर्-रहमानिर्-रहीम का हिंदी तर्जुमा पेश करते हुए किया। उसके बाद दूसरे ट्वीट में, ग़दीर के वाक़ये का ज़िक्र किया। ग़ौरतलब है कि 18 जिल्हिज्ज को शिया लोग ईद-ए-ग़दीर के रूप में मनाते हैं जिसका समय इस साल 7 अगस्त 2020 की शाम से 8 अगस्त की शाम तक था।
नोट : ग़दीर के वाक़ये के बारे में शिया अक़ीदे की हक़ीक़त क्या है, इसको हम अलग पोस्ट में विस्तार से बताएंगे, इन्-शा अल्लाह। इस ब्लॉग में इतना जान लें कि 18 जिल्हिज्ज 35 हिजरी को तीसरे ख़लीफ़ा हज़रत उस्मान (रज़ि) को शहीद किया गया था। उनके बाद हज़रत अली (रज़ि) को चौथा ख़लीफ़ा बनाया गया।
इन ट्वीट्स से यह ज़ाहिर होता है कि वे इस्लाम के नाम पर भारत के शिया मुसलमानों के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत के शिया मुसलमानों पर खामेनेई की नजर
दरअसल खामनेई की नजर भारत के शिया मुसलमानों पर है। ईरान खुद को दुनियाभर के शिया मुसलमानों का नेता मानता है। भारत में शिया मुस्लिमों की तादाद 2.9 करोड़ से 3.9 करोड़ के आसपास है। भारत से अधिक शिया मुसलमान केवल ईरान और पाकिस्तान में ही हैं यानी शिया आबादी के लिहाज से भारत तीसरे नम्बर पर है। माना जा रहा है कि खामनेई हिंदी में अपना ट्विटर अकाउंट खोलकर भारतीय शियाओं को लुभाना चाहते हैं। अब सवाल या पैदा होता है कि इसकी ज़रूरत क्यों?
अमेरिका से तनाव के बीच भारत से चाहता है दोस्ती
अमेरिका से तनाव के चलते ईरान दुनियाभर में अपने समर्थक तैयार करना चाहता है। ऐसे में अगर भारत के शिया मुसलमान ईरान का समर्थन करते हैं तो भारत सरकार के ऊपर दबाव बन सकता है। वर्तमान समय में भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंध हैं ऐसे में ईरान शिया आबादी के माध्यम से अपने हितों को साध सकता है।
आने वाले दिनों में पता चलेगा कि असल बात क्या है?
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